जेंडर बदलवाने में कितना खर्च होता है पैसा, क्या हर कोई कर सकता है ऐसा; जानें क्या है नियम
भारत में जेंडर ट्रांसफॉर्मेशन की नई चलन शुरू हुई है. इसके तहत लोग अपना जेंडर बदल लेते हैं. हाल में इसके कई मामले सामने भी आए हैं. आइए आपको इससे जुड़ी जानकारी देते हैं. जैसे कौन करा सकता है, इसको लेकर नियम क्या है.
Rule Process and Cost of Gender Transformation: पिछले कुछ समय से अनाया बांगड़ का नाम सुर्खियों में बना हुआ है. दरअसल वह भारत के पूर्व क्रिकेटर और कोच रहे संजय बांगड़ का बेटा आर्यन था जो हार्मोनल ट्रांसफॉर्मेशन के बाद अनाया बन चुकी हैं. जेंडर बदलने के काफी समय बाद अनाया भारत लौटी हैं. अनाया ने अब लड़का से लड़की बनने की अपनी पूरी जर्नी साझा की है. उन्होंने हार्मोनल ट्रांसफॉर्मेशन के बाद आने वाली तमाम दिक्कतों को लेकर खुलकर बात भी की है.
लेकिन हम फिलहाल अनाया और उनकी जर्नी पर कोई बात नहीं कर रहे हैं. हम बात जेंडर ट्रांसफॉर्मेशन की करने वाले हैं. कि ये क्या है, इसमें आने वाले खर्चे और नियम कानून क्या हैं. क्या कोई भी अपना जेंडर बदल सकता है, और इसके लिए जेंडर चेंज कराने वाले शख्स को क्या-क्या करना पड़ता है.
क्या है जेंडर ट्रांसफॉर्मेशन?
जेंडर ट्रांसफॉर्मेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति अपनी जेंडर आइडेंटिटी को जन्म के समय के जेंडर से बदलता है. यह आमतौर पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए होता है जो जन्म के वक्त दिए गए लिंग से अलग पहचान रखते हैं. यानी कोई भी व्यक्ति ऑपरेशन के जरिए पुरूष या महिला बन सकता है.
जेंडर ट्रांसफॉर्मेशन की प्रक्रिया में कितना आता है खर्च?
विभिन्न अस्पतालों की वेबसाइट से ली गई जानकारी के अनुसार भारत में जेंडर ट्रांसफॉर्मेशन के लिए औसतन 2,00,000 रुपये तक का खर्च आ सकता है. हालांकि यह कीमत भी अलग-अलग हॉस्पिटल और सेंटर के आधार पर बढ़ सकती है. इसके लिए शुरुआती कीमत 2 लाख रुपये है, एवरेज प्राइस 5 लाख और अधिकतम प्राइस 6 लाख रुपये तक पहुंच सकता है. इसमें दोनों ही ट्रांसफॉर्मेशन शामिल है. यानी मेल टू फीमेल ट्रांसफॉर्मेशन होता है और फीमेल टू मेल ट्रांसफॉर्मेशन भी शामिल है.
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क्या है कानून?
जेंडर बदलने को लेकर भारत में कोई बाध्यता नहीं है. बशर्ते उस शख्स की उम्र 18 साल होनी चाहिए. इससे इतर, किसी एक लिंग को चुनने की स्वतंत्रता भारत के हर नागरिक को है चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से ताल्लुक रखता हो. इसके लिए आपको सबसे पहले आवेदन करना होता है. यानी जेंडर चेंज करने को लेकर एक बार फैसला करने के बाद पहला कदम हलफनामे का मसौदा तैयार करने का होता है.
ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट 2019 के सेक्शन 7 के मुताबिक सर्जरी करवाने वासे शख्स को सर्जरी के बाद रिवाइज्ड सर्टिफिकेट के लिए जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन देना होगा. इस हलफनामे यानी एफेडेविट में जेंडर चेंज करने की घोषणा की जाती है. इसमें आवेदक को अपना नाम, पिता का नाम, पता, उम्र और लिंग बताना होता है.
अखबार में छपवाना पड़ता है विज्ञापन
सभी जानकारी सही होनी चाहिए. यह हलफनामा एक स्टांप पेपर पर मुद्रित और नोटराइज्ड होना चाहिए. इसके बाद आवेदक को नाम बदलवाने के लिए स्थानीय अखबार में विज्ञापन देना होता है और पहचान पत्र बनवाने के लिए संबंधित विभाग में उस अखबार की कटिंग जमा करानी होती है ताकि रिकॉर्ड में नया नाम दर्ज हो सके. इसके बाद अंतिम कदम राजपत्र प्रक्रिया होता है.
इसमें आवेदक को राष्ट्रीय राजपत्र यानी National Gazette में अधिसूचना देनी होती है. पूरे नियम के साथ आवेदक को सभी दस्तावेज दर्ज करना होगा. दाखिल करते वक्त आवेदक को तय सरकारी शुल्क भी देना होगा. जेंडर चेंज की अधिसूचना को ई-राजपत्र में प्रकाशित होने में 45 से 60 कार्य दिवस का समय लग सकता है. प्रकाशित होने के बाद आवेदक को उसके ईमेल पर राजपत्र की एक कॉपी मिल जाती है.
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जेंडर चेंज के लिए जरूरी दस्तावेज
- स्व-सत्यापित पहचान प्रमाण की कॉपी (आधार कार्ड या वोटर आईडी या पासपोर्ट)
- दो सेल्फ अटेस्टेड पासपोर्ट साइज के फोटो
- स्थानीय समाचार पत्र में विज्ञापन की कटिंग
- आवेदक और दो प्रमुख गवाहों की ओर से विधिवत हस्ताक्षरित एक नमूना प्रोफार्मा
- प्राधिकरण को पंजीकरण शुल्क के साथ लिखा हुआ एक अनुरोध पत्र