8th Pay Commission: सबसे ज्यादा किस वेतन आयोग में बढ़ी थी सैलरी, क्या 8वां तोड़ेगा रिकॉर्ड

सरकारी कर्मचारियों के वेतन में अब तक सबसे ज्यादा बढ़ोतरी किस वेतन आयोग में हुई थी? क्या 8वां वेतन आयोग पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ देगा? जानिए वेतन आयोगों के इतिहास से जुड़ी अहम जानकारियां और इस बार की संभावनाएं.

8th Pay Commission Image Credit: Getty/jayk7

8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है. इस फैसले के बाद केंद्र सरकार के तमाम कर्मचारियों के साथ ही पेंशनरों में भी खुशी की लहर है. 8वें वेतन आयोग के लिए यूनियन 2.86 फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रहे हैं. अगर इसे सरकार मान लेती है तो वर्तमान में 18,000 रुपये न्यूनतम वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सैलरी बढ़कर 51,480 रुपये तक हो सकती है. पिछले कुछ दिनों से इस वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज थीं और अब इसकी आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है. आइए जानते हैं, पहले वेतन आयोग से लेकर सातवें वेतन आयोग तक सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में कितना बदलाव आया.

  1. पहला वेतन आयोग (1946-1947)

आजादी से पहले, मई 1946 में पहला वेतन आयोग गठित हुआ था जिसकी रिपोर्ट मई 1947 में आई. श्रीनिवास वरदाचर्य की अध्यक्षता में गठित इस आयोग ने ‘जीविका योग्य वेतन’ (wage sufficient for living) की अवधारणा पेश की. इसमें न्यूनतम वेतन 55 रुपये और अधिकतम वेतन 2,000 रुपये प्रति माह तय किया गया था. उस समय 15 लाख कर्मचारियों को इसका लाभ मिला था.

  1. दूसरा वेतन आयोग (1957-1959)

पहले वेतन आयोग के 10 साल बाद, अगस्त 1957 में दूसरा वेतन आयोग गठित हुआ जिसकी अध्यक्षता जगन्नाथ दास ने की थी. इस आयोग ने वेतन संरचना में समाजवादी नजरिया अपनाया और महंगाई को ध्यान में रखते हुए वेतन निर्धारित किया. इस आयोग की सिफारिशों के बाद न्यूनतम वेतन 80 रुपये प्रति माह हो गया, जिससे करीब 80 लाख कर्मचारियों को फायदा हुआ.

  1. तीसरा वेतन आयोग (1970-1971)

अप्रैल 1970 में गठित तीसरे वेतन आयोग की अध्यक्षता रघुबीर दयाल ने की थी. इस आयोग का मुख्य उद्देश्य सरकारी और निजी नौकरियों के वेतन में असमानता को कम करना था. इसकी सिफारिशों के तहत न्यूनतम वेतन 185 रुपये तय किया गया, जिससे 30 लाख कर्मचारियों को लाभ मिला.

  1. चौथा वेतन आयोग (1983-1986)

सितंबर 1983 में गठित चौथे वेतन आयोग ने दिसंबर 1986 में अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस आयोग का उद्देश्य वेतन असमानता को और कम करना था. इसके तहत न्यूनतम वेतन 750 रुपये प्रति माह कर दिया गया.

  1. पांचवां वेतन आयोग (1994-1997)

अप्रैल 1994 में गठित इस आयोग की अध्यक्षता जस्टिस एस. रत्नवेल पांडियन ने की थी. पहली बार, इस आयोग में न्यूनतम वेतन 2,550 रुपये प्रति माह से अधिक तय किया गया. वेतन ढांचे में बड़े बदलाव किए गए जिससे 40 लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ हुआ.

  1. छठा वेतन आयोग (2006-2008)

अक्टूबर 2006 में गठित इस वेतन आयोग की अध्यक्षता जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्ण ने की थी. यह पहला वेतन आयोग था जिसने ‘पे बैंड’ और ‘ग्रेड पे’ की अवधारणा पेश की. इस आयोग ने न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये प्रति माह तय किया, जबकि अधिकतम वेतन 80,000 रुपये प्रति माह रखा गया. साथ ही, प्रदर्शन आधारित भत्ते (performance awards) भी जोड़े गए जिससे 60 लाख से अधिक कर्मचारी लाभान्वित हुए.

  1. सातवां वेतन आयोग (2014-2016)

फरवरी 2014 में गठित इस आयोग की अध्यक्षता जस्टिस ए.के. माथुर ने की थी. इसमें ‘पे मैट्रिक्स’ को अपनाया गया और ग्रेड पे सिस्टम को खत्म कर दिया गया. न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति माह किया गया, जिससे लगभग 1 करोड़ कर्मचारियों को फायदा हुआ.

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अब 8वें वेतन आयोग से क्या उम्मीदें?

8वें वेतन आयोग के लागू होने से सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है .चर्चा है कि न्यूनतम वेतन 51,480 रुपये तक बढ़ सकता है, जिससे लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधा फायदा मिलेगा. हालांकि, इसकी आधिकारिक घोषणा और अंतिम सिफारिशें आना बाकी हैं. नए वेतन आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी, 2026 से लागू किया जाएगा.