एक किलोमीटर रोप-वे बनाने में खर्च होता है कितना करोड़, जानें- कितनी स्पीड से चलती है केबल ट्रॉली
Ropeway Cost: पहाड़ी इलाकों में तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने के लिए रोप-वे को मुफीद माना जाता है. सरकार देश में रोप-वे का नेटर्वक विस्तार करने पर काम कर रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक किलोमीटर रोपवे बनाने में कितना पैसा खर्च होता है.
Ropeway Cost: केंद्र सरकार ने उत्तारखंड में दो रोपव-वे प्रोजेक्ट की मंजूरी दी है. केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोप-वे से जुड़ेंगे, जिससे लोगों अब लंबी और कठिन चढ़ाई से राहत मिल सकेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीर्थयात्रियों के लिए तेज, पर्यावरण अनुकूल ट्रांस्पोर्टेशन प्रदान करने के लिए 7,500 करोड़ रुपये की दो रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है. रोप-वे प्रोजेक्ट के जरिए सोनप्रयाग को केदारनाथ से और गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब जी से जोड़ा जाएगा. भारत में तेजी से रोप-वे प्रोजक्ट पर काम चल रहा है. रोप-वे के जरिए सरकार की कोशिश पहाड़ी इलाकों में यात्रा को सुगम बनना है.रोप-वे प्रोजेक्ट्स बहुत खर्चीले होते हैं. ऐसे में आइए समझ लेते हैं कि एक किलोमीटर रोप-वे बनाने के लिए कितना पैसा खर्च करना पड़ता है.
भारत में कितने रोप-वे प्रोजेक्ट
भारत में लगभग 22 फीसदी भूमि क्षेत्र पहाड़ी इलाकों में है. तेजी से होते शहरीकरण और बढ़ती भीड़भाड़ के बावजूद रोप-वे विकास को अभी भी काफी हद तक बढ़ावा देना बाकी है. भारत के पहाड़ी राज्य रोप-वे आधारित विकास के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक क्षमता होने के बावजूद सबसे कम डेवलप हैं.
केंद्र सरकार पर्वतमाला-नेशनल रोप-वे डेवलपमेंट प्रोग्राम के जरिए पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा को सुगम बनाने की कोशिश में जुटी है. भारत में फिलहाल केवल 85-100 रोप-वे परियोजनाएं ही मौजूद हैं, जिनमें से ज्यादातर राज्य स्तर पर हैं.
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कितना आता है बनाने में खर्च
अगर रोप-वे बनाने के खर्च की बात करें, तो एक रिपोर्ट के अनुसार, एक किलोमीटर रोप-वे बनाने में करीब 45-75 करोड़ रुपये का खर्च आता है. इस रोप-वे की स्पीड 25-30 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. रोप-वे की खासियत यह होती है कि पहाड़ी और भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में कम खर्च में आवाजाही के लिए मुफीद होता है. साथ इसे बनाने के लिए कम जमीन की भी जरूरत पड़ती है. हालांकि, तकनीकी रूप से देखें, तो इसकी रखरखाव का अधिक ध्यान रखना पड़ता है.
क्यों शुरू की गई पर्वतमाला योजना
देश में पहली बार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर जैसे क्षेत्रों के लिए ‘पर्वतमाला योजना’ शुरू की गई है. इस योजना से पहाड़ों पर परिवहन और कनेक्टिविटी की आधुनिक व्यवस्था बनेगी. इससे देश के सीमावर्ती गांवों को भी मजबूती मिलेगी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है.