“वो हमारे धंधे को बंद कर सकते हैं”, जीरोधा के सीईओ ने सेबी के नियमों को लेकर कही बड़ी बात
जीरोधा के सीईओ नितिन कामथ ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में बढ़ते डर और अनिश्चितता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अधिक रेगुलेशन होने से नवाचार में कमी आ सकती है. साथ ही उन्होंने सरकार और रेगुलेटरी बॉडी के साथ बेहतर कोलैबोरेशन की वकालत भी की.
जीरोधा के सह-संस्थापक नितिन कामथ ने अपनी कंपनी के भविष्य तथा आने वाली चुनौतियों को लेकर काफी कुछ कहा. कामथ ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में बढ़ते डर और अनिश्चितता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अधिक रेगुलेशन होने से नवाचार में कमी आ सकती है. साथ ही उन्होंने सरकार और रेगुलेटरी बॉडी के साथ बेहतर कोलैबोरेशन की वकालत भी की.
क्या कहा नितिन कामथ ने?
कंपनी के सीईओ नितिन कामथ, उनके भाई और कंपनी के सह-संस्थापक निखिल कामथ और सीटीओ कैलाश नाद ने हाल ही में न्यूज चैनल सीएनबीसी-टीवी 18 के एक पॉडकास्ट कार्यक्रम में मौजूद थे. पॉडकास्ट के दौरान उन्होंने जीरोधा को लेकर आने वाली मुश्किलों पर रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि अधिक रेगुलेशन से हमारे उद्यमिता और इनोवेशन पर दिक्कत आ सकती है. निखिल कामथ ने कहा, “हम उन रेगुलेटर्स के अधीन आते हैं जिन पर ना तो हमारा कोई असर है और ना ही उनके फैसलों तक हमारा एक्सेस. लेकिन अपने फैसलों से वो एक दिन में हमारे रेवेन्यू को 50 फीसदी तक कम कर सकते हैं. वो हमारे धंधे को हमेशा के लिए बंद भी कर सकते हैं.”
दबाव से खराब होगा इनोवेशन
ये कहने के बाद ही कामथ ने तुरंत ये भी जोड़ा कि भारतीय रेगुलेटर्स ने समय के साथ सिस्टम को काफी दुरुस्त भी किया है. उन्होंने स्थिति अपनी स्थिति को समझाते हुए उदाहरण देते हुए बताया, “50 बच्चों वाली कक्षा में जहां शिक्षक नियम बनाता है और बच्चों को अपनी मर्जी से डांटता और फटकार लगाता है. क्या उन बच्चों से कभी इनोवेशन निकल सकता है जो पहले से डर में जी रहे हैं, शायद नहीं.”
“ब्रोकिंग फर्म चलाना कठिन काम”
सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के लगाए गए नियमों के कारण जीरोधा के राजस्व में हालिया वृद्धि धीमी होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, “ब्रोकिंग फर्म चलाना एक कठिन काम है. इन तमाम बातों के बावजूद कामथ भविष्य को लेकर काफी आशावादी बने हुए हैं.