एक लाख रुपये से शुरू हुआ था न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक, इन गलतियों से लगा ताला, जानें कितना जमा है पैसा

New India Co-operative Bank: आज सुबह मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के बाहर ग्राहक जमा हो गए. रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की लिक्विडिटी की चिंताओं को देखते हुए प्रतिबंध लगा दिया है. बैंकिंग संबंधिक कामकाज ठप हो गया है.

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक कब हुआ था शुरू? Image Credit: New India Co-operative Bank

New India Co-operative Bank: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मुंबई बेस्ड न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. केंद्रीय बैंक ने इस को-ऑपरेटिव के लोन जारी करने या डिपॉजिट की निकासी को रोक दिया है. इसकी वजह से परेशान ग्राहकों की तस्वीरें भी सामने आ रही हैं. रिजर्व बैंक के अनुसार, 13 फरवरी 2025 को कारोबार बंद होने से न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर कोई भी लोन या एडवांस देने या उसे रिन्यू करने पर रोक लगा दी गई है. यह कोई नया निवेश भी नहीं कर सकता है. बैंक को कोई भी भुगतान करने की अनुमति नहीं है. बैंक अपनी किसी भी संपत्ति को बेच भी नहीं सकता. बैंक की वित्तीय हालत इस कदर खराब हो गई है कि रिजर्व बैंक को इस तरह के सख्त फैसले लेने पड़े हैं.

कब और किसने रखी थी नींव

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की शुरुआत साल 1968 में मिली. बेस्ड न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, बैंक को शुरू करने के लिए पूंजी, परिसर और प्रबंधन की जरूरत थी. तीनों ही जरूरतें फाउंडर्स के प्रयासों और संघर्ष के बाद 1968 में सफलता मिली. बैंक के फाउंडर फादर्स जॉर्ज फर्नांडिस और जीत भानु की देखरेख में बॉम्बे लेबर को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने अपना कामकाज शुरू किया. ये वही, दिग्गज ट्रेड यूनियन लीडर जॉर्ज फर्नांडिस हैं, जो सांसद से लेकर केंद्री मंत्री के पद तक पर रहे.

555 सदस्यों के साथ हुई थी शुरुआत

बैंक की शुरुआत 555 सदस्यों के साथ हुई थी, जिन्होंने 1 लाख रुपये का योगदान दिया था. शुरू से ही उनका उद्देश्य विवेकपूर्ण और स्थिर ग्रोथ को बढ़ावा देना और एक मजबूत बैंक के रूप में उभरना था. बैंक ने इस मुकाम को सफलतापूर्वक हासिल भी किया.

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घाटे से जूझ रहा बैंक

मौजूदा समय में बैंक ने 30 ब्रॉन्च खोले हैं, जो मुंबई, ठाणे, सूरत और पुणे में सुविधाजनक रूप से मौजूद हैं. लेकिन बैंक फिलहाल आर्थिक संकट से गुजर रहा है. मार्च 2024 तक बैंक के पास 2,436 करोड़ रुपये की जमा राशि है थी. पिछले दो साल से न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घाटे से जूझ रहा है.

न्यूज रिपोर्टों के अनुसार, बैंक ने वित्त वर्ष 2023 में 307.5 करोड़ के घाटे के बाद मार्च 2024 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए 227.8 करोड़ का घाटा दर्ज किया था. 31 मार्च, 2024 तक इसके एडवांस पिछले वर्ष के 13.30 अरब रुपये से घटकर 11.75 अरब रुपये रह गए, जबकि इसकी जमा राशि 24.06 अरब रुपये से थोड़ी बढ़कर 24.36 अरब रुपये हो गई.

रिजर्व बैंक के प्रतिबंध से संकेत

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर प्रतिबंध लगाने का RBI का निर्णय बैंक की वित्तीय स्थिरता और तरलता चुनौतियों पर बढ़ती चिंताओं को उजागर करता है. जमा राशि में मामूली वृद्धि के बावजूद, लगातार घाटे और घटते एडवांस ने चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये तक के बीमा कवरेज का आश्वासन दिया गया है. लेन-देन पर चल रही रोक और छह महीने की प्रतिबंध अवधि बैंक की रिकवरी के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि का संकेत देती है.