वजन घटाने की दवा बनाने के लिए भारतीय कंपनियों में मची होड़, 576 करोड़ रुपये के मार्केट पर सबकी नजर
एक खास दवा ने दुनियाभर में इलाज की परिभाषा ही बदल दी है. वजन घटाने और शुगर कंट्रोल करने में इसका असर इतनी ज्यादा है कि अब भारत की बड़ी-बड़ी दवा कंपनियां इसे लेकर एक्टिव हो गई हैं. 2026 एक ऐसा साल हो सकता है जो फार्मा इंडस्ट्री की दिशा बदल सकता है.
भारत की प्रमुख दवा कंपनियों के बीच इन दिनों एक खास रेस चल रही है, जो है सेमाग्लूटाइड जैसे हाई-डिमांड एंटी-डायबिटीज और वजन घटाने वाले इंजेक्टेबल ड्रग्स के जेनेरिक वर्जन लॉन्च करने की रेस. सेमाग्लूटाइड नामक इस दवा का इस्तेमाल टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने और वजन घटाने के लिए किया जाता है. ये इंजेक्टेबल दवाएं मरीज की भूख को कम करती हैं और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करती हैं. दुनियाभर में इनकी भारी मांग को देखते हुए अब भारत की बड़ी दवा कंपनियां भी इन दवाओं के जेनेरिक वर्जन तैयार करने में जुट गई हैं. डेनमार्क की फार्मा दिग्गज नोवो नॉर्डिस्क की इन दवाओं (Ozempic और Wegovy) की पेटेंट अवधि 2026 में खत्म हो रही है और उसी के साथ भारतीय कंपनियां अरबों डॉलर के इस बाजार में एंट्री करने की होड़ में शामिल हो चुकी है.
Zydus, Dr Reddy’s और MSN Labs ने कमर कसी
इकोनॉमिक टाइम्स के रिपोर्ट के मुताबिक, Zydus Lifesciences ने सेमाग्लूटाइड के प्रोडक्शन के लिए 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश करते हुए एक नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की नींव रखी है. कंपनी इस दवा को तैयार करने के लिए एक अलग और किफायती तकनीक पर काम कर रही है जो नोवो नॉर्डिस्क से भिन्न होगी. वहीं Dr Reddy’s Laboratories इस रेस में सबसे आगे नजर आ रही है. कंपनी के सीनियर अधिकारियों ने हाल में इनवेस्टर्स को बताया कि वे पिछले 10 वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रहे हैं.
2026 में खुलेंगे 80 ग्लोबल मार्केट
Dr Reddy’s के मुताबिक 2026 में भारत, कनाडा और ब्राजील समेत करीब 80 बाजारों में सेमाग्लूटाइड इंजेक्शन के लिए नए अवसर खुलेंगे. यह आंकड़ा दिखाता है कि आने वाले सालों में इस सेगमेंट में जबरदस्त संभावनाएं हैं.
2024 में Wegovy की वैश्विक बिक्री 8.4 बिलियन डॉलर तक पहुंची, वहीं Ozempic की बिक्री 17 बिलियन डॉलर तक जा पहुंची. इस तेजी को देखते हुए Sun Pharma, Cipla, Biocon समेत कई अन्य भारतीय कंपनियां भी इस सेगमेंट में कदम रखने की तैयारी कर रही हैं. MSN Labs, Hetero, Natco और Macleods जैसी मिड-साइज कंपनियां भी इस होड़ में शामिल हो चुकी हैं.
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भारत में भी बढ़ी मांग, चार गुना बढ़ा मार्केट
भारत में पिछले पांच सालों में वजन घटाने वाली दवाओं की मांग चार गुना बढ़ चुकी है. 2021 में यह बाजार 133 करोड़ रुपये का था, जो अब 576 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. Rybelsus (oral semaglutide) की लॉन्चिंग के बाद से यह ग्रोथ और तेज हो गई है. आने वाले वर्षों में भारतीय फार्मा इंडस्ट्री के लिए यह सेगमेंट अरबों डॉलर की संभावनाओं वाला बन सकता है.