कौन है Vishal Mega Mart का फाउंडर, जिसे बेचनी पड़ी थी कंपनी, जानें क्या हुआ था ऐसा
हाईपर मार्केट स्टोर विशाल मेगा मार्ट का आईपीओ 18 दिसंबर को मार्केट में एंट्री करने वाला है. इसे लेकर अभी से काफी चर्चा है, लेकिन क्या आपको पता है इस पॉपुलर कंपनी की असली में नींव किसने रखी थी और क्यों उन्हें इसे बेचना पड़ा था, हम आपको इसी के बारे में बताएंगे.
हाईपर मार्केट स्टोर विशाल मेगा मार्ट का आईपीओ 18 दिसंबर को मार्केट में एंट्री करने वाला है. यह आईपीओ 11 दिसंबर से 13 दिसंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था. तीन दिनों के दौरान इसे कुल 27.28 गुना सब्सक्रिप्शन मिला. 8000 करोड़ रुपये के इस आईपीओ को लेकर निवेशक काफी उत्सुक हैं, हालांकि लिस्टिंग से पहले ही इसका जीएमपी लुढ़क गया है. यह आईपीओ पूरी तरह से ओएफएस पर आधारित है जिसमें कंपनी के प्रमोटर Samayat Services and Kedaara Capital Fund अपने शेयर बेचेंगे. मगर क्या आपको पता है देश के इस पॉपुलर हाईपर मार्केट स्टोर का फाउंडर कोई और था और उन्हें मजबूरी में इसे बेचना पड़ा था. तो कौन है विशाल मेगा मार्ट का फाउंडर और क्यों बेचनी पड़ी थी कंपनी, यहां जानें पूरी डिटेल.
इस शख्स ने रखी थी कंपनी की नींव
राम चंद्र अग्रवाल विशाल मेगा मार्ट के फाउंडर थे. उन्होंने साल 2001 में इसकी नींव रखी थी. उन्होंने कोलकाता में एक छोटे से गारमेंट स्टोर से इसकी शुरुआत की थी. उन्होंने कई साल इसकी जिम्मेदारी संभाली, लेकिन वह जिंदगी में इससे भी ज्यादा बड़ा करना चाहते थे, लिहाजा वह अपनी दूरदर्शिता और नया करने की चाहत को लेकर कोलकाता से दिल्ली चले आए. यहां उन्होंने विशाल मेगा मार्ट खोला. उनका बिजनेस चल पड़ा. देखते ही देखते देश भर में विशाल मेगा मार्ट के 400 से ज्यादा स्टोर्स खुल गए.
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कर्ज लेकर शुरू हुआ था सफर
राम चंद्र अग्रवाल ने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है. बचपन से ही वह शारीरिक रूप से अक्षम हैं, उन्हें पोलियो है. इसके बावजूद जिंदगी को लेकर उनका नजरिया हमेशा सकारात्मक रहा है. उन्होंने 26 साल की उम्र में नौकरी की, लेकिन एक साल बाद उन्हें महसूस हुआ कि नौकरी उनके लिए नहीं है. लिहाजा उन्होंने उधार लेकर साल 1986 में फोटोकॉपी की दुकान खोली. इसमें घाटा हुआ तो उसके सॉफ्ट ड्रिंक की दुकान खोली, लेकिन यह भी नहीं चली. फिर फैब्रिक का काम किया मगर सफलता तब भी नहीं मिली. आखिरकार उन्होंने कोलकाता में रेडीमेड कपड़ों की एक छोटी-सी दुकान खोल ली. 1993 में विशाल गारमेंट्स का नाम कोलकाता में होने लगा था. बाद में वह दिल्ली चले गए और यहां उन्होंने विशाल मेगा मार्ट स्टोर खोला था, यहीं से उनकी जिंदगी बदली थी.
क्यों बेचनी पड़ी थी कंपनी?
राम चंद्र अग्रवाल की विशाल मेगा मार्ट, स्टॉक मार्केट में भी लिस्ट थी. वह लगातार कामयाबी की सीढि़यां चढ़ रहे थे, लेकिन साल 2008 उनके लिए अच्छा साबित नहीं हुआ. स्टॉक मार्केट के गिरने से उनकी कंपनी के शेयर लुढ़क गए. साथ ही कंपनी में कुछ और दिक्कतें आ गई. न्यूज 9 की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय संकट के कारण राम चंद्र अग्रवाल को 750 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. मजबूरी में उन्हें अपना व्यवसाय श्री राम ग्रुप और टीपीजी कैपिटल को बेचना पड़ा. इसके बाद इस कंपनी को केदारा कैपिटल और पार्टनर्स ग्रुप ने खरीद लिया. उनके स्वामित्व में, विशाल मेगा मार्ट ने एक और बदलाव देखा. श्रीराम ग्रुप और टीपीजी कैपिटल ने कंपनी का आधा हिस्सा खरीदा, बाकी हिस्सा राम चंद्र अग्रवाल के पास रहा. तभी कंपनी दो हिस्सों में बंट गई थी. बाद में उन्होंने V2 रिटेल रिटेल ब्रांड के साथ व्यवसाय में दोबारा एंट्री ली. उनका यह बिजनेस भी प्रमुख शहरों में लोकप्रिय हुआ.