पीएम विद्यालक्ष्‍मी योजना को कैबिनेट की मंजूरी, ऐसे सस्‍ती दरों पर मिलेगा 10 लाख तक का एजुकेशन लोन

इस योजना के तहत, क्वालिटी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट (QHEIs) में दाखिला पाने वाले किसी भी पात्र व्यक्ति को ट्यूशन फीस सहित अन्य पाठ्यक्रम संबंधी खर्चों को कवर करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों से बिना किसी गारंटर के लोन मिलेगा. इस योजना का लक्ष्य 22 लाख छात्रों तक पहुंचने का है.

पीएम विद्यालक्ष्‍मी योजना को कैबिनेट की मंजूरी Image Credit: PTI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई. इस दौरान मेधावी छात्रों को वित्तीय सहायता देने के लिए पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी गई, ताकि पैसों की कमी के कारण किसी भी छात्र की शिक्षा में रुकावट न आए. सरकार के अनुसार, यह नई योजना उन छात्रों के लिए है जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 4.5 लाख रुपये तक है और जो पहले से मिल रही पूरी ब्याज सहायता के अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

इस योजना के तहत, क्वालिटी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट (QHEIs) में दाखिला पाने वाले किसी भी पात्र व्यक्ति को ट्यूशन फीस सहित अन्य पाठ्यक्रम संबंधी खर्चों को कवर करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों से बिना किसी गारंटर के लोन मिलेगा. इस योजना का लक्ष्य 22 लाख छात्रों तक पहुंचने का है.

किसे होगा फायदा

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि “कैबिनेट ने मेधावी छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी है ताकि आर्थिक बाधाएं भारत के किसी भी युवा को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से न रोक सकें.” इस योजना की पात्रता एनआईआरएफ रैंकिंग पर आधारित होगी, जिसमें शीर्ष 100 उच्च शिक्षा संस्थान और चयनित राज्य तथा केंद्र सरकार के संस्थान शामिल हैं.

7.5 लाख रुपये तक का लोन लेने वाले छात्रों को डिफॉल्ट की स्थिति में 75 प्रतिशत क्रेडिट गारंटी मिल सकती है. इसके अतिरिक्त, ऐसे छात्र जिनकी पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है, उन्हें 10 लाख रुपये तक के लोन पर 3 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी मिलेगी.

कैबिनेट के अन्य फैसले

इस कैबिनेट बैठक में कई अन्य निर्णय भी लिए गए, जिनमें 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी को मंजूरी दी गई है. केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में वर्किंग कैपिटल के लिए इक्विटी पूंजी डालने का फैसला किया है. माना जा रहा है कि इस फैसले से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और कृषि क्षेत्र में सुधार आएगा.