Budget 2025-26: खर्चा बढ़ाया, टैक्स घटाया, 15 लाख करोड़ का घाटा! कैसे काबू में आएगा फिस्कल डेफिसिट?
Fiscal Deficit किसी भी सरकार के बजट का सबसे अहम हिस्सा होता है. Budget 2025 में फिस्कल डेफिसिट को 4.4 फीसदी पर सीमित किए जाने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, सरकार ने तमाम मदों में खर्च बढ़ाया है. इसके अलावा डायरेक्ट टैक्स में बड़ी कटौती का ऐलान किया है. ऐसे में सवाल उठता है सरकार राजकोषीय घाटे पर कैसे काबू पाएगी.
Union Budget 2025 को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए Fiscal Deficit (राजकोषीय घाटा) 4.4 फीसदी तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है. यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है. क्योंकि, सरकार के समग्र खर्च में जहां बढ़ोतरी हुई है. वहीं, डायरेक्ट टैक्स में बड़ी कटौती का ऐलान किया गया है. ऐसे में सवाल उठता है सरकार राजकोषीय घाटे पर कैसे काबू पाएगी.
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार अपनी उधारी में कमी लाएगी. बजट में दी गई जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान सरकार ने उधारी का लक्ष्य 11.54 लाख करोड़ रुपये रखा है. सरकार को उम्मीद है कि बढ़े हुए खर्चों की पूर्ति के टैक्स कलेक्शन में होने वाली बढ़ोतरी से हो पाएगी. हालांकि, मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सकल बाजार उधार को 14.01 लाख करोड़ रुपये से संशोधित कर 14.82 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.
वित्त मंत्री ने क्या कहा
राजकोषीय नीति का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार का लक्ष्य राजकोषीय सुदृढ़ीकरण पर है. इस दौरान उन्होंने कहा, “जुलाई के बजट में मैंने राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के मार्ग पर बने रहने की प्रतिबद्धता जताई थी. हम राजकोषीय घाटे को प्रत्येक वर्ष इस तरह रखने का प्रयास करेंगे कि केंद्र सरकार का कर्ज, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में घटता जाए. इसके लिए अगले 6 वर्ष का रोडमैप बनाया गया है.
मौजूदा वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान
राजकोषीय घाटे के साथ ही वित्त मंत्री ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भी संशोधित अनुमान पेश किए. वित्त मंत्री ने बताया कि उधारियों के अलावा सरकार की कुल प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 31.47 लाख करोड़ कर दिया गया है. इसमें निवल कर प्राप्तियां 25.57 लाख करोड़ हैं. इसके अलावा कुल व्यय का संशोधित अनुमान 47.16 लाख करोड़ किया गया है, जिसमें से पूंजीगत व्यय लगभग 10.18 लाख करोड़ है. इसके साथ ही राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान 4.8 फीसदी किया गया है.
50.65 लाख करोड़ का बजट
वर्ष 2025-26 के लिए कुल बजट अनुमान 50.65 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. आसान भाषा में समझें, तो सरकार FY 26 में 50.65 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी. वहीं, सरकार की आमदनी की बात करें, तो उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियां 34.96 लाख करोड़ रहने का अनुमान है. इस तरह यह एक घाटे का बजट है. इसमें सरकार को 15.69 लाख करोड़ रुपये का घाटा होगा. वित्त मंत्री की तरफ से संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक सरकार की कुल प्राप्तियों में निवल कर प्राप्तियां 28.37 लाख करोड़ रहने का अनुमान है. राजकोषीय घाटे की पूर्ति के लिए डेटेड सिक्योरिटीज के जरिये 11.54 लाख करोड़ रुपये हासिल किए जाएंगे. शेष वित्तपोषण स्मॉल सेविंग स्कीम्स और दूसरे स्रोतों से करने का लक्ष्य है. 2025-26 में सकल बाजार उधारियां 14.82 लाख करोड़ रहने का अनुमान है.
कॉरर्पोरेट टैक्स में 10 फीसदी इजाफे की उम्मीद
सरकार के कर राजस्व में बड़ा हिस्सा कॉर्पोरेशन टैक्स का है. आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कंपनियों की आय पर लगाए जाने वाले इस कर से वित्त वर्ष 2024-2025 में 9,80,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान था, जिसे अब संशोधित कर 10,20,000 करोड़ कर दिया गया है. इस तरह सरकार को उम्मीद से ज्यादा कॉरर्पोरेट टैक्स मिलने जा रहा है. 2025-2026 के बजट में कॉर्पोरेट टैक्स का अनुमान 10,82,000 करोड़ रुपये रखा गया है. इस तरह पिछले बजट की तुलना कॉर्पोरेट टैक्स से सरकार को 10.40 फीसदी ज्यादा राजस्व मिलने की उम्मीद है.
