Delhivery ने घाटे वाली Ecom Express को क्यों खरीदा, पीछे छुपा है ये दांव; क्या बनेगा फायदे का सौदा!

पिछले कुछ दिनों से लॉजिस्टिक इंडस्ट्री का माहौल काफी गरमाया हुआ है. डेल्हीवरी के ईकॉम एक्सप्रेस को खरीदना इस माहौल का मूल कारण है. ईकॉम एक्सप्रेस एक घाटे वाली कंपनी है, अब सवाल उठता है कि डेल्हीवरी का यह कदम उसके लिए कितना फायदेमंद है.

क्या है डिल्हीवरी के इस सौदे का मतलब? Image Credit: @Money9live

Why Delhivery buys Ecom Express: ईकॉम एक्सप्रेस (Ecom Express) और डेल्हीवरी के बीच हुए हालिया सौदे ने भारत की लॉजिस्टिक इंडस्ट्री का माहौल बदल दिया है. जिस तरह बेहद कम वैल्यूएशन पर दोनों कंपनियों के बीच डील हुई है, उसके बाद से सौदे को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल अप्रैल की शुरुआत में डेल्हीवरी (Delhivery) ने ईकॉम एक्सप्रेस को उसके वैल्यूएशन से करीब 80 फीसदी कम कीमत में खरीद लिया. डेल्हीवरी ने यह डील केवल 1,407 करोड़ रुपये में की है. जबकि ईकॉम एक्सप्रेस का अपने पीक पर वैल्यूएशन 7000 करोड़ रुपये के आसपास था. इस डील के बाद सवाल उठता है कि डेल्हीवरी को इतना बड़ा डिस्काउंट क्यों मिल रहा है.

इसका जवाब अगर एक शब्द में दें तो वह होगा मीशो. आपने मीशो की कहानी तो जरूर सुनी होगी. अगर नहीं सुनी तो वह हम आपको इस स्टोरी में आगे बताएंगे. उससे पहले हम आपको बताने वाले हैं कि डेल्हीवरी ने आखिर एक लॉस मेकिंग कंपनी जिसका वैल्यूएशन इतना घट गया है, उसे खरीदा क्यों . इसके पीछे डेल्हीवरी की क्या सोच है. वजह से पहले ईकॉम एक्सप्रेस की लगातार घटती वित्तीय स्थिति को समझते हैं.

ईकॉम एक्सप्रेस की वित्तीय स्थिति

ईकॉम एक्सप्रेस का घाटा पिछले 4 सालों में तकरीबन 9 गुना बढ़ चुका है. वित्त वर्ष 22 में कंपनी को 46 करोड़ रुपये का घाटा होता था जो कि वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 360 करोड़ हो गया. वित्त वर्ष 24 में स्थिति थोड़ी बेहतर नजर आई लेकिन वित्त वर्ष 25 के शुरुआती 9 महीनों में स्थिति फिर गड़बड़ होकर 398 करोड़ के घाटे पर पहुंच गई. इस दौरान कंपनी के शिपमेंट में भी कटौती आई है. वित्त वर्ष 22 में वह 37.2 करोड़ शिपमेंट करते थे, वित्त वर्ष 23 और 24 में वह बढ़कर क्रमश: 46.8 करोड़ और 51.4 करोड़ हुई थी. लेकिन बीते वित्त वर्ष के पहले 9 महीने में वह 40.5 करोड़ के आस पास ही पहुंची.

डेल्हीवरी ने क्यों की ईकॉम एक्सप्रेस की खरीदारी?

अब असल सवाल का जवाब कि आखिर लॉस मेकिंग कंपनी को डेल्हीवरी ने क्यों खरीदा है. इंडस्ट्री डेल्हीवरी के इस कदम को काफी स्ट्रैटिजिक तौर पर देखती है. लॉजिस्टिक एक स्केल ड्रिवेन बिजनेस है. जब भी वॉल्यूम बढ़ती है, शिपमेंट की डेंसिटी और उसका कॉस्ट भी उसी तेजी से बढ़ने लगता है. ईकॉम एक्सप्रेस की खरीद के बाद डेल्हीवेरी को पूरे डेंसिटी और वॉल्यूम का फायदा होने वाला है. डेल्हीवरी के बाद लॉजिस्टिक के क्षेत्र में ईकॉम एक्सप्रेस 27 फीसदी के B2B ई-कॉमर्स शेयर के साथ दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है.

