13 एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपने के लिए फिर से शुरू हुई प्रक्रिया, जानें क्या है प्लानिंग

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के बोर्ड ने 2021 में भाजपा सरकार के तहत हवाई अड्डों के निजीकरण के दूसरे दौर के लिए 13 हवाई अड्डों के नामों को मंजूरी दी थी. इसके बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक कैबिनेट नोट तैयार किया था.

एयरपोर्ट का निजीकरण. Image Credit: @tv9

Airport Privatization: केंद्र सरकार ने देश के 13 हवाई अड्डों को निजी कंपनियों को सौंपने की प्रक्रिया फिर से शुरू की है, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा पैसा कमा सके और अपने राजस्व को बढ़ा सके. खास बात यह है नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 13 हवाई अड्डों के निजीकरण पर अंतर-मंत्रालयी परामर्श पर एक नोट जारी किया है. उसने कहा कि सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 26 के अंत तक इस निजीकरण की प्रक्रिया को पूरा करना है.

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत 2022 से 2025 के बीच 25 हवाई अड्डों की पहचान निजी हाथों में सौंपने के लिए की है, ताकि अधिक से अधिक रेवेन्यू अर्जित किया जा सके. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के बोर्ड ने 2021 में भाजपा सरकार के तहत हवाई अड्डों के निजीकरण के दूसरे दौर के लिए 13 हवाई अड्डों के नामों को मंजूरी दी थी. इसके बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक कैबिनेट नोट तैयार किया था.

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मध्य प्रदेश सरकार ने जताई थी आपत्ति

हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा रायपुर और इंदौर हवाई अड्डों के निजीकरण पर आपत्ति जताए जाने के बाद सूची को घटाकर 11 हवाई अड्डे कर दिया गया. पहली बार, सरकार ने निजीकरण प्रक्रिया के लिए छह बड़े हवाई अड्डों के साथ सात छोटे हवाई अड्डों को जोड़ा था. इसके बाद वाराणसी को कुशीनगर और गया के साथ, अमृतसर को कांगड़ा के साथ, भुवनेश्वर को तिरुपति के साथ, रायपुर को औरंगाबाद के साथ, इंदौर को जबलपुर के साथ और तिरुचिरापल्ली को हुबली के साथ जोड़ दिया गया.

आलोचना का सामना करना पड़ा

पिछली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने यह कदम उठाया जब उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था. आलोचकों का कहना था कि यह नीति सरकारी कंपनी एएआई को घाटे वाले हवाई अड्डों के साथ छोड़ देगी और क्षेत्र में एकाधिकार को बढ़ावा देगी. अब सरकार इस नीति को फिर से तैयार करने की योजना बना रही है.

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