बैंकॉक ट्रिप की जानकारी पत्नी से छुपाने के लिए फाड़ दिए पासपोर्ट के पन्ने, फिर भी चालाकी नहीं आई काम
पुणे के 51 वर्षीय शख्स ने अपने पासपोर्ट के पन्ने फाड़कर बैंकॉक यात्रा की जानकारी पत्नी से छुपाई. सहार पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया. पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के तहत, पासपोर्ट में छेड़छाड़ करना गंभीर अपराध है, जिसके लिए दो साल की सजा या 5,000 रुपये जुर्माना हो सकता है.
Passport: मुंबई में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने पुणे के 51 वर्षीय शख्स को पकड़ा. उस पर आरोप है कि उसने अपने पासपोर्ट के कुछ पन्ने फाड़ दिए, ताकि अपनी बैंकॉक ट्रिप की जानकारी पत्नी और परिवार से छुपा सके. शख्स इंडोनेशिया में एक हफ्ते की छुट्टी बिताकर मुंबई लौटा था और एयरपोर्ट पर ही पासपोर्ट के पन्ने फाड़ दिए थे.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सहार पुलिस की जांच में यह सामने आया कि इस शख्स ने 2024 में बैंकॉक की अपनी चार यात्राओं का सबूत अपने परिवार से छुपाने के लिए यह कदम उठाया. इस शख्स की पहचान वीके भालेरेओ के तौर पर हुई है और उसे सहार पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4) के तहत धोखाधड़ी और संपत्ति छिपाने के आरोप में गिरफ्तार किया है. हालांकि, भालेरेओ को एक रूटीन चेक के दौरान गिरफ्तार किया गया, जब इमिग्रेशन अधिकारियों ने देखा कि उसके पासपोर्ट के पन्ने गायब थे.
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थाईलैंड की यात्राओं के इमिग्रेशन स्टांप थे
सहार पुलिस अधिकारी ने कहा पन्ने 17/18 और 21-26 गायब थे. सहायक इमिग्रेशन अधिकारी राजीव कुमार ने अपनी पुलिस शिकायत में बताया कि इन पन्नों पर थाईलैंड की यात्राओं के इमिग्रेशन स्टांप थे. हालांकि, शुरुआत में भालेरेओ ने पासपोर्ट में छेड़छाड़ करने का कारण बताने से इनकार कर दिया, जिसके बाद आरोपी से विंग इनचार्ज विलास वडनेरे और ड्यूटी ऑफिसर ने पूछताछ की. लगातार पूछताछ करने पर इमिग्रेशन अधिकारियों को सच्चाई पता चली कि उसने अपनी बैंकॉक यात्राओं को परिवार से छुपाने के लिए पासपोर्ट के पन्ने फाड़े थे.
पासपोर्ट अधिनियम 1967
पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के तहत, अगर कोई व्यक्ति पासपोर्ट के पन्नों में छेड़छाड़ करता है, तो वह गंभीर अपराध करता है. पासपोर्ट में कोई भी बदलाव या बदलने की कोशिश, चाहे खुद किया हो या किसी और के जरिए, बिना उचित अनुमति के, दंडनीय है. इस अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दो साल तक की सजा, 5,000 रुपये तक जुर्माना, या दोनों सजा दी जा सकती है.
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