मुकेश अंबानी की कंपनी पर क्या लगेगा जुर्माना? सरकार से मिले इस काम को पूरा नहीं कर पाई रिलायंस की यूनिट

Reliance New Energy: केंद्र सरकार ने पीएलआई स्कीम के तहत रिलायंस की एक कंपनी को बैटरी प्लांट स्थापित करने का काम दिया था. लेकिन तय समय के अनुसार, कंपनी प्रोजक्ट को पूरा करने में असफल रही है. इसलिए अब उसपर जुर्माने का खतरा मंडरा रहा है.

मुकेश अंबानी की कंपनी पर लग सकता है जुर्माना. Image Credit: Tv9 Bharatvarsh

Reliance New Energy: अरबपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की एक यूनिट को बैटरी सेल प्लांट स्थापित करने में असफल होने के चलते जुर्माना झेलना पड़ सकता है. दरअसल, यह बैटरी यूनिट इंपोर्ट के भार को कम करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास का हिस्सा था. स्थानीय उत्पादन को पुरस्कृत करने की भारत सरकार की योजना के तहत 2022 में बैटरी सेल मैन्युफैक्चरिंग के लिए बोली जीतने वाली कंपनियों में से एक रिलायंस न्यू एनर्जी लिमिटेड डेडलाइन चूक गई है. इस वजह से कंपनी को 1.25 अरब रुपये ($14.3 मिलियन) का जुर्माना देन पड़ सकता है.

क्या मिल रहे हैं संकेत?

डेक्कन हेराल्ड में ब्लूमबर्ग के हवाले से छपी खबर के अनुसार, बैटरी सेल बनाने के लिए इस सरकारी पहल के तहत आवेदन करने वाली राजेश एक्सपोर्ट्स लिमिटेड भी एडवांस्ड केमिकल सेल प्रोग्राम को पूरा करने में फेल हुई है. राजेश एक्सपोर्ट्स पर भी इस तरह का जुर्माना लगने का खतरा है. तय मैन्युफैक्चरिंग लक्ष्य तक रिलायंस इंडस्ट्रीज के नहीं पहुंचने से तकनीकी चुनौतियों और बदलते बाजार डायनामिक के संकेत मिल रहे हैं. यह पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ विजन को बाधित कर सकती है. पीएम मोदी ने जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग को 25 फीसदी तक बढ़ाने की कोशिश की है.

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तीन कंपनियों ने जीती थी बिडिंग

हालांकि, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) तहत मैन्युफैक्चरर को दी जाने वाली सब्सिडी ने स्मार्टफोन की स्थानीय असेंबलिंग को बढ़ावा देने में अच्छा काम किया है, लेकिन सफलता सभी क्षेत्रों में एक समान नहीं रही है. रिलायंस न्यू एनर्जी, राजेश एक्सपोर्ट्स और ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड की यूनिट ने 2022 में बैटरी सेल प्लांट बनाने के लिए बोलियां जीती थीं. यह देश की इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इंपोर्ट पर निर्भरता कम करने के प्रयास का हिस्सा है.इस बीच रिलायंस यूनिट ने अपना ध्यान ग्रीन हाइड्रोजन पर केंद्रित कर दिया है.

कितनी मिलती सब्सिडी?

मैन्युफैक्चरर इस प्रोजेक्ट को पूरा करने पर 181 अरब रुपये की सब्सिडी के लिए पात्र थे, जिसका उद्देश्य एडवांस्ड केमिकल सेल बैटरी स्टोरेज 30 गीगावाट-घंटे की कैपेसिटी तैयार करना था. रिपोर्ट के अनुसार, समझौते के दो साल के भीतर 25 फीसदी और पांच साल के भीतर 50 फीसदी लोकल वैल्यू एडिशन के साथ न्यूनतम ‘प्रतिबद्ध क्षमता’ हासिल करनी थी. हालांकि, इस डील की तीसरी कंपनी ओला सेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने इस पीएलआई कार्यक्रम के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं पर आगे बढ़ी है.