लोकसभा में बैंकिंग संशोधन विधेयक पारित, खाताधारक बना सकेंगे 4 नॉमिनी, जानें दूसरे अहम बदलाव
लोकसभा में मंलगवार को बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को पारित कर दिया गया. नए विधेयक में बैंक खातों के लिए अधिकतम चार नॉमिनी को अनुमति देने और पर्याप्त ब्याज सीमा (Substantial Interest Thresholds) को फिर से परिभाषित करने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा और भी कई बदलाव प्रस्तावित हैं. जानते हैं इनका आम लोगों पर क्या असर होगा?
संसद में जारी शीतकालीन सत्र के दौरन मंगलवार को लोकसभा में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को पारित कर दिया गया. इसके तहत बैंक खातों के लिए अधिकतम चार नॉमिनी का नाम देने की अनुमति देने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा खाताधारक की मौत के बाद खाते की रकम नॉमिनी को आसानी से मिले ऐसे प्रावधान किए गए हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके बारे में 2023-24 के बजट भाषण में उल्लेख किया था.
लोकसभा में विधेयक को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारणम ने कहा, बैंक पूरी तरह पेशेवर तरीके से चलाए जा रहे हैं. बैंकों से जुड़े सभी तरह के आंकड़े बताते हैं कि बैंकिंग सिस्टम की सेहत दुरुस्त है. बैंक बाजार से बॉन्ड्स और कर्ज के तौर पर रकम जुटाकर अपने हिसाब से काम कर सकते हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया इस सदन के सामने रखे गए विधेयक के जरिये भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955, बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1980 में भी संशोधन किए गए हैं.
विधेयक के अहम प्रावधान
संशोधित विधेयक के प्रमुख प्रावधानों में जमाकर्ताओं को अपने बैंक खातों या फिक्स्ड डिपोजिट के लिए अब चार नॉमिनी चुनने की आजादी मिलेगी. फिलहाल, सिर्फ एक नॉमिनी ही चुना जा सकता है. इस बदलाव का मकसद खाताधारक की मौत के बाद खाते में जमा रकम को उसके वारिसों के बीच असानी से बांटना है. कोविड महामारी के दौरान बड़ी संख्या में अचानक लोगों की मौत के बाद खड़ी हुई चुनौतियों को देखकर यह बदलाव किया गया है.
नॉमिनी चुनने के दो विकल्प
विधेयक में जमाकर्ताओं को नॉमिनी चुनने के दो विकल्प मिलेंगे. या तो वे नॉमिनी चुन सकते हैं. या फिर चार अलग-अलग नॉमिनी चुनकर उनको अपने खाते की रकम में से कितना हिस्सा देना है यह तय कर सकते हैं. इस बदलाव से परिवारों के लिए फंड तक पहुंच आसान होने की उम्मीद है, साथ ही इस तरह के फंड को सेटल करने में लगने वाले समय में भी कमी आएगी.
ये अहम बदलाव भी प्रस्तावित
विधेयक में अन्य बड़े बदलावों में बैंक के निदेशकों की तरफ से तय किए जाने वाले “पर्याप्त ब्याज” को पुनर्परिभाषा किया जाना प्रस्तावित है. इसके तहत मौजूदा 5 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है. यह आंकड़ा पिछले 6 दशकों से नहीं बदला है. असल में यह बैंकों को वैधानिक लेखा परीक्षकों के पारिश्रमिक के बारे में फैसला लेने में स्वतंत्रता देता है. इसके अलावा नियामकीय रिपोर्टिंग की समय-सीमा को संशोधित करके हर महीने की 15वीं और आखिरी तारीख तय करने का प्रस्ताव रखा गया है, जो फिलहाल दूसरा और चौथे शुक्रवार है.