कौन है कल्याण ज्वेलर्स का मालिक, एक चूक पड़ गई कंपनी पर भारी, एक हफ्ते में डूबे 16606 करोड़
कल्याण ज्वेलर्स के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं. कंपनी के खिलाफ आ रही कुछ खबरों के चलते निवेशकों का भरोसा इससे डगमगा गया है, हालांकि 32 साल पुराने इस ज्वेलरी ब्रांड की मार्केट में धाक है. तो किसने की इस कंपनी की शुरुआत और कैसे बनीं इतनी बड़ी कंपनी यहां जानें पूरी डिटेल.
Kalyan Jewellers: कल्याण ज्वेलर्स इंडिया आजकल काफी सुर्खियों में है. कंपनी के एक प्रमोटर के खिलाफ FIR दर्ज होने से लेकर कंपनी पर इनकम टैक्स के छापे की खबर सामने आई थी, हालांकि कंपनी ने इसे अफवाह बताते हुए इसका खंडन किया था. मगर तब से इसके शेयरों में गिरावट का सिलसिला जारी है. 17 जनवरी यानी आज दोपहर कल्याण ज्वेलर्स के शेयर 6.17% की गिरावट के साथ 506.10 रुपये पर कारोबार कर रहा था. कंपनी को लेकर आई इन खबरों की वजह से निवेशकों का भरोसा डगमगा गया है, हालांकि इन सबके बावजूद 32 साल पुरानी ये कंपनी ये देश के नामी आभूषण ब्रांड्स में से एक है. अमिताभ बच्चन और कैटरीना कैफ जैसी मशहूर हस्तियां इस ब्रांड का हिस्सा रही हैं. तो कैसे हुई कल्याण ज्वेलर्स की शुरुआत और कौन है इसका मालिक, हम आपको इसी के बारे में बताएंगे.
क्यों धड़ाम हुए कल्याण ज्वेलर्स के शेयर?
कल्याण ज्वेलर्स के शेयरों में गिरावट तब आई जब कंपनी पर इनकम टैक्स के छापे पड़ने की खबर आई. इसके अलावा कंपनी के एक प्रमोटर के खिलाफ FIR दर्ज होने की भी खबर सामने आई थी. इसी के बाद से शेयरों में लगातार गिरावट देखने को मिली. हालांकि कंपनी ने इन सभी आरोपों को अफवाह बताते हुए इनका खंडन किया है. कंपनी के शेयर पिछले सात दिनों में 23.1% तक टूट गए, जिससे सात दिनों में निवेशकों के लगभग 16606 करोड़ डूब गए.
ये दिग्गज सितारे हैं ब्रांड एंबेस्डर
कल्याण ज्वेलर्स आभूषणों की दुनिया में एक बड़ा नाम है, इसकी देश-विदेश में पहचान है. ब्रांड को और पॉपुलर बनाने के लिए कंपनी ने अपने साथ कई नामी सितारों को जोड़ा. इसमें बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर साउथ के सुपरस्टार नागार्जुन भी शामिल हैं. इसके अलावा कैटरीना कैफ भी इस कंपनी की ब्रांड एंबेस्डर रही हैं.
कब हुई थी शुरुआत?
कल्याण ज्वेलर्स की स्थापना 1993 में कंपनी के संस्थापक टी. एस. कल्याणरामन ने की थी. योर स्टोरी की रिपोर्ट के मुताबिक केरल के त्रिशूर में पहले वह अपने पिता के साथ उनके टेक्सटाइल कारोबार को आगे बढ़ा रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने ज्वेलरी इंडस्ट्री में कदम रखने का फैसला किया. उन्होंने इससे जुड़ा एक किस्सा साझा करते हुए बताया था कि उनकी कपड़ों की दुकान जिस गली में थी वहां कई ज्वेलरी की दुकानें थीं, जिसे देखकर उनके मन में इस क्षेत्र में कदम रखने का ख्याल आया था, तभी कल्याण ज्वैलर्स की नींव पड़ी थी.
बचत और लोन लेकर शुरू किया था बिजनेस
योर स्टोरी के मुताबिक टी. एस. कल्याणरामन ने कल्याण ज्वेलर्स को शुरू करने के लिए अपनी निजी बचत से 25 लाख रुपये का इस्तेमाल किया था, साथ ही बैंक से 50 लाख रुपये का लोन लिया था. इंडस्ट्री से जुड़ी बारीकियों को समझने के लिए उद्योग के अन्य उद्यमियों के साथ अच्छे संबंध बनाए और सुनारों से जुड़े. सबसे पहले त्रिशूर में छोटी दुकान खोली बाद में 4,000 वर्ग फुट की जगह के साथ एक बड़े फॉर्मेट की दुकान खोली गई, जहां से इन्हें काफी पॉपुलैरिटी मिली. केरल के त्रिशूर में खोले गए कल्याण ज्वैलर्स की डिमांड बढ़ने लगी, जिससे पलक्कड़ और मल्लपुरम से भी ग्राहक आने लगे थे. धीरे-धीरे कंपनी ने और स्टोर्स खोलने शुरू किए.
देशभर में है 150 रिटेल स्टोर
कल्याण ज्वैलर्स के भारत और मध्य पूर्व में 150 रिटेल स्टोर हैं. इसकी 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कंपनी की मजबूत उपस्थिति है. ये कंपनी के शोरूमों का 120 से ज्यादा नेटवर्क सभी प्रमुख शहरों को कवर करता है. इसके अलावा, ‘माई कल्याण’ हब-एंड-स्पोक मॉडल आउटलेट, ग्राहक सेवा केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं, इसके जरिए कंपनी ग्रामीण क्षेत्रों में घरों तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है. कल्याण ज्वेलर्स की मौजूदगी महज भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. 30 जून, 2020 तक कंपनी के संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत और ओमान में फैले गल्फ देशों में 30 शोरूम हैं.
कौन है बोर्ड मेंबर्स?
टी. एस. कल्याणरामन कंपनी के CMD हैं, वहीं राजेश कल्याणरामन कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. रमेश कल्याणरामन भी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर की भूमिका में हैं. दोनों टी. एस. कल्याणरामन के बेटे हैं. ये सभी मिलकर अपने फैमिली बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं.
कैसी है वित्तीय स्थिति?
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के दौरान कल्याण ज्वेलर्स को 69 करोड़ रुपये का एकमुश्त घाटा हुआ है. वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में कंपनी भारत में इसका स्टैंडअलोन रेवेन्यू 9,914 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह 7,395 करोड़ रुपये था, यानी 34% से ये ज्यादा है.