वर्क लाइफ बैलेंस पर गौतम अडानी का अलग फॉर्मूला, कहा- कुछ भी करें… पर 4 घंटे ये काम जरूरी

वर्क लाइफ बैलेंस पर छिड़ी बहस के बीच उद्योगपति गौतम अडानी ने भी अपनी बात रखी. एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा उसी का वर्क लाइफ बैलेंस बेहतर होगा, जिन्हें अपने काम में मजा आता है. उन्होंने कहा मुझे जिस काम में खुशी मिलती है, वही मैं करता हूं. इसलिए मेरा वर्क-लाइफ बैलेंस ठीक रहता है.

उद्योगपति गौतम अडानी Image Credit: tv9 भारतवर्ष

Infosys के को-फाउंडर एन. आर. नारायण मूर्ति ने जब से 70 घंटे काम करने को लेकर बयान दिया है, तब से वर्क-लाइफ बैलेंस पर बहस तेज हो गई है. इसी मुद्दे पर उद्योगपति गौतम अडानी ने भी अपनी राय रखी है. उन्होंने एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अगर आप अपने काम का आनंद लेते हैं, तो आपकी लाइफ में वर्क-लाइफ बैलेंस बेहतर रहेगा. गौतम अडानी ने आगे कहा, “मुझे जिस काम में खुशी मिलती है, वही मैं करता हूं. इसलिए मेरा वर्क-लाइफ बैलेंस ठीक रहता है.” साथ ही उन्होंने यह भी सलाह दी कि हर किसी को रोजाना कम से कम 4 घंटे अपने परिवार के साथ बिताने चाहिए.

सभी का Work life Balance अलग होता है

गौतम अडानी का मानना है कि हर व्यक्ति का वर्क-लाइफ बैलेंस अलग होता है. उन्होंने कहा, “आपका वर्क-लाइफ बैलेंस मैं आप पर थोप नहीं सकता और न ही आप मेरा मुझ पर. हर किसी को अलग-अलग चीजों में खुशी मिलती है.”

वर्क-लाइफ बैलेंस पर चर्चा कैसे शुरू हुई?

भारत में वर्क-लाइफ बैलेंस पर चर्चा तब शुरू हुई जब नारायण मूर्ति ने देश की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए युवाओं को हफ्ते में 6 दिन और 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया था. उनके इस बयान के बाद शार्क टैंक इंडिया की जज नमिता थापर और अनुपम मित्तल के बीच भी तीखी बहस हुई.

वर्क-लाइफ बैलेंस पर क्या कहता है सर्वे?

ग्लोबल जॉब प्लेटफॉर्म Indeed के एक सर्वे में पता चला कि 88% भारतीय कर्मचारी मानते हैं कि उनके एम्प्लॉयर्स काम के बाद भी संपर्क में रहते हैं. वहीं 85% कर्मचारियों का कहना है कि बीमार होने या छुट्टियों के दौरान भी उन्हें काम करना पड़ता है. सर्वे में यह भी सामने आया कि 81% कर्मचारी इस बात से चिंतित रहते हैं कि अगर वे अपने काम और निजी जीवन के बीच सीमाएं नहीं बनाएंगे, तो उन्हें अच्छे मौके नहीं मिलेंगे. इसके अलावा, कई कर्मचारी इसलिए भी ज्यादा काम करते हैं ताकि वे समय पर काम की डेडलाइन पूरी कर सकें.

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