चीन अमेरिका में कौन झुकेगा पहले, जानें टैरिफ वॉर में ट्रंप और जिनपिंग में किसके पास ज्यादा पावर
USA China Trade War: अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर जंग छिड़ी है. लेकिन ये कहां तक जाएगी कोई नहीं कह सकता. इस जंग में कुछ फैक्टर्स चीन के पक्ष में जा सकते हैं तो वहीं अमेरिका के पक्ष में भी कई फैक्टर्स हैं. चलिए समझते हैं...

US China Tariff War: अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ के नाम पर एक जंग छेड़ दी जिसमें चीन भी कूद पड़ा. पहले अमेरिका ने टैरिफ वार किया फिर चीन ने भी 34% का टैरिफ लगाकर जवाब दिया. अब हाल में फिर ट्रंप ने चीन से आने वाले प्रोडक्ट्स पर 50% और टैरिफ लगाने की बात कर दी है. इससे अब कुल टैरिफ बढ़कर 104% हो गया है. यानी अब अगर कोई सामान पहले 100 रुपए का आता था, तो वो अमेरिका में 204 रुपए का पड़ेगा. लेकिन ये लड़ाई कहां तक जाएगी? क्या इसके बाद फिर चीन भी टैरिफ बढ़ाएगा? या इन दोनों में से कोई एक पीछे हट जाएगा? चलिए पहले अमेरिका और चीन के बिजनेस से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालते हैं.
अमेरिका-चीन: घट रहा व्यापार घाटा
टैरिफ को लेकर ट्रंप केवल ये नहीं कहते कि सामने वाला जितना टैरिफ लगाएगा अमेरिका भी उतना ही लगाएगा. वो ये भी कहते हैं कि चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा ज्यादा है यानी अमेरिका चीन से इंपोर्ट ज्यादा करता है और एक्सपोर्ट कम. दोनों में अंतर इतना ज्यादा है कि घाटा अमेरिका को होता है.
लेकिन आंकड़े अलग तस्वीर पेश करते हैं:
साल | व्यापार घाटा (₹ करोड़) | व्यापार घाटा % में |
---|---|---|
2014 | 28,640 | 40% |
2015 | 30,644 | 42% |
2016 | 28,974 | 41% |
2017 | 31,396 | 41% |
2018 | 34,986 | 41% |
2019 | 28,807 | 36% |
2020 | 25,885 | 34% |
2021 | 29,642 | 33% |
2022 | 31,897 | 31% |
2023 | 24,298 | 23% |
2024 | 26,553 | 21% |
वहीं अमेरिका से चीन को होने वाले एक्सपोर्ट में भी लगातार गिरावट आई है और चीन से होने वाला एक्सपोर्ट भी गिर रहा है:
साल | अमेरिका से चीन में एक्सपोर्ट (₹ करोड़) | एक्सपोर्ट (% में) | चीन से अमेरिका में एक्सपोर्ट (₹ करोड़) | एक्सपोर्ट (% में) |
---|---|---|---|---|
2014 | ₹10,210 | 7.0% | ₹38,610 | 18% |
2015 | ₹9,960 | 7.2% | ₹40,920 | 19% |
2016 | ₹9,960 | 7.5% | ₹38,070 | 20% |
2017 | ₹10,960 | 8.1% | ₹42,060 | 20% |
2018 | ₹9,960 | 7.2% | ₹45,870 | 20% |
2019 | ₹8,580 | 6.5% | ₹37,290 | 17% |
2020 | ₹10,290 | 8.6% | ₹35,940 | 16% |
2021 | ₹12,450 | 8.4% | ₹42,060 | 15% |
2022 | ₹12,450 | 7.3% | ₹45,870 | 15% |
2023 | ₹12,040 | 7.1% | ₹31,530 | 13% |
2024 | ₹11,790 | 6.8% | ₹34,110 | 13% |
इन आंकड़ों को देख कर लगता है कि चीन को दो फायदे हो सकते हैं:
- चीन की अमेरिका पर निर्भरता कम होगी और वह दूसरे देशों में अपना एक्सपोर्ट बढ़ा सकता है
- अगर टैरिफ की जंग और तेज होती है, तो अमेरिका को ज्यादा नुकसान होगा
नुकसान ऐसे हो सकता है कि मान लें कि चीन अमेरिका को 100 रुपये का सामान भेजता है और अमेरिका चीन को 50 रुपये का, और दोनों पर 50% टैरिफ लगा दें, तो अमेरिका का नुकसान ज्यादा होगा क्योंकि वहां महंगाई बढ़ जाएगी.
चीन को मिल सकते हैं और भी फायदे
चीन मैन्युफैक्चरिंग में महारत: Apple के CEO टिम कुक ने सितंबर 2024 में कहा था कि, “अक्सर लोग सोचते हैं कि कंपनियां चीन में सस्ती लेबर की वजह से जाती हैं. लेकिन सच ये है कि चीन अब सस्ते लेबर वाला देश नहीं है. असली वजह चीन में मौजूद स्किल्स की है – खासकर टूलिंग और प्रिसिशन की.”
रेअर अर्थ मिनरल्स पर चीन का कंट्रोल: चीन के पास कई दुर्लभ मिनरल्स हैं, जो डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और दवाओं में काम आते हैं. 4 अप्रैल 2024 को चीन ने अमेरिका पर इन मिनरल्स को एक्सपोर्ट करने पर बैन लगा दिया.
चीन का बाजार पर भी कंट्रोल: चीन की सरकार अपने शेयर बाजार को कंट्रोल कर सकती है. उदाहरण के लिए 7 अप्रैल को चीन की एक सरकारी संस्था Central Huijin Investment ने बाजार गिरने से बचाने के लिए शेयर बाजार में हस्तक्षेप किया था.
लॉन्ग-टर्म गोल लेकर चलता है चीन: चीन के नेताओं को चुनाव की चिंता नहीं है, जबकि ट्रंप को 2026 में मिड-टर्म और 2029 में प्रेसिडेंशियल चुनाव को लेकर सोचना होगा.
अमेरिका को किस तरह के फायदे
दुनिया का सबसे बड़ा कंज्यूमर मार्केट: दुनिया भर की आबादी का केवल 5% अमेरिका के पास है, लेकिन यहां कंज्यूमर ज्यादा खर्च करता है. 2023 में अमेरिका की खपत लगभग 16 लाख करोड़ डॉलर थी. इसलिए कोई भी देश अमेरिका के मार्केट को नजरअंदाज नहीं कर सकता.
टैरिफ पर हो सकता है सेटेलमेंट: 50 से ज्यादा देश अमेरिका पर लगाए टैरिफ को कम करने पर विचार कर रहे हैं. अगर अमेरिका उनसे जल्दी डील कर ले, तो उसे सिर्फ चीन पर फोकस करने में आसानी होगी.
ट्रंप की लोकप्रियता: अमेरिका में ट्रंप की जबरदस्त लोकप्रियता है, अपनी पार्टी पर उनका पूरा कंट्रोल है. इससे उन्हें अपने फैसलों पर टिके रहने की ताकत मिलती है.
चीन की व्यापारिक नीतियों पर सवाल: कई देशों को चीन की व्यापार नीतियां ठीक नहीं लगती. भारत ने भी इसपर कई बार टैरिफ या अन्य कदम उठाए हैं.
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