21 फीसदी बढ़ सकता इनकम टैक्स राजस्व
12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स से छूट देकर सरकार ने जहां मिडिल क्लास को खुश कर दिया है. वहीं, सरकार को इस छूट के बाद भी घाटा नहीं होने वाला है. आयकर अधिनियम 1961 के तहत व्यक्तियों और फर्म से वसूले जाने वाले आय कर से सरकार को पिछले बजट में 11,87,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान था. लेकिन, इसे संशोधित कर 12,57,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इस मद में म्यूचुअल फंड, शेयर और दूसरी सिक्योरिटीज पर लगने वाले टैक्स भी शामिल हैं. वहीं, 2025-26 के बजट में इनकम टैक्स राजस्व बढ़कर 14,38,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में इनकम टैक्स राजस्व में 21.14 फीसदी का उछाल आने की संभावना है.
कस्टम ड्यूटी से मिलेंगे 2.40 लाख करोड़
2024-25 के बजट में कस्टम ड्यूटी से मिलने वाले राजस्व का अनुमान 2,37,745 करोड़ रुपये था, जिसे अब संशोधित कर 2,35,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसके साथ ही 2025-26 के लिए बजट के लिए इस मद से 2,40,000 करोड़ रुपये के राजस्व का अनुमान लगाया गया है.
उत्पाद शुल्क से घटेगा राजस्व
केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1985 के तहत देश में मैन्युफैक्चरिंग पर लगे वाले शुल्क से राजस्व में कमी आने का अनुमान है. केंद्रीय उत्पाद शुल्क 2024-25 के लिए संशोधित अनुमान 3,05,000 करोड़ रुपये है, जबकि बजट अनुमान 3,19,000 करोड़ रुपये रखा गया. वहीं, 2025-26 के लिए बजट अनुमान 3,17,000 करोड़ रुपये रखा गया है. इस तरह उत्पाद शुल्क 0.63 फीसदी घटने का अनुमान है.
CGST राजस्व में 11 फीसदी इजाफे का अनुमान
जीएसटी के हिस्से के तौर पर केंद्र को मिलने वाले सीजीएसटी से राजस्व में 11 फीसदी इजाफे का अनुमान है. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सीजीएसटी का संशोधित अनुमान 9,08,459 करोड़ रुपये रखा गया है. हालांकि, इसका बजटीय अनुमान 9,10,890 करोड़ रुपये था. इसके अलावा 2025-26 के लिए 10,10,890 करोड़ रुपये सीजीएसटी राजस्व का अनुमान लगाया गया है. इस तरह सीजीएसटी से पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 10.97 फीसदी ज्यादा राजस्व मिलने की उम्मीद है.
गैर-कर राजस्व 6 फीसदी बढ़ने का अनुमान
गैर-कर राजस्व के मोर्चे पर सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष में अपने अनुमान में कटौती करनी पड़ी है. 2024-25 के बजट में सरकार ने 5,45,701 करोड़ रुपये के गैर-कर राजस्व का अनुमान लगाया था. लेकिन, अब इसे संशोधित कर 5,31,000 करोड़ रुपये कर दिया है. हालांकि, 2025-26 के लिए 5,83,000 करोड़ रुपये के गैर-कर राजस्व का अनुमान है. इस मद में सरकार की आमदनी 6.83 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है.
पूंजीगत प्राप्तियों में कमी
सरकार को अलग-अलग स्रोतों से होने वाली पूंजीगत प्राप्तियों में कमी का अनुमान लगाया गया है. वित्त वर्ष 2024-25 में पूंजीगत प्राप्तियों के तौर पर 16,91,311.96 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इसे अब संशोधित कर 16,28,526.99 करोड़ रुपये कर दिया गया है. वहीं, 2025-26 के लिए 16,44,936.15 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है.
विनिवेश से 47,000 करोड़ जुटाने का अनुमान
सरकार ने विनिवेश के जरिये 47,000 करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान जताया है. हालांकि, मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार अपने लक्ष्य से चूकती नजर आ रही है. वित्त वर्ष 2025-26 में सरकार ने विनिवेश से 50,000 हजार करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान रखा था. इसे अब संशोधित कर 33,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इस तरह सरकार ने विनिवेश से राजस्व जुटाने के अनुमान में 6.38 फीसदी की कमी आई है.