विदेशी निवेशकों की बिकवाली का सिलसिला जारी, बाजार से अब तक निकाल चुके हैं 137354 करोड़ रुपये
भारतीय शेयर बाजार में जारी गिरावट के बीच विदेशी निवेशकों की बड़े पैमाने पर निकासी जारी है. लगातार बिकवाली के कारण बाजार की स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ रही है. विदेशी निवेशक भारत की अर्थव्यवस्था और कॉरपोरेट प्रदर्शन पर सतर्क रुख अपना रहे हैं.इस बिकवाली के प्रमुख कारणों में भारतीय कंपनियों की कमजोर कमाई, अपेक्षा से धीमी GDP वृद्धि और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में तेज बढ़ोतरी शामिल हैं.

Share Market: भारतीय शेयर मार्केट में लगातार गिरावट के बीच विदेशी निवेशक बाजार से बड़े स्तर पर पैसा निकाल रहे हैं. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च के पहले सप्ताह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 24,753 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की है. यानी विदेशी निवेशकों ने शेयर मार्केट से 24,753 रुपये निकाल लिए हैं. इससे 2025 में कुल शुद्ध FPI निकासी 1,37,354 करोड़ रुपये हो गई है.
खास बात यह है कि लगातार बिकवाली के चलते बाजार की स्थिरता को लेकर चिंताएं भी बढ़ गई हैं. विदेशी निवेशक भारत की आर्थिक और कॉर्पोरेट प्रदर्शन को लेकर सावधानी बरत रहे हैं. हालांकि, इस लगातार बिकवाली के पीछे के मुख्य कारण भारतीय कंपनियों की कमजोर कमाई, अनुमान से धीमी GDP वृद्धि और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में तेज बढ़ोतरी हैं. क्योंकि मजबूत डॉलर उभरते बाजारों में निवेश को कम आकर्षक बना देता है, जिससे भारत जैसे देशों से पूंजी निकासी बढ़ जाती है.
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निवेशकों ने 34,574 करोड़ रुपये के शेयर बेचे
इसके अलावा विदेशी निवेशकों के बीच वैल्यूएशन से जुड़ी चिंताएं भी भारतीय शेयर बाजार से पूंजी निकासी की एक बड़ी वजह हैं. कई विदेशी निवेशकों का मानना है कि भारतीय शेयर अन्य उभरते बाजारों की तुलना में महंगे हैं. इसलिए, वे अपनी पूंजी उन बाजारों में ट्रांसफर कर रहे हैं जहां बेहतर विकास संभावनाएं और कम जोखिम हैं. पिछले महीने फरवरी में विदेशी निवेशकों ने 34,574 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. जारी एफपीआई निकासी ने बाजार की स्थिरता को प्रभावित किया है, जिससे भारतीय शेयरों में अस्थिरता आई है.
जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये की निकासी
जनवरी में FPI ने भारतीय शेयर बाजार से 78,027 करोड़ रुपये की निकासी की. वहीं, पिछले साल दिसंबर में उनका शुद्ध निवेश सकारात्मक था, जब उन्होंने भारतीय इक्विटी में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था. हालांकि, 2024 की समाप्ति सकारात्मक रही, लेकिन भारतीय शेयर बाजार में FPI की शुद्ध खरीदारी घटकर सिर्फ 427 करोड़ रुपये रह गई. देश में 2024 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में भारी गिरावट देखी गई, जहां शुद्ध निवेश पिछले साल की तुलना में 99 फीसदी कम हो गया.
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