इस ‘मवाली टिफिन’ को क्यों खरीदना चाहती है ITC, 3 भाइयों का है कमाल, अब अंग्रेजों के जुबां पर डोसा-इडली

अपने रेडी टू ईट फूड के लिए मशहूर कंपनी MTR जिसका संचालन ओर्कला करती है, अब जल्‍द ही इसे ITC खरीदने की प्‍लानिंग कर रही है. बेंग्‍लुरु की गलियों से निकलकर कैसे ये कंपनी विदेशों तक पहुंच गई है. तो किसने रखी थी इसकी नींव जानें पूरी डिटेल.

MTR foods Orkla ceo Image Credit: gettyimages

Who is the owner of MTR: अपने रेडी-टू-ईट फूड के लिए मशहूर फूड कंपनी MTR, जिसका संचालन अब नॉर्वे की कंपनी Orkla करती है. इसे जल्‍द ही ITC खरीद सकती है. दरअसल आईटीसी इस समय ओर्कला एसए से इस सिलसिले में बातचीत कर रही है. ये 1.4 बिलियन डॉलर में इसे खरीदने की प्‍लानिंग कर रही है. ITC का ये प्‍लान कितना कामयाब होगा ये तो आने वाले दिनों में पता चलेगा, लेकिन क्‍या आपको पता है बेंगलुरु की गलियों से निकलकर MTR कैसे पूरी फूड इंडस्‍ट्री में छा गई. तो किसने रखी इसकी नींव और कैसे हुई इसकी शुरुआत, यहां जानें सब कुछ.

100 साल से ज्‍यादा पुरानी कंपनी का कौन है फाउंडर?

रेडी-टू-ईट करी, राइस, इंस्टेंट मिक्‍स, आइसक्रीम, मसाले, अचार और दूध जैसे प्रोडक्‍ट बनाने वाली MTR जिसका पूरा नाम Mavalli Tiffin Rooms, इसकी शुरुआत 1924 में बेंगलुरु से हुई थी. ये कंपनी 100 साल से भी ज्‍यादा पुरानी है. इसकी नींव पारमेश्‍वर मैया और उनके भाइयों ने रखी थी. उन्‍होंने सबसे पहले बेंगलुरु के लैलबाग रोड पर अपना रेस्टोरेंट खोला था, जो आज भी बेंगलुरु का एक प्रमुख स्‍थल है. यहां लोग अपनी पसंदीदा ‘इडली’, ‘सांभर’ और ‘कॉफी’ का स्‍वाद चखने आते हैं.

कैसे शुरू हुआ था MTR का सफर?

तीन भाई – पारमेश्‍वर मैया, गणप्‍पैया मैया और यज्ञनारायण मैया, उडुपी जिले के एक छोटे से गांव से बेंगलुरु आए थे. उन्‍होंने अपनी पाक कला के हुनर के दम पर बेंगलुरु में कुछ प्रमुख घरों में खाना बनाने का काम किया. बाद में 1924 में पारमेश्‍वर मैया ने अपने मालिक की मदद से बेंगलुरु में ‘ब्रह्मिन कॉफी क्‍लब’ नामक एक छोटा सा रेस्‍टोरेंट खोला, जहां इडली और कॉफी सर्व की जाती थी. बाद में उनके भाई यज्ञनारायण मैया ने बिजनेस को आगे बढ़ाया. टर्निंग प्‍वाइंट तब आया जब उन्‍होंने 1951 में यूरोप का दौरा किया. यहां से उन्‍होंने अपने रेस्‍टोरेंट में कई बदलाव किए. इसी दौरान उन्‍होंने रेस्‍टोरेंट का नाम बदलकर मवाली टिफिन रूम्‍स यानी MTR रखा. MTR का व्‍यवसायिक विस्तार 1960 में हुआ और1975 में MTR ने कन्‍वीनीएंस फूड और इंस्टेंट मिक्‍स के बिजनेस में भी कदम रखा, जिससे पूरी दुनिया में इसका नाम हुआ.

Orkla ने कब संभाली थी कमान?

MTR के प्रोडक्‍ट्स अब दुनिया भर में उपलब्‍ध हैं. इस भारतीय कंपनी ने अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए 2007 में इसने नॉर्वे की कंपनी Orkla से साझेदारी की और वैश्विक स्‍तर पर अपनी पहचान बनाई. इसने भातीय पारंपरिक खाने को आधुनिक स्‍टैंडर्ड्स के साथ पेश कर खुद को एक ग्‍लोबल ब्रांड बनाने में कामयाबी हासिल की. संजय शर्मा ओर्कला इंडिया के सीईओ हैं, जो नॉर्वेजियन निवेश कंपनी ओर्कला एएसए की पोर्टफोलियो कंपनी है. ओर्कला इंडिया प्रमुख स्थानीय भारतीय खाद्य ब्रांडों का एक संग्रह है. ये प्रतिष्ठित विरासत ब्रांडों जैसे MTR और ईस्टर्न का मालिक है.

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विदेशों तक फैला है कारोबार

ओर्कला के पास फूड कंपनी एमटीआर फूड्स और ईस्टर्न कॉन्डीमेंट्स का मालिकाना हक है. भारत में इसके 4,000 से अधिक कर्मचारी हैं. ये कंपनियां भारत के अलावा विदेशों में भी अपने प्रोडक्‍ट बेचती है. यह ब्रांड अब अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मध्य पूर्व, जापान और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लगभग हर रसोईघर का अहम हिस्‍सा बन चुका है.

कैसा रहा वित्‍तीय प्रदर्शन?

मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक वित्‍त वर्ष 2024 में ओर्कला इंडिया ने इस फूड बिजनेस के जरिए करीब 2400 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू हासिल किया. ये नॉर्थ अमेरिका, वेस्‍ट एशिया, जापान और साउथ ईस्‍ट एशिया के कई देशों में अपने प्रोडक्‍ट बेचता है.