कॉपर के चक्कर में क्यों फंस गए अडानी, बिड़ला, जिंदल, जानें क्यों बना सोने का अंडा
अडानी, बिड़ला और जिंदल जैसे दिग्गज समूह इन-दिनों कॉपर इंडस्ट्री में खूब दिलचस्पी दिखा रहे हैं. उन्होंने भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए तार और केबल यानी C&W सेक्टर में कदम रखा है. तीनों ने कई नए कॉन्ट्रैक्ट करने के साथ निवेश की रणनीतियां भी तैयार की हैं.

Adani, Birla and Jindal group entry in C&W: कॉपर सेक्टर पर आजकल देश के बड़े-बड़े दिग्गजों की नजर है. यही वजह है कि हाल के चंद महीनों में ही तीन बड़े समूह अडानी, बिरला और जिंदल ने इस सेक्टर में एंट्री की है. आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट ने जहां कॉपर सेक्टर में अगले दो वर्षों में 1,800 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है, तो वहीं अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी कच्छ कॉपर लिमिटेड (KCL) ने भी इसमें हाथ आजमाया है. इसके अलावा JSW यानी जिंदल ग्रुप ने भी साल 2028-29 तक ओडिशा में 500,000 मीट्रिक टन क्षमता का तांबा स्मेल्टर प्लांट लगाने की योजना बनाई है. तो आखिरकार क्यों इनकी कॉपर सेक्टर में दिलचस्पी बढ़ी है और क्या है प्लान जानें पूरी डिटेल.
बिड़ला की प्लानिंग
बिड़ला ग्रुप पिछले साल बिड़ला ओपस लॉन्च करके पहले ही बिल्डिंग प्रोडक्ट्स जैसे पेंट और वुड फिनिश में उतर चुका है. अब तार और केबल यानी C&W सेक्टर में कदम रखकर ये ग्रुप कंस्ट्रक्शन के पूरे वैल्यू चेन में अपनी पकड़ मज़बूत करना चाहता है. ये व्हाइट सीमेंट से लेकर वॉल पुट्टी, पेंट में जलवा कायम करने के बाद अब तार-केबल तक छाने की तैयारी में है. बिड़ला ग्रुप के पास हिंडाल्को का कॉपर और एल्युमिनियम बिजनेस है, जो इस नए वेंचर के लिए मददगार साबित हो सकता है.
अडानी ग्रुप भी नहीं है पीछे
बिड़ला ही नहीं कॉपर सेक्टर में अडानी समूह भी अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार है. ग्रुप का मकसद अपने सीमेंट बिजनेस के अलावा C&W सेक्टर में पैर जमाना है. अडानी ने पहले सीमेंट बिजनेस में एंट्री की थी. अब कंपनी कच्छ कॉपर के ज़रिए कॉपर सेक्टर में एंट्री की हैं, जो इनके ग्रीन एनर्जी प्लान को सपोर्ट करेगा. अडानी अपनी ट्रेडिंग, लॉजिस्टिक्स, रिन्यूएबल पावर और इंफ्रा क्षमता के बल पर ग्लोबल कॉपर मार्केट में बड़ा नाम बनाने की तैयारी में है.
जिंदल ने भी दिखाया दम
अडानी और बिड़ला के अलावा एक और ग्रुप ने कॉपर बिजनेस में एंट्री ली है, जिसका नाम जिंदल समूह यानी JSW है. ये भी C&W सेक्टर में अपना दम दिखाने को तैयार है. स्टील और बिजली बनाने वाला ये ग्रुप ओडिशा में 2028/29 तक 5 लाख मीट्रिक टन का कॉपर स्मेल्टर प्लांट लगाएगा. साथ ही इसकी प्लानिंग पेरू और चिली से कॉपर लाने और 2,600 करोड़ रुपये का निवेश करने की है. JSW हिंदुस्तान कॉपर की दो खदानों को 20 साल तक ऑपरेट करेगा, जिसे 10 साल और बढ़ाने के बारे में भी विचार किया जा रहा है.
छोटे प्लेयर की उड़ी नींद
कॉपर सेक्टर में बड़े-बड़े दिग्गज खिलाड़ियों की एंट्री से छोटे-मोटे प्लेयर घबरा गए हैं. C&W की बड़ी कंपनी KEI इंडस्ट्रीज़, polycab इंडिया और हेवल्स इंडिया जैसे नामी कंपनियों के शेयरों में हाल ही में गिरावट देखने को मिली थी. अडानी, बिड़ला और जिंदल के इस सेग्मेंट में कदम रखने की खबर के बाद ही इन छोटी कंपनियों के शेयरों पर असर देखने को मिला था.
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डिमांड का दम
जानकारों के मुताबिक, C&W सेक्टर में डिमांड बहुत ज्यादा है. उत्पादों की घरेलू और वैश्विक मांग को देखते हुए और इंफ्रास्ट्रक्चर एवं औद्योगिक विस्तार के कारण इसमें विकास की काफी संभावनाएं हैं. इसके अलावा इलेक्ट्रिफिकेशन, इंफ्रा डेवलपमेंट, पावर ट्रांसमिशन, रियल एस्टेट और ट्रांसपोर्टेशन की वजह से घरेलू बाज़ार 11-13% CAGR बढ़ने का अनुमान है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक इस इंडस्ट्री में कोई भी सिंगल प्लेयर 15% से ज़्यादा वायर या 20% से ज़्यादा केबल मार्केट पर कब्ज़ा नहीं कर सका है. इसमें करीब 400 प्लेयर हैं, जिनका रेवेन्यू 50 करोड़ से 400 करोड़ के बीच है. ऐसे में बड़े खिलाड़ियों के लिए ये सेक्टर मौके से भरा हुआ है, जिसके चलते ये उन्हें निवेश के लिए प्रेरित कर रहा है.
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