5 करोड़ पेंडिंग मामले! 43 लाख केवल चेक बाउंस के, इन राज्यों में सबसे अधिक केसेस

चेक बाउंस को लेकर देशभर में कुल 43 लाख मामले लंबित हैं यानी कोर्ट में फंसे हुए हैं. इन 43 लाख में भी 6.4 लाख केसेस अकेले राजस्थान में पड़े हुए हैं. इसको लेकर कानून मंत्री ने जानकारी दी साथ ही ऐसे होने के पीछे की वजह भी बताई.

चेक बाउंस के 43 लाख मामले Image Credit: @Tv9

भारत के अदालतों में कुल 5.1 करोड़ ऐसे मामले हैं जिनपर कोई फैसला नहीं लिया गया है. यानी वह लंबित मालमे हैं. उसी कड़ी में एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आई है जिसके मुताबिक 18 दिसंबर तक देश में 43 लाख से अधिक पेंडिंग केसेस चेक बाउंस के हैं. इस मामले में राजस्थान शीर्ष पर है यानी राजस्थान में सबसे अधिक चेक बाउंस के मामले हैं.

राजस्थान सबसे आगे

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में 6.4 लाख से लंबित मामले चेक बाउंस के हैं. इसके बाद महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का नाम है. देश में ट्रैफिक चालान और चेक बाउंस के मामले मिलकर अदालतों में लंबित मामलों की विशाल संख्या बनाते हैं.

हालांकि सरकार ने ट्रैफिक चालान के भुगतान को लेकर अलग सिस्टम बनाया है जिसमें वर्चुअल कोर्ट के जरिये चालान भुगतान करने की ऑप्शन दिया जाता है. लेकिन चेक बाउंस से जुड़े मामलों का निपटारा अदालतों से ही होना है क्योंकि इन केसेस की आपराधिक प्रकृति के कारण सबूत रिकॉर्ड करना और गवाहों को पेश करना शामिल है.

किस कारण लंबित हैं मामले?

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 20 दिसंबर को बताया कि चेक बाउंस के मामलों में देरी के कई कारण हो सकते हैं. इनमें बार-बार चेक को रोकना या डेट पोस्टपोन करना और मामलों की निगरानी, ट्रैक और सुनवाई के लिए पर्याप्त व्यवस्था की कमी के अलावा दूसरे मामलों के निपटान में लगे संबंधित कोर्ट के पास समय का अभाव होना शामिल है. कानून मंत्री ने कहा, अदालतों में मामलों का निपटारा कई कारकों पर निर्भर करता है.

 इसमें बुनियादी ढांचे की उपलब्धता, कोर्ट के सहायक कर्मचारी, तथ्यों की गंभीरता, सबूत की कमी, जैसे तमाम कारण शामिल हैं. ऐसे मामलों के निपटारे में होने वाली लंबी देरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च, 2021 को एक आदेश में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया था. समिति उन कारकों को जांचेगी तथा फैसले लेगी जिनकी मदद से ऐसे मामलों का जल्दी से निपटाया जा सके.