ब्रिटेन से भारत लाया गया 1 लाख किलो सोना, जानें रिजर्व बैंक के इस फैसले से आपको क्या फायदा?
रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों ब्रिटेन से 1 लाख किलो सोना भारत मंगाया. देश की मौद्रिक नीति के लिहाज से यह बड़ा बदलाव 33 साल बाद देखा गया है. इससे पहले रिजर्व बैंक ने 1991 में भारी मात्रा में सोने का इतना बड़ा ट्रांसफर किया था. आइए जानते हैं कि कैसे यह भारतीय अर्थव्यवस्था और आम लोगों के लिए अच्छी खबर है.
इस साल अब तक रिजर्व बैंक ब्रिटेन से 100 टन सोना वापस मंगा चुका है. 1991 के बाद यह पहली बार है, जब रिजर्व बैंक ने इतनी बड़ी मात्रा में सोना ट्रांसफर किया है. 33 साल पहले जब भारत की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो चुकी थी, तो रिजर्व बैंक को फंड जुटाने के लिए सोना बेचना पड़ा था. अब भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी अब तक सबसे मजबूत स्थिति में है. सोने की वापसी भी इस मजबूती की तस्दीक करती है. बहरहाल, इस ऐतिहासिक नजरिये के अलावा भी इस फैसले का असर देश की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा, जो आखिर में आम आदमी को भी प्रभावित करेगा.
ब्रिटेन में क्या कर रहा था भारत का सोना
1990 के दशक में जब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सूखने लगाा, तो रिजर्व बैंक ने 40 करोड़ डॉलर का कर्ज लिया, इस कर्ज के लिए रिजर्व बैंक को बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) में सोना गिरवी रखना पड़ा. यह कर्ज तो कुछ साल बाद ही चुका दिया गया, लेकिन सोने को भौतिक रूप में लेकर आने से जुड़ी चुनौतियों को ध्यान में रखकर सोना को भारत नहीं लाया गया. इसके बाद भी भारत ने सोना खरीदकर बीओई के वॉल्ट में रखना जारी रखा.
इन चुनौतियों का करना पड़ा सामना
जाहिर तौर पर इतनी बड़ी मात्रा में सोना लेकर आना आसान नहीं था. इसके लिए सरकार के तमाम विभागों के बीच समन्वय की जरूरत पड़ी. इसके अलावा नियमों में भी बदलाव करने पड़े. रिजर्व बैंक को यह सोना लाने के लिए सीमा शुल्क से विशेष छूट दी गई. हालांकि, इसके बाद भी IGST का भुगतान करना पड़ा . सोने के सुरक्षित परिवहन के लिए विशेष विमान उपलब्ध कराए गए.
अब कहां रखा गया है यह सोना
जानकारों का कहना है कि इंग्लैंड से लाए जाने के बाद इस सोने को फिलहाल मुंबई के मिंट रोड और नागपुर स्थित आरबीआई कार्यालय में जमा किया गया है. इन दोनों जगह पर सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम रहते हैं. सोने की सुरक्षा में देश के टॉप कमांडो और सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गयाा है. हालांकि, रिजर्व बैंक की तरफ से कभी सोने के इस भंडार को लेकर कोई अधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.
रिजर्व बैंक को क्या फायदा हुआ
रिजर्व बैंक का ज्यादातर सोना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमा है. इस सोने की सुरक्षा और भंडारण पर रिजर्व बैंक को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है. सोने को वापस लाने से रिजर्व बैंक को भंडारण पर होने वाले खर्च से राहत मिलेगी.
अर्थव्यवस्था को क्या फायदा
दुनिया के मौजूदा हालात को ध्यान में रखकर रिजर्व बैंक ने न केवल ओवरऑल अपने स्वर्ण भंडार में बढ़ोतरी की है, बल्कि रणनीतिक पहलुओं को ध्यान में रखकर 1 लाख किलो सोने को भारत भी लाया गया है. रिजर्व बैंक के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक स्वर्ण भंडार में कुल 822.1 टन सोना जमा है. पिछले एक साल में रिजर्व बैंक ने 27.5 टन खरीदा है. स्वर्ण भंडार में बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा भंडार में विविधता बढ़ी है. यह भारत को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिहाज से मजबूती देता है. इसके अलावा अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है.
आम लोगों को क्या फायदा
सोने का भंडार बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिली है. इसके अलावा इससे महंगाई से निपटने में भी मदद मिलती है. सोना अक्सर मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के रूप में काम करता है, क्योंकि मुद्रास्फीति से इसका मूल्य प्रभावित नहीं होता है. स्वर्ण भंडार को बढ़ाकर, कोई भी देश अपनी अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति के प्रतिकूल प्रभावों से बचा सकता है. इससे निवेशकों का विश्वास बनाए रखने में भी मदद मिलती है. इसके अलावा देश में सोने के बाजार को भी स्थिरता मिलेगी. चुंकि देश में सोने की खरीदारी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी है. ऐसे में सोनो की कीमत पर लगाम लगाने में भी इससे मदद मिल सकती है.