लड़ते-लड़ते हार गई पत्‍नी, क्‍या बंद हो जाएगी CCD! पति ने की थी आत्‍महत्‍या

CCD का संचालन करने वाली कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड (सीडीईएल) की ट्रेडिंग पर स्‍टॉक एक्‍सचेंजों ने रोक लगा दी है. ऐसे में मालविका हेगड़े के सामने नई चुनौती आ गई है.

मुसीबत में दोबारा घिरी कैफे कॉफी डे Image Credit: tv9 bharatvarsh

Cafe Coffee Day: कर्ज में फंसी देश की मशहूर कॉफी शॉप कैफे कॉफी डे (Cafe Coffee Day) दोबारा मुसीबतों में घिर गई है. CCD का संचालन करने वाली कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड (सीडीईएल) की ट्रेडिंग पर स्‍टॉक एक्‍सचेंजों ने रोक लगा दी है. कंपनी ने यह जानकारी मंगलवार को दी. कंपनी का कहना है कि दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) मानदंड के चलते एक्‍सचेंज ने यह फैसला लिया है. एक्‍सचेंज के इस निर्णय से CCD की मालकिन मालविका हेगड़े पर दबाव बढ़ गया है. पति वीजी सिद्धार्थ की आत्‍महत्‍या के बाद जी-तोड़ मेहनत से कंपनी को मुनाफे में लाने वाली मालविका पर फिर से संकट के बादल मंडराने लगे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या कैफे कॉफी डे बंद होने की कगार पर है.

कर्ज के बोझ तले मालिक ने की थी आत्‍महत्‍या

कैफे कॉफी डे, जिसे CCD के नाम से जाना जाता है. वीजी सिद्धार्थ ने साल 1996 में इसकी नींव रखी थी. उन्‍होंने पहले कॉफ़ी का बागान खरीदा था, इसके बाद शेयर बाजार से कमाए पैसों से उन्‍होंने कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड नाम की कंपनी शुरू की. उन्‍होंने 11 जुलाई 1996 को बेंगलुरु में Cafe Coffee Day का पहला आउटलेट खोला था.

चंद सालों में ही बनीं 8000 करोड़ की कंपनी

कैफे कॉफी डे का युवाओं में जबरदस्‍त क्रेज देखने को मिला. उस वक्‍त यह मीटिंग के लिए उम्‍दा स्‍पॉट बन गया. लोगों में बढ़ती इसकी पॉपुलैरिटी के चलते ही यह स्टार्टअप कुछ ही सालों में 8000 करोड़ की कंपनी बन गई. साल 2002 तक कंपनी मनमुताबिक प्रॉफिट देने लगी, जिसके चलते 2015 में वीजी सिद्धार्थ ने शेयर मार्केट में एंट्री लेने का मन बनाया.

इन गलतियों से डूबी कंपनी

मार्केट में CCD की पॉपुलैरिटी देख इसके मालिक वीजी सिद्धार्थ ने रियल एस्टेट और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में हाथ आजमाया. मगर यहां उनका जादू नहीं चला और कंपनी घाटे में आ गई. धीरे-धीरे कंपनी पर कर्ज को बोझ बढ़ने लगा. कंपनी की मुसीबत तब और बढ़ गई जब साल 2017 में आयकर विभाग ने 700 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगाया. साल 2019 तक कंपनी 6550 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले दब गई. उन्‍होंने अपने 20 फीसदी तक शेयर बेचकर 3200 करोड़ का कर्ज चुकाया, लेकिन यह नाकाफी साबित हुआ. बढ़ते कर्ज और टैक्‍स चोरी का दबाव वीजी सिद्धार्थ झेल नहीं पाए और उन्होंने 2019 में नेत्रावदी नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली.

कंपनी को बर्बादी से बचाने पत्‍नी आई आगे

पति की मौत के बाद वीजी सिद्धार्थ की पत्नी मालविका हेगड़े ने हिम्मत नहीं हारी. उन्‍होंने जी-तोड़ मेहनत करके कंपनी को कर्ज से बाहर निकालने की कोशिश की. सीसीडी की सात सहायक कंपनियों पर मार्च 2022 तक 960 करोड़ रुपए का कर्ज था. मगर मालविका ने अपनी मेहनत से कंपनी को घाटे निकालकर मुनाफे में लेकर आईं. दो सालों में उन्होंने कंपनी का रेवेन्यू बढ़ाकर कर्ज को और कम कर 465 करोड़ पर पहुंचा दिया.

दिवालियापन के लिए आवेदन

कैफे कॉफी डे के खिलाफ दिवाला और दिवालियापन संहिता की धारा 7 के तहत एक आवेदन दिया गया है. यह आवेदन आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेस ने किया था, उसने 228 करोड़ के डिफॉल्‍ट पेमेंट को लेकर यह मामला उठाया था. यह मसला एनसीएलटी के सामने भी पहुंचा, तभी से मालविका के सामने कंपनी को इस मुश्किल से बाहर निकालने की चुनौती आ गई है.