क्या रतन टाटा चुनकर गए हैं अपने 165 अरब डॉलर के साम्राज्य का उत्तराधिकारी? कैसे तय होगा नया नाम जानें
हर दिल अजीज रतन टाटा का बुधवार को देहांत हो गया. गुरुवार को मुंबई में उनका पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. रतन टाटा अपने पीछे करीब 165 अरब डॉलर का औद्योगिक साम्राज्य छोड़कर गए हैं. फिलहाल, यह साफ नहीं हुआ है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा. सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या रतन टाटा इनते बड़े समूह को नेतृत्व शून्यता की स्थिति में छोड़ गए हैं.
देश के सबसे बड़े और प्रभावशाली औद्योगिक घराने के मुखिया रतन टाटा के देहांत के बाद फिलहाल पूरी दुनिया टाटा समूह के नए मुखिया के ऐलान का इंतजार कर रही है. रतन टाटा अपने पीछे 165 अरब डॉलर का विशाल औद्योगिक साम्राज्य छोड़कर गए हैं. हालांकि, बार-बार यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे उन्होंने पहले ही किसी को अपना उत्तराधिकारी तय कर दिया था, या टाटा समूह के उत्तराधिकारी चुनने की कोई तय प्रक्रिया है, जिसके तहत समूह का नया नेता चुना जाएगा. आने वाले दिनों में इन सवालों के जवाब सामने होंगे.
फिलहाल, हम समझते हैं कि टाटा समूह क्या वाकई नेतृत्व शून्यता की स्थिति में है? इसका सीधा सपाट जवाब है नहीं, क्योंकि टाटा समूह का संचालन कोई व्यक्ति नहीं बल्कि ट्रस्ट करते हैं. इसके अलावा टाटा की तमाम कंपनियों के संचालन के लिए उनके अलग-अलग नेतृत्वकर्ता मौजूद हैं. इनके ऊपर टाटा ट्रस्ट के तमाम ट्रस्टी हैं. टाटा समूह की तमाम कंपनियों की मालिक टाटा संस की 60 फीसदी हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट के पास है. यही वजह है कि सभी यह जानने को उत्सुक हैं इन ट्रस्ट का चेयरमैन कौन होगा.
कैसे होगा नए मुखिया का चयन
टाटा ट्रस्ट के नए मुखिया का चयन ट्रस्टी बोर्ड करेगा. फिलहाल, संभव है कि किसी को अंतरिम चेयरमैन चुना जाए और बाद में तमाम हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने के बाद टाटा ट्रस्ट का नया चेयरमैन तय किया जाए. फिलहाल, दो नाम प्रमुखता से सबके सामने आ रहे हैं. इनमें पहला नाम रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा का है. इसके अलावा दूसरा नाम पलोनजी मिस्त्री के परिवार से कोई व्यक्ति हो सकता है.
नेतृत्व पर विवाद संभव
ऐतिहासिक रूप से टाटा ट्रस्ट का नेतृत्व टाटा परिवार ही करता रहा है. भारत का पारसी समुदाय टाटा समूह से बहुत गहराई से जुड़ा है. ऐसे में कोई भी फैसला समुदाय के बड़े हितधारकों की सहमति के बिना नहीं लिया जाता है. फिलहाल, नोएल के सामने पलोनजी मिस्त्री व उनके परिवार की दावेदारी है. इसे लेकर टाटा और मिस्त्री परिवार के बीच टकराव हो सकता है, क्योंकि रतन टाटा ने पलोनजी के दिवंगत बेटे साइरस मिस्त्री से टाटा समूह का नेतृत्व वापस लेने के लिए काफी संघर्ष किया था.
नोएल की दावेदारी क्यों मजबूत
रतन टाटा ने टाटा संस और टाटा ट्रस्ट दोनों का नेतृत्व किया. परिवार के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक नोएल फिलहाल टाटा इंटरनेशनल के अध्यक्ष हैं. उनके पास समूह की कई कंपनियों के संचालन का व्यापक अनुभव है. वे टाटा ट्रस्ट के सदस्य भी हैं. इसके अलावा पारसी समुदाय के बीच भी उनकी सकारात्मक छवि है. ऐसे में उन्हें एक स्वाभाविक और काबिल उत्तराधिकारी माना जा रहा है.
नोएल ने कंपनियों का नेतृत्व किया
नोएल ने टाटा इंटरनेशनल, टाटा ट्रेंट और वोल्टास का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है. हालांकि, टाटा संस के साथ उनका सीमित अनुभव उनकी दावेदारी को कमजोर करता है. हालांकि, यह पूरी तरह से ट्रस्टी बोर्ड के रुख पर निर्भर करता है. अगर बोर्ड को लगेगा, तो टाटा समूह का नेतृत्व मिस्त्री परिवार को दिया जा सकता है.
मिस्त्री परिवार का कितना दखल
टाटा संस में 18.37% की हिस्सेदारी रखने वाला शापूरजी पलोनजी समूह टाटा ट्रस्ट के अगले प्रमुख के चयन में प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं रखता है. लेकिन टाटा समूह के फैसले लेते समय उन्हें बोर्डरूम पर्याप्त जगह दी जाती है. भविष्य के किसी भी नेतृत्व के निर्णय में पलोनजी परिवार के साथ सहमति बेहद अहम होगी.