डॉलर हुआ धड़ाम! मार्च में दो साल में आई सबसे तेज गिरावट, क्या भारत को मिलेगा फायदा?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से टैरिफ युद्ध छेड़े जाने की वजह से अमेरिकी डॉलर में दो साल में सबसे बड़ी गिरावट आई है. मार्च के महीने में डॉलर इंडेक्स के हिसाब से अमेरिकी डॉलर की वैल्यू 3.14% तक घटी है. डॉलर में आई यह कमजोरी क्या भारतीय बिजनेस और निवेशकों को मजबूती देगी?
अमेरिकी डॉलर में मार्च 2025 में एक महीने में सबसे तीव्र गिरावट दर्ज की गई. डॉलर में आ रही कमजोरी के पीछे टैरिफ वॉर, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी का बढ़ता खतरा और कई दूसरे कारण हैं. सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक यह तेज गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता में वृद्धि के कारण हुई है. सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जापानी येन और यूरो के मुकाबले डॉलर में भी काफी गिरावट आई है, जो क्रमश 4.7% और 4.5% गिर गया है.
क्यों डगमगा रहा डॉलर?
डॉलर की कमजोरी के कई कारण हैं. गोल्डमैन साक्स के मुताबिक अमेरिका में मंदी की संभावना 20% से बढ़ाकर 35% हो गई है. इसके साथ ही, टैरिफ वॉर की वजह से अमेरिकी व्यापार में अस्थिरता आने चिंताएं बढ़ रही हैं. विश्लेषकों को उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक दोनों 2025 में ब्याज दरों में कटौती जारी रख सकते हैं, जिससे डॉलर और कमजोर होगा.
भारत को क्या फायदा?
डॉलर की कमजोरी से भारत को कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की आयात लागत कम होगी, जिससे ईंधन और ऊर्जा की कीमतों में कमी आ सकती है. आयात लागत में कमी से जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर दबाव कम होगा, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित रहने में मदद मिलेगी. इसके अलावा डॉलर कमजोर होने पर विदेशी निवेशक भारत में निवेश करना पसंद कर सकते हैं. इससे FDI और पोर्टफोलियो निवेश में वृद्धि हो सकती है, जिससे भारतीय शेयर बाजार को मजबूती मिलेगी. इसके अलावा डॉलर की कमजोरी से भारत के लिए विदेशी कर्ज चुकाना भी आसान होगा.
भारत को क्या नुकसान?
डॉलर की कमजोरी के सिर्फ फायदे नहीं हैं. बल्कि, कई नुकसान भी हैं. डॉलर की तुलना में रुपये की मजबूती के चलते भारतीय उत्पाद वैश्विक बाजारों में महंगे हो सकते हैं, जिससे निर्यात में कमी आ सकती है. डॉलर की कमजोरी से कारोबारी अस्थिरता बढ़ सकती है.