कौन हैं यूसुफ अली जिन्‍होंने बनाया भारत का सबसे बड़ा मॉल, UAE में बनाया अरबों का साम्राज्‍य

देश के सबसे बड़े लूलू मॉल को बनाने वाले यूसुफ अली एमए का काम सिर्फ मॉल बनाना नहीं है. उनका कारोबार दुनिया के 22 देशों में फैला हुआ है. 1973 में वे अपने चाचा के साथ काम करने भारत छोड़कर अबूधाबी पहुंचे. आज उन्हें पश्चिम एशिया का रिटेल किंग कहा जाता है. आइए जानते हैं कैसे उन्होंने खाली जेब भारत छोडकर इतना बड़ा बिजनेस एंपायर खड़ा किया.

यूयुफ अली Image Credit: lulu website

लूलू ग्रूप के चेयरमैन यूसुफ अली को भारत में सबसे बड़े लूल मॉल के निर्माता के तौर पर जाना जाता है. लेकिन, 15 नवंबर, 1955 को केरल के त्रिशूर में यूसुफ अली मुसलियाम वीट्टिल अब्दुल कादर की सिर्फ यही एक पहचान नहीं है. यूसुफ महज 18 वर्ष की उम्र में 1973 में घर से खाली हाथ काम की तलाश में यूएई पहुंचे. वहां, उन्होंने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से आज अरबों डॉलर का विशाल व्यापारिक साम्राज्य खड़ा किया है.

आज वे दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल हैं. इसके साथ ही उनका नाम दुनिया के सबसे बड़े दानवीरों में भी शामिल किया जाता है. उन्होंने अबू धाबी में अपने चाचा एमके अब्दुल्ला के साथ काम की शुरुआत की थी. अब्दुल्ला एफएमसीजी सेक्टर में डिस्ट्रीब्यूशन का काम करते थे. यूसुफ चाचा के बिजनेस में ऐसे डूबे के सीधे पश्चिम एशिया के रिटेल किंग बनकर उबरे हैं. आज वे दुनिया के सबसे बड़े रिटेल इंडस्ट्रीयलिस्ट और इनोवेटर्स में शामिल हैं. उनका कारोबार 22 देशों में फैला है.

आपदा में अवसर खोजने में माहिर

खाली जेब, लेकिन आंखों में लाखों के सपने लिए केरल के त्रिशूर जब 18 साल की उम्र में यूसुफ पोर्ट राशिद पहुंचे, तो उन्हें सिर्फ एक अवसर की तलाश थी. करीब एक दशक में ही यूसुफ ने अपनी दूरदर्शिता से चाचा के छोटे से कारोबार को कई गुना बढ़ा दिया. 1980 के दशक में जब खाड़ी देश युद्ध से जूझ रहे थे, तो उन्होंने आपदा में अवसर तलाशते हुए अबू धाबी में सबसे बड़े रिटेल बाजार, लुलू सुपरमार्केट शुरू किया. युद्ध के तुरंत बाद जब यह सुपरमार्केट स्थानीय लोगों के साथ ही शाही परिवार को खूब पसंद आया. इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

कितना बड़ा है कारोबारी साम्राज्य

आज उनका कारोबारी साम्राज्य 22 देशों में फैला है. दुनियाभर में उनके 245 हाइपरमार्केट हैं. इसके अलावा शॉपिंग मॉल भी हैं. दुनियाभर में 60,000 से ज्यादा लोगों उनकी कंपनियों में काम कर रहे हैं. यूसुफ का कहना है कि यह उनके काम की बुनियाद है. यहां से अब वे शुरुआत कर रहे हैं. उनका लक्ष्य अब उत्तरी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी अमेरिका में अपने व्यापार को फैलाने का है

कारोबार को भविष्य के लिए सुरक्षित बनाने पर निवेश

यूसुफ सिर्फ एक इंडस्ट्रीयलिस्ट नहीं हैं. वे एक इनोवेटर भी हैं. हमेशा अपने कारोबार को भविष्य के लिए सुरक्षित बनाए रखने के लिए तकनीक और इनोवेशन के इस्तेमाल पर जोर देते हैं. इसके अलावा ग्राहकों की सुविधा को उनके समूह के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है.

दानवीरता में भी अव्वल

यूसुफ अली व्यक्तिगत तौर पर दयालुता को अपनी सबसे बड़ी ताकत मानते हैं. वे उन्होंने लगातार अपने भारत और संयुक्त अरब अमीरात सहित उन तमाम देशों में परोपकार करते रहे हैं, जहां कारोबार करते हैं. 2020 में जब दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी, तब लुलू ग्रुप ने दुनियाभर में एक करोड़ लोगों को खाना खिलाया. इसके अलावा भारत सरकार के साथ मिलकर केरल में कोविड-केंद्रित उपचार केंद्रों पर लगभग 65 करोड़ रुपये खर्च किए. केरल के कोल्लम में वृद्धावस्था गृह, गांधीभवन का भी वित्त पोषण करते हैं.

पद्मश्री से हो चुके हैं सम्मानित

यूसुफ अली का पश्चिम एशिया के तमाम शाही परिवार से गहरा रिश्ता है. वे अबू धाबी चैंबर ऑफ कॉमर्स (ADCCI) के बोर्ड में चुने गए एकमात्र गैर-अरबी सदस्य हैं. उन्हें संयुक्त अरब अमीरात की सर्वोच्च नागरिकता, यूएई स्थायी निवास गोल्ड कार्ड प्राप्त करने वाले पहले भारतीय होने का भी गौरव भी प्राप्त है. इसके अलावा सऊदी अरब की प्रीमियम रेसिडेंसी प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति हैं. भारत में यूसुफ अली को 2008 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया जा चुका है.

ये है उनकी कामयाबी का सीक्रेट

यूसुफ को उनकी खास प्रबंधन शैली के लिए जाना जाता है. ग्राहकों का भरोसा ही वह सुपरपॉवर है, जिससे उनका कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है. उनके व्यापार का फलसफा यही है कि उन्हें ग्राहकों के साथ मोलभाव नहीं करना, बल्कि उनके जीवन से जुड़ना है. इसके लिए वे ग्राहकों की जरूरतों को गहराई से समझने पर जोर देते हैं. इसी का नतीजा है कि आज उनका रिटेल कारोबार पश्चिम एशिया से निकलकर, एशिया, अमेरिका और यूरोप तक फैल गया है.