10 मिनट डिलिवरी के लिए कितना पैसा खर्च करती हैं कंपनियां, हिसाब देख बोलेंगे हे भगवान!

10 मिनट डिलीवरी के लिए लाखों खर्च कर रही हैं क्विक कॉमर्स कंपनियां. डिजिटल मार्केटिंग, छूट और नए स्टोर्स पर हो रहे इन भारी खर्चों का आंकड़ा जानकर आप चौंक जाएंगे.

10 मिनट डिलीवरी की होड़ Image Credit: FreePik

आज कंपनियां हमारी जरूरत की अमूमन हर चीज केवल 10 से 15 मिनट में डिलीवर कर देती हैं. ऐसे में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी e-Commerce वेबसाइट का मार्केट खतरे में नजर आने लगा है. क्या आपको मालूम है कि 10 मिनट डिलिवरी के लिए कंपनियां करोड़ों रुपए खर्च कर रहीं हैं. क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे Zepto, Blinkit, Big Basket के बीच आपको लुभाने की तगड़ी होड़ चल रही है. इस कंपटीशन में कंपनियां आपके दस मिनट डिलवरी के लिए पैसा पानी के तरह बहा रही हैं. नए आंकड़े दिखाते हैं कि जेप्टो इस बाजार को हथियाने के लिए पूरे बाहुबल से लगा हुआ है.

मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2024 में कंपनी ने करीब 35 करोड़ रुपये खर्च किए थे लेकिन सितंबर आते-आते कंपनी का यह खर्च 250 करोड़ के आंकड़े को पार कर गया. यानी कंपनी ने कुछ महीनों के भीतर अपना खर्च 585 फीसदी तक बढ़ा लिया है.

कैसे बढ़ा Zepto का कैश बर्न?

जेप्टो का कैश बर्न (यानी हर महीने कंपनी का खर्च) मई 2024 में 35-40 करोड़ रुपये के दायरे में था. हालांकि, सितंबर में यह आंकड़ा 250 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और अक्टूबर में यह 300 करोड़ रुपये के करीब हो गया. नवंबर में भी इसी स्तर पर रहने का अनुमान है.

Zepto ने हाल ही में 2,500 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया है जिसमें कई भारतीय हाई-नेट वर्थ इंडिविजुअल्स और फैमिली ऑफिस शामिल हैं. मनीकंट्रोल ने जेप्टो के CEO आदित पलीचा ने हवाले से बताया, “हमारा कैपिटल मुख्य रूप से नए स्टोर्स लॉन्च करने, वर्किंग कैपिटल और ऑपरेशंस के सेटअप में लग रहा है. हमारे 70 फीसदी मौजूदा स्टोर्स पहले ही EBITDA प्रॉफिटेबिलिटी पर पहुंच चुके हैं.”

आपके 10 मिनट डिलीवरी में कंपनी का खर्च

Zepto का 250 करोड़ रुपये का मासिक खर्च अगर 30 दिनों में बांटें तो यह हर दिन 8.33 करोड़ रुपये और हर घंटे करीब 34.7 लाख रुपये होता है. इसका मतलब है कि Zepto आपको 10 मिनट में डिलिवरी करने के लिए 5.79 लाख रुपये तक खर्च कर रही है.

कहां खर्च हो रहा है पैसा?

रिपोर्ट के अनुसार, Zepto हर महीने डिजिटल मार्केटिंग पर करीब 120 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. इसमें गूगल और मेटा पर कीवर्ड खरीदना, परफॉर्मेंस बेस्ड मार्केटिंग और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए भारी डिस्काउंट शामिल हैं.

रिपोर्ट में कंपनी के एक सोर्स ने बताया, “Zepto के हाई बिड्स की वजह से कीवर्ड्स खरीदने की कीमत बढ़ गई है. यहां तक कि कुछ कंपनियों ने इस खर्च के आगे अपने हथियार डाल दिए हैं.”

इसके साथ ही कंपनी नई भर्तियों पर भी बड़ा दांव खेल रही है. अपनी सर्विस को और बेहतर बनाने के लिए कंपनी 50-60 फीसदी तक की सैलरी हाइक पर दूसरे क्विक कॉमर्स से टैलेंटेड लोगों को अपनी कंपनी में ला रही है.

क्यों बढ़ा खर्च?

त्योहारी सीजन के दौरान ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के बीच प्रतिस्पर्धा चरम पर होती है. Zepto इस समय को अपने मार्केट शेयर बढ़ाने के अवसर के रूप में देख रहा है. न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक जेप्टो का मानना है कि ये वक्त कछुए की चाल चलने का नहीं है रफ्तार खरगोश की पकड़नी होगी.

Zepto के प्रमुख प्रतिस्पर्धी Zomato का Blinkit, Swiggy Instamart, Tata की BigBasket और Flipkart Minutes हैं. Zepto अपनी आक्रामक रणनीति से ग्राहकों का ध्यान खींचने की कोशिश कर रही है.