सरकारी कंपनी SECI और अडानी ग्रुप के बीच क्या था रिश्ता, रिश्वतखोरी के आरोप में कैसे जुड़ा नाम?

अडानी ग्रीन एनर्जी और एज्योर पावर अमेरिका में रिश्वतखोरी और फ्रॉड के आरोपों का सामना कर रहे हैं. इस विवाद के केंद्र में साल 2019 में पेश किया गया कॉन्ट्रैक्ट है. पूरा मामला 2019 का है.

सरकारी कंपनी SECI और अडानी ग्रुप. Image Credit: Money9

अमेरिका में अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी आरोप के बाद भारत की एक सरकारी कंपनी सुर्खियों में है. कंपनी का नाम सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) है. ये न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय के तहत आने वाली कंपनी है. अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि सरकार की अथॉरिटी के साथ सोलर एनर्जी सप्लाई एग्रीमेंट की मंजूरी के लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत दी गई थी. रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी SECI को भारत में बिजली के कारोबार के लिएए कैटेगरी-I (उच्चतम) का लाइसेंस मिला है.

कंपनी का बिजनेस मॉडल

मामले को समझने के लिए पहले सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन के बिजनेस मॉडल को समझ लेते हैं. पनी अपने टेंडर के जरिए डेवलपर्स से बिजली खरीदती है और लॉन्गटर्म PPA और PSA के जरिए अलग-अलग कंपनियों (DISCOM) को बेचती है. इस बिजनेस मॉडल के जरिए कंपनी ने पिछले साल लगभग 43,000 मिलियन यूनिट बिजली का कारोबार किया था. कंपनी ने खुद के भी प्रोजेक्ट लगाए हैं और स्टेट यूटिलिटीज के साथ ज्वाइंट वेंचर में कदम रखा है.

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अडानी ग्रीन एनर्जी और एज्योर पावर अमेरिका में रिश्वतखोरी और फ्रॉड के आरोपों का सामना कर रहे हैं. इस विवाद के केंद्र में साल 2019 में पेश किया गया कॉन्ट्रैक्ट है. पूरा मामला 2019 का है, जब सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ने 12,000 मेगावाट सोलर एनर्जी उत्पादन और 3000 मेगावाट के सौर पैनलों के निर्माण के लिए अपनी तरह के पहले ज्वाइंट वेंचर के लिए बिडिंग पूरी की थी. अडानी ग्रीन और अमेरिका की एज्योर पावर ने इसे जीता था.

पावर सप्लाई एग्रीमेंट

हालांकि, एनर्जी की हाई प्राइस के चलते सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन राज्य बिजली वितरण कंपनियों (DISCOM) के साथ पावर सप्लाई एग्रीमेंट (PSA) को साइन करने में सक्षम नहीं था. यही वो समय था जब पावर सप्लाई एग्रीमेंट (PSA) को हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप हैं. PSA के बिना सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन, अडानी ग्रीन और एज़्योर के साथ बिजली खरीद समझौते (PPA) पर साइन नहीं कर सकता था. अमेरिकी अदालत के अनुसार, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन खरीदार नहीं ढूंढ पाया, जिसके चलते आकर्षक लेटर ऑफ अवार्ड (LOA) और संबंधित रेवेन्यू को नुकसान पहुंचा.

अमेरिकी अदालत के आरोप

अमेरिकी अदालत के अनुसार, इस रिश्वत के मामले में शामिल अन्य लोगों ने सरकारी अधिकारियों को भ्रष्ट तरीके से मनाने के लिए प्रयास किए ताकि वे राज्य बिजली वितरण कंपनियों से पीएसए मंजूर करवा सके. अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया कि गौतम अडानी ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन और आंध्र प्रदेश की राज्य बिजली डिस्कॉम के बीच पावर सप्लाई एग्रीमेंट को आगे बढ़ाने के लिए आंध्र प्रदेश में एक सरकारी अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की, जिसके लिए उस अधिकारी को लगभग 1,750 करोड़ रुपये की पेशकश की गई.

2019 का क्या था कॉन्ट्रैक्ट?

यह कॉन्ट्रैक्ट प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजना का हिस्सा था, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग कैपिसिटी बनाना और सोलर एनर्जी उत्पादन के लिए क्षमता स्थापित करना शामिल था. दिसंबर 2019 में एज़्योर पावर ने घोषणा की थी कि उसे 25 साल के लिए 2.92 रुपये प्रति यूनिट की दर से 2GW सोलर पावर सप्लाई करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट मिला है. कॉन्ट्रैक्ट में 500MW सौर सेल और मॉड्यूल बनाने की आवश्यकता थी.

छह महीने बाद अडानी ग्रीन ने कहा कि उसे सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन से 8GW का दुनिया का सबसे बड़ा सोलर कॉन्ट्रैक्ट मिला है, जिसे आठ साल में वितरित किया जाना है. इसमें 6 अरब अमरीकी डॉलर (45,000 करोड़ रुपये) का निवेश शामिल है. इसमें अडानी सोलर द्वारा 2GW अतिरिक्त सोलर सेल और मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग स्थापित करने की प्रतिबद्धता शामिल थी.

2011 में बनी थी कंपनी

साल 2011 में स्थापना के बाद से कंपनी ने लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन को वर्ष 2011 में नॉन-फ्रॉफिटेबल कंपनी (कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25) के रूप में शामिल किया गया था और 2015 में इसे एक कमर्शियल कंपनी में परिवर्तित कर दिया गया था.

अडानी समूह ने आरोपों को बताया निराधार

हालांकि, अडानी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वह कानूनी सहारा लेगा. कंपनी के सीएमडी आरपी गुप्ता ने पीटीआई को बताया, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन के खिलाफ कुछ भी नहीं है. कंपनी ने कुछ भी गलत किया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन के प्रमुख आरपी रूप्ता के हवाले से कहा कि कंपनी के पास मामले की जांच करने का कोई आधार नहीं है.