यूएस फेड के फैसले से भारत के लिए खुलेंगे तरक्की के रास्ते, विदेशी निवेश बढ़ने समेत होंगे ये फायदे
यूएस में दरों में कटौती होने से भारत में विदेशी निवेश में बढ़ोतरी की संभावना है. क्योंकि जब दरों में कटौती होती है तब अमेरिकी ट्रेजरी सिक्योरिटीज में रिटर्न कम मिलता है, ऐसे में विदेशी निवेशक भारत का रुख करना पसंद करते हैं.
यूएस फेडरल रिजर्व की ओर से बुधवार को ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती के फैसले से भारतीय बाजार में गुरुवार को जबरदस्त तेजी देखने को मिली. चार साल में यह ऐसा पहला मौका है जब अमेरिकी नीतिकारों ने दरें घटाई हो. फेड के निर्णय से कॉमर्शियल बैंकों के उपभोक्ताओं और व्यवसायों को उधार देने की दरें कम हो जाएंगी, जिससे लोन सस्ते हो जाएंगे. फेड की रेट कटौती भारत के लिए तरक्की के रास्ते खोलने में मदद कर सकती है. इससे न सिर्फ विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि कई और भी फायदे होंगे.
भारत में बढ़ेगा विदेशी निवेश
यूएस में दरों में कटौती होने से भारत में विदेशी निवेश में बढ़ोतरी की संभावना है. क्योंकि जब अमेरिकी ब्याज दरें ज्यादा होती हैं, तो निवेशक अधिक रिटर्न के लिए अमेरिकी ट्रेजरी सिक्योरिटीज को प्राथमिकता देते हैं. मगर ब्याज दरों में कटौती होने पर इन सिक्योरिटीज पर रिटर्न में कमी आती है. ऐसे में विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी और ऋण बाजारों सहित अन्य जगहों पर बेहतर रिटर्न की तलाश करेंगे. ऐसे में वहां ब्याज दरें कम होने से भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा. इससे भारतीय शेयरों और बॉन्डों की मांग बढ़ेगी.
बॉन्ड बाजार में दिखेगी तेजी
विश्व स्तर पर कम ब्याज दर होने से भारत में बॉन्ड बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है. क्योंकि नए इश्यू की तुलना में उनका रिटर्न ज्यादा बेहतर होता है. इससे सरकार और कॉरपोरेशन दोनों के लिए उधार लेने की लागत को कम कर सकती है. साथ ही ये ज्यादा विदेशी निवेशकों को ज्यादा पैसा लगाने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
रुपया होगा मजबूत
विदेशी निवेशकों के भारत में निवेश बढ़ाने से भारतीय रुपए (INR) की स्थिति मजबूत होगी. दरअसल जैसे-जैसे विदेशी निवेशक निवेश के लिए अपनी मुद्राओं को INR में बदलेंगे, रुपए की मांग बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती आएगी.
इन सेक्टरों को होगा फायदा
फेड की ब्याज दरों में कटौती से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में मांग बढ़ सकती है क्योंकि अमेरिकी कॉरपोरेशन उधार लेने की लागत कम होने के कारण अपने आईटी बजट का विस्तार करते हैं. इसके अलावा कंज्यूमर गुड्स और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अन्य क्षेत्रों में भी वृद्धि हो सकती है.