शेयर बाजार, सोना धड़ाम.. ये क्या हो रहा है ? जिम्मेदार कौन

आम निवेशकों को समझ नहीं आ रहा है कि जो बाजार लगातार ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बना रहा था, वह गोता क्यों लगाए जा रहा है। हर छोटा निवेशक यही सोच रहा है कि आखिर यह कहां तक गिरेगा।

Share Bazar And Gold Price: ये क्या हो रहा है.. ये क्या हो रहा है.. बॉलीवुड का ये गाना आजकल निवेशकों और बड़े फाइनेंशियल पंडितों को याद आ रहा है। याद आए भी क्यों ना, जब करीब डेढ़ महीने में अकेले शेयर बाजार ने निवेशकों के 48 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा डुबो दिए हैं। आम निवेशकों को समझ नहीं आ रहा है कि जो बाजार लगातार ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बना रहा था, वह गोता क्यों लगाए जा रहा है। हर छोटा निवेशक यही सोच रहा है कि आखिर यह कहां तक गिरेगा। आलम यह है कि एक महीने में कई छोटे निवेशकों की शेयर बाजार में लगी रकम की वैल्यू 30-40 फीसदी तक गिर गई है। बात शेयर बाजार तक सीमित होती तो भी चल जाता, अब सोना भी लोगों को परेशान कर रहा है। क्योंकि जो सोना 75 हजार के आंकड़े को छोटा समझ, 80 हजार छू रहा था, अब उसके 70-72 हजार पर आने के कयास लगाये जा रहे हैं। शेयर बाजार और सोने की गिरावट ने बहुत से छोटे निवेशकों की नींद उड़ा दी है।

डूब गए 48 लाख करोड़

सबसे पहले भारतीय शेयर बाजार पर नजर डालते है। बीएसई सेंसेक्स जून 2024 से ही परवान पर था, 24 जून 2024 को मार्केट कैप 435.8 लाख करोड़ रुपये था। चाहे घरेलू निवेशक हों या विदेशी निवेशक सभी उत्साहित थे। केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बन चुकी थी और निवेशकों के मन से यह शंका भी खत्म हो गई थी कि गठबंधन की सरकार में मोदी कमजोर होंगे। फिर क्या था, बाजार में जमकर खरीदारी हो रही थी। इसमें चीन की सुस्त इकोनॉमी ने भी निवेशकों को भारत की ओर मोड़ दिया था। ऐसे में बाजार हर रोज रिकॉर्ड बना रहा था। और 26 सितंबर को वह अपने ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया। उसकी मार्केट कैप करीब 53 लाख करोड़ बढ़कर 478.3 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। इसी दिन सेंसेक्स ने भी 85 हजार का आंकड़ा पहली बार पार कर लिया। उस समय छोटे निवेशक बम बम थे। आईपीओ बाजार की हरियाली ने लोगों को और आकर्षित किया। लेकिन अब यह उफान थम गया है। और 13 नवंबर तक लोगों को ने जितना पैसा कमाया था, वह डूब चुका है। लोगों ने 26 सितंबर से 13 नवंबर के बीच करीब 48 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए हैं।

अचानक ऐसा क्या हुआ

सवाल उठता है कि अचानक ऐसा क्या हो गया। तो उसकी वजहें भी जान लीजिए। इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिकी चुनाव है। ट्रंप की जीत से पहले नतीजे को लेकर अनिश्चितता था। जबकि ट्रंप की जीत के बाद निवेशकों को लगता है कि आने वाले समय में दुनिया में अनिश्चितता रहेगी। इसके अलावा चीन ने जो राहत पैकेज दिया, उसके बाद विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। अक्टूबर और नवंबर में विदेशी संस्थागतों ने कुल मिलाकर नेट 1.41 लाख करोड़ रुपये की पूंजी निकाली है। इसके अलावा डॉलर रुपये के मुकाबले लगाता मजबूत हो रहा है। इस वजह से भी निवेशक अब अमेरिकी बाजार में पैसा लगा रहे हैं। वहीं घरेलू स्तर पर कंपनियों के नतीजे निराशा जनक रहे हैं। साथ ही महंगाई भी परेशान कर रही है। ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार में गिरावट का दौर अभी कुछ दिन जारी रह सकता है।

कितना गिरेगा सोना

दूसरा सवाल सोने का है, आम तौर पर ऐसा होता है कि जब शेयर बाजार गिरता है तो सोने की कीमतें बढ़ती हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। उसकी वजह भी अमेरिका है। अमेरिका में डॉलर मजबूत हो रहा है। ट्रंप की जीत के बाद डॉलर इंडेक्स जून 2024 के बाद सबसे ऊपर के स्तर पर है और वह 106 के लेवल पर पहुंच गया है। इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध खत्म होने की संभावना ने भी सोने की मांग घटा दी है। तीसरी अहम बात यह है कि निवेशक ट्रंप की जीत के बाद बिटकॉइन में पैसा लगा रहे हैं। इससे भी सोने की कीमतें गिरी है। जबकि बिटकॉइन रिकॉर्ड बना रहा है। संभावना है कि जब तक ट्रंप कार्यभार नहीं संभालते हैं, तब तक उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।साफ है कि घरेलू और विदेशी स्तर पर अनिश्चिचतता छाई हुई है। जिसका असर शेयर बाजार और सोने पर दिख रहा है। ऐसे में यह समय सचेत रहने का है और बड़े निवेश से बचने का है।

भारतीय इकोनॉमी में भी अच्छे संकेत नहीं

भले ही भारतीय इकोनॉमी, इस समय दुनिया की सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली इकोनॉमी है। लेकिन इस समय कुछ ऐसे फैक्टर हैं, जो इकोनॉमी के अच्छी सेहत के संकेत नहीं दे रहे हैं। सबसे पहले महंगाई की बात, खुदरा महंगाई (6.21 फीसदी) खाने-पीने की बढ़ती कीमतों की वजह से 14 महीने के टॉप पर हैं। इसकी अलावा एफएमसीजी कंपनियों के नतीजों से साफ है कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में खपत कम हुई है। वहीं देश की प्रमुख माइक्रो फाइनेंस कंपनियों और स्मॉल फाइनेंस बैंक के लोन डिफॉल्ट बढ़े हैं। बढ़ते बैड लोन का असर स्पंदन,क्रेडिट एक्सेस, बंधन जैसे बैंकों पर दिख रहा है। यानी कम इनकम वाले लोग पैसा नहीं चुका पा रहे हैं।