कहानी ‘बेतिया राज’ की, जो बिहार का सबड़े बड़ा जमींदार, किसे मिलेगी 8000 करोड़ की जमीन
करीब 400 साल का इतिहास समेटे हुए बेतिया राज अपने वैभव के लिए बेहद चर्चित रहा है.जो यहां के महलों को अवशेष में चारों तरफ दिखता है. ऐसां कहा जाता है कि यहां की रानियां सोने की बनी साड़ियां पहनती थीं. लेकिन इस समय बेतिया राज अपनी करीब 8000 करोड़ की कीमत वाले 15 हजार एकड़ जमीन को लेकर चर्चा में है.
Betiah Raj History And Bihar Land Survey: आज 21 वी सदी के दौर में बात, उस राज घराने की, जिसकी हजारों एकड़ जमीन को लेकर पूरे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में है. इस ‘राज’ का नाता मुगलों के दौर से है। और इसी राज की धरती से (चम्पारण सत्याग्रह) भारत और दुनिया को महात्मा गांधी मिले थे.जी हां हम बात ‘बेतिया राज’ (Betiah Raj) की कर रहे हैं.जो बिहार के चम्पारण में है. करीब 400 साल का इतिहास समेटे हुए बेतिया राज अपने वैभव के लिए बेहद चर्चित रहा है.जो यहां के महलों को अवशेष में चारों तरफ दिखता है.
ऐसा कहा जाता है कि यहां की रानियां सोने की बनी साड़ियां पहनती थीं. लेकिन इस समय बेतिया राज अपनी करीब 8000 करोड़ की कीमत वाले 15 हजार एकड़ जमीन को लेकर चर्चा में है. इसका नाता बिहार में हो रहे भूमि सर्वेक्षण (Bihar Land Survey) से है. जिसके तहत यह कहा जा रहा है कि बेतिया राज की 80 फीसदी जमीन पर अवैध कब्जा है और अब सरकार पूरी जमीन को अपने मालिकाना हक में लेने की तैयारी में है. इसके लिए अगले एक-दो महीने में विधेयक भी लाया जा सकता है. यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एक बड़े राजनीतिक दांव की तैयारी में हैं.
कहां-कहां फैला है बेतिया राज
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार बेतिया राज की जमीनें प्रमुख रूप से बिहार के पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, सीवान,पटना, गोपालगंज, सारण के अलावा उत्तर प्रदेश की जिलों में हैं. जमीनों का यह इलाका करीब 15358 एकड़ में फैला हुआ है. और सरकार के रिकॉर्ड से पता चलता है कि पश्चिमी चम्पारण में 6505 एकड़ और पूर्वी चम्पारण में 3219 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है. ऐसी भी कहा जाता है कि बेतिया राज की संपत्ति (Betia Raj Asset) पर अब तक 180 लोग दावा कर चुके हैं.लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया. और अब राज्य सरकार की कोशिश है कि संपत्ति पर हुए अवैध कब्जे को छुड़ाकर पूरी जमीन राज्य सरकार के मालिकाना हक में लाई जाय। जिसके लिए विधेयक लाने की तैयारी है.
कैसे शुरू हुआ बेतिया राज
बेतिया राज की कहानी (Betia Raj History) मुगल शासक अकबर के दौर से शुरू होती है. जब उसने इस इलाके में अफगानों और बंजारों के विद्रोह को दबाने के लिए सेनापति उदय करण सिंह का जिम्मा सौंपा. उदय करण सिंह ने अपनी वीरता और रणनीति से विद्रोहियों को परास्त कर पूरे इलाके में शांति स्थापित कर दी,अकबर ने उसे चंपारण सरकार का शासक नियुक्त किया.लेकिन असली कहानी शाहजहां के समय शुरू होती है. जब उज्जैन सिंह और गज सिंह ने बेतिया राज की नींव डाली। और जैसे-जैसे मुगल राज कमजोर होता गया, इलाके में बेतिया राज ताकतवर होता गया. इसके बाद अंग्रेजो की जब शक्ति बढ़ी तो 1763 ईसवी में राजा धुरुम सिंह के समय बेतिया राज अंग्रेजों के अधीन होकर करने लगा. इसके अंतिम राजा हरेन्द्र किशोर सिंह के कोई पुत्र न होने से 1897 में इसका नियंत्रण न्यायिक संरक्षण (Court Of Wards) में चलने लगा। और आज भी बेतिया राज का काम काज न्यायिक संरक्षण के तहत ही होता है.
सबसे बड़ी चोरियों में से एक का गवाह
बेतिया राज 90 की दशक में हुई चोरी की वजह से भी चर्चा में आया था। ऐसा कहा जाता है कि वह चोरी एशिया की सबसे बड़ी चोरियों में से एक थी। चोरों ने खजाने से मुगल काल के सोने के सिक्के,हीरे, अशरफ औरदेवी देवताओं की कई दुर्लभ और प्राचीन मूर्तियां चोरी कर थी। चोरी की जानकारी 21 जुलाई 1990 को हुई थी। जब IAS ऑफिसर रामाकांत सिंह नए ऑफिसर को चार्ज दे रहे थे। चोरों ने खजाने की छत को काटकर चोरी की थी। चोरी में कितनी दौलत लुटी इसका सटीक अनुमान तो नहीं है लेकिन कहा जाता है कि यह आज के दौर के हिसाब से अरबों की चोरी थी।
घंटे और हीरों से जड़ी घड़ी की कहानी
बेतिया राज की बात हो तो उसके ऐतिहासिक घंटा और राजा द्वारा इंग्लैंड से मंगाई गई घड़ी की चर्चा तो बनती है। दावा है कि बेतिया राज महल में ऐसा घंटा था जिसकी आवाज 20 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती थी। लेकिन वह भी चोरी हो गया। इसी तरह महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह को घंड़ियों का काफी शौक था। वह सोने और हीरे से जड़ी घड़ियों को पहनते थे। इसी तरह कचहरी के टावर पर इंग्लैंड से मंगाई घड़ी लगी थी। और दावा है कि घड़ी चारों तरफ से दिखती थी और उसके घंटों की आवाज तो 10 किलोमीटर तक सुनाई देती थी। घड़ी के अधिकतर पार्ट्स सोने से बनाए गए थे।