8th Pay Commission: वेतन आयोग और वेज बोर्ड में क्या होता है अंतर, जानें कौन तय करता है ’90 घंटे काम’ का फार्मूला
8th Pay Commission: वेतन आयोग और वेज बोर्ड दोनों ही कर्मचारियों के हित में काम करते हैं, लेकिन उनके काम और उद्देश्य में अंतर है. हाल फिलहाल में 90 घंटे काम करने को लेकर कई दिग्गज सलाह दे रहे हैं. लेकिन असल में कितने घंटे काम करना चाहिए ये तो वेज बोर्ड तय करता है. चलिए जानते हैं क्या है पे कमीशन और वेज बोर्ड का काम
8th Pay Commission vs Wage Board: वेतन आयोग तो चर्चा में बना ही है लेकिन 90 घंटे काम करने का सुझाव देने वाले कई को-फाउंडर्स और दिग्गज भी सुर्खियों में हैं. यहां वेतन आयोग और 90 घंटे काम करने की बात एक साथ इसलिए हो रही है, क्योंकि वेतन आयोग के अलावा वेज बोर्ड भी होता है जो कर्मचारियों के हित में काम करता है. लेकिन वेतन आयोग और वेज बोर्ड का क्या काम है? दोनों में क्या अंतर है या दोनों का एक ही काम है. चलिए थोड़ी थ्योरी समझते हैं.
क्या होता है वेज बोर्ड और पे कमीशन
वेज बोर्ड एक ऐसी कमेटी है जिसमें तीन तरह के पक्ष शामिल होते हैं जैसे नियोक्ता (एंप्लॉयर्स), कर्मचारी और सरकार के प्रतिनिधि ये तीनों मिलकर वेज बोर्ड बनाते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य विशेष उद्योगों या क्षेत्रों (जैसे कपड़ा, कृषि, निर्माण) में न्यूनतम वेतन और कामकाज की शर्तों को तय करना होता है. जैसे हफ्ते में कितने घंटे काम करना होगा, 48 या 70 या 90. फिलहाल एक हफ्ते में 48 घंटे काम करने का नियम है.
वहीं पे कमीशन (Pay Commission) भारत सरकार का एक निकाय है जो सरकारी कर्मचारियों (जैसे सिविल सेवक, सेना के कर्मचारी, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी) के वेतन की समीक्षा और उसमें बदलाव की सिफारिश करता है. जैसे सरकारी कर्मचारियों को कितना वेतन, भत्ता मिलना चाहिए, यह महंगाई, आर्थिक स्थिति और बाजार के रुझानों के आधार पर वेतन संशोधन का सुझाव देता है. आमतौर पर हर 10 साल में एक बार यह कमीशन बनाया जाता है.
वेज बोर्ड और पे कमीशन के बीच क्या अंतर है?
- वेज बोर्ड खास उद्योगों के लिए काम करता है जबकि पे कमीशन केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन से संबंधित है.
- वेज बोर्ड में श्रमिक संघ, नियोक्ता, और सरकारी अधिकारियों के प्रतिनिधि होते हैं और पे कमीशन में अर्थशास्त्र, वित्त, और प्रशासन के विशेषज्ञ होते हैं.
- वेज बोर्ड न्यूनतम वेतन और काम की शर्तों पर ध्यान देता है जबकि पे कमीशन वेतन, भत्ते को लेकर सिफारिश देता है.
- वेज बोर्ड जरूरत पड़ने पर गठित होता है और पे कमीशन हर 5-10 साल में गठित किया जाता है.
वेज बोर्ड और पे कमीशन आपका जीवन पर क्या प्रभाव?
वेज बोर्ड श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने में मदद करता है, खास उद्योगों में आय असमानता को कम करने की दिशा में काम करता है वहीं पे कमीशन सरकारी कर्मचारियों का मनोबल और उत्पादकता क पर असर डालता है, क्योंकि इसकी सिफारिशों के जरिए वेतन और भत्तों में अक्सर बढ़ोतरी होती है.