मैपमाईइंडिया के अनुसार, ईकॉम के पास 27,000 पिन कोड के साथ इंडस्ट्री का 97 फीसदी इंडियन पॉपुलेशन कवरेज है. डेल्हीवरी को इस डील के बाद मार्केट में हिस्सेदारी 56 फीसदी पहुंच जाएगी. आसान भाषा में कहें तो ईकॉम एक्सप्रेस की खरीद डेल्हीवरी के शिपमेंट वॉल्यूम में बढ़ोतरी के अलावा कई दूसरे स्तर पर कंपनी को फायदा पहुंचा सकती है.

क्या बदलेगी डेल्हीवरी की वित्तीय स्थिति?

ईकॉम एक्सप्रेस की खरीद क्या डेल्हीवरी की वित्तीय स्थिति सुधार सकती है. कंपनी जो पिछले 4 सालों से घाटा झेल रही है, वह क्या अब प्रॉफिट में जा सकती है. डाटा की मानें तो डेल्हीवरी की वित्तीय स्थिति में बदलाव तो दिख रहा है. वित्त वर्ष 2021-22 में डेल्हीवरी को 1,011 करोड़ रुपये का घाटा रिपोर्ट हुआ था. एक साल बाद यानी वित्त वर्ष 23 में वह 1,008 करोड़ रुपये हुआ. पिछले वित्त वर्ष यानी 24 में घाटा घटकर 249 करोड़ हुआ और अब (वित्त वर्ष 25 के पहले 9 महीने में) डेल्हीवरी ने 90 करोड़ रुपये का प्रॉफिट दर्ज किया है. साफ है कि डेल्हीवरी मुनाफे की तरफ बढ़ गई है. ऐसे में एक्सपेंशन और अधिग्रहण फायदे का सौदा हो सकता है. डेल्हीवरी की वित्तीस स्थिति को नीच के टेबल से बेहतर ढंग से समझ सकते हैं.

डेल्हीवरी की वित्तीय स्थिति

अब बात डेल्हीवरी की. पिछले कुछ वित्त वर्ष से डेल्हीवरी की वित्तीय स्थिति नुकसान से भरी रही है. वित्त वर्ष 2021-22 में ऑपरेशन से मिला रेवेन्यू 6,882 करोड़ रुपये था. वहीं इस वित्त वर्ष में कुल घाटा 1,011 करोड़ रुपये रहा था. 

वित्त वर्षऑपरेशन से रेवेन्यू नेट प्रॉफिट/लॉस
वित्त वर्ष 2021-226,882 करोड़ रुपये-1,011 करोड़ रुपये
वित्त वर्ष 2022-237,225 करोड़ रुपये-1,008 करोड़ रुपये
वित्त वर्ष 2023-248,142 करोड़ रुपये-249 करोड़ रुपये
9 महीने वित्त वर्ष 2024-256,740 करोड़ रुपये90 करोड़ रुपये

मीशो ने डुबाई ईकॉम की लुटिया

Meesho एक ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट है. दरअसल ईकॉम एक्सप्रेस की निर्भरता मीशो के ऊपर 50 फीसदी तक की है.  लेकिन पिछले साल यानी 2024 के फरवरी महीने में मीशो ने अपना इन हाउस लॉजिस्टिक कंपनी की शुरुआत कर दी, Valmo. इस नई लॉजिस्टिक के बाद ईकॉम एक्सप्रेस के बिजनेस का बड़ा हिस्सा वाल्मो के पास चला गया. दिसंबर 2024 तक, वाल्मो के पास मीशो का आधा से ज्यादा ऑर्डर 15,000 पिन कोड तक डिलीवरी करने लगी थी.

इंडस्ट्री ने ईकॉम एक्सप्रेस के कम वैल्यूएशन की सबसे बड़ी वजह मीशो और उसकी वोल्मो को ही मानी है. इन्हीं तमाम वजहों से ईकॉम का रेवेन्यू घट रहा है. वित्त वर्ष 2024-25 के शुरुआती 9 महीने में कंपनी का रेवेन्यू 1.912 करोड़ रुपये रहा है. वहीं साल भर का अनुमानित रेवेन्यू तकरीबन 2,500 करोड़ रुपये हो सकता है. वित्त वर्ष 2023-24 के मुकाबले कंपनी के रेवेन्यू में तकरीबन 4 फीसदी की गिरावट आई है.