रूस की तरह अमेरिका से डील कर पाएगा भारत ! सस्ते पेट्रोल का समझे खेल
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी एक बार फिर हो गई है. उन्होंने आते ही तेल प्रोडक्शन बढ़ाने की बात दोहराई है. अगर अमेरिका तेल का प्रोडक्शन बढ़ाता है, तो यह भारत के लिए एक अच्छा मौका हो सकता है. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने उम्मीद जताई है कि सप्लाई बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों में कमी आ सकती है. अभी भारत, अमेरिका से अपनी कुल जरूरतों का 4.3 प्रतिशत तेल आयात करता है.
अमेरिका, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में, कच्चे तेल और गैस सप्लाई के मामले में बढ़त बनाना चाहता है. इसका संकेत ट्रंप ने पहले ही दे दिया था. ऐसे में भारत के पास एक मौका है. भारत अपनी कच्चे तेल और गैस की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई देशों पर निर्भर है. भारत के केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत बाजार में अधिक तेल और गैस आने का स्वागत करेगा.
उन्होंने फ्यूल सप्लाई में बढ़ोतरी के संभावित स्रोत के रूप में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले अमेरिका का नाम लिया. उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है, जैसा कि मैंने कई बार साझा किया है, कि बाजार में अधिक एनर्जी आ रही है. अमेरिका पहले से ही प्रतिदिन लगभग 13 मिलियन बैरल (एमबी/डी) का प्रोडक्शन करता है. वे कम से कम 1.4-1.5 एमबी/डी अतिरिक्त बाजार में डालेंगे.”
ट्रंप बढ़ाएंगे प्रोडक्शन
ट्रंप ने शपथ लेते ही अपनी पुरानी बात “ड्रिल, बेबी, ड्रिल” को एक बार फिर से दोहराया, जो दिखाता है कि उनका प्रशासन कच्चे तेल और गैस प्रोडक्शन को बढ़ावा देगा. भारत अपनी कुल एनर्जी जरूरतों का लगभग 85% आयात करता है और सस्ते तेल के अधिक स्रोतों पर नजर बनाए हुए है, विशेषकर तब जब अमेरिका ने हाल ही में रूसी तेल कंपनियों और जहाजों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं.
भारत के लिए फायदे का सौदा
भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से दुनिया में कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ेगी. इससे उसकी कीमतें नीचे आने की उम्मीद है और इसका फायदा भारत को मिलने जा रहा है. भारत अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई देशों पर नजर बनाए हुए है. ऐसे में जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रोडक्शन बढ़ाने की घोषणा की है, तो यह भारत के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है.
भारत की तेल नीति अमेरिका के साथ संबंधों को बेहतर करने में मदद कर सकती है. ट्रंप हमेशा ट्रेड डिफिसिट को कम करने की बात कहते रहे हैं. ऐसे में अगर भारत अमेरिका से अधिक तेल आयात करता है, तो यह नीति भारत-अमेरिका के रिश्तों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकती है.
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अमेरिकी तेल की 4.3 फीसदी हिस्सेदारी
पिछले तीन सालों में रूस भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा सप्लायर बनकर उभरा है. हालांकि, 2022 में लगभग 30 डॉलर प्रति बैरल की छूट में कमी आई है और अब यह लगभग 2.5-4 डॉलर प्रति बैरल हो गई है. फिर भी, भारत के कुल इम्पोर्ट में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा लगभग 38 फीसदी है. इस वित्तीय वर्ष में अब तक अमेरिका भारत को तेल का पांचवां सबसे बड़ा सप्लायर है, जो कच्चे तेल के आयात का 4.3 फीसदी हिस्सा है.