6 साल में DTC को हुआ 35,000 करोड़ का नुकसान, ‘फ्रीबीज’ ने बढ़ा दिया बोझ

DTC (दिल्ली परिवहन निगम) का घाटा बढ़कर 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है. DTC का घाटा जहां 2015-16 में 25,300 करोड़ रुपये था, वहीं 2021-22 में बढ़कर 60,750 करोड़ रुपये हो गया. इस घाटे का कारण घटती बसों की संख्या है, और जो बसें बची हैं, उनमें से भी 45 फीसदी ओवरएज हैं, जिसकी वजह से उनका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है.

दिल्ली कैग रिपोर्ट Image Credit: tv9 bharatvarsh

CAG Report: आज यानी 25 फरवरी को दिल्ली विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश की जाएगी, इसमें सीएम आवास से लेकर दिल्ली शराब नीति और मोहल्ला क्लीनिक जैसे मुद्दे बहस का विषय बन सकते हैं. लेकिन इससे पहले दिल्ली परिवहन निगम (DTC) को लेकर बताया जा रहा है कि DTC का घाटा 2015-16 में 25,300 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर 60,750 करोड़ हो गया है. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, कैग की रिपोर्ट में पिछले छह सालों में 35,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. इस घाटे के कारण घटती बसों की संख्या, और जो बची हैं उनमें भी 45 फीसदी बसें ओवरएज हैं, जिसके कारण इनका इस्तेमाल औसत से कम हुआ है.

इन वजहों से हो रहा घाटा

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घाटे का मुख्य कारण 2009 से डीटीसी का किराये में बदलाव न होना है, जिसे दिल्ली सरकार ने कई रिक्वेस्ट के बाद भी इनकार कर दिया. साथ ही, महिलाओं को फ्री बस यात्रा दिए जाने से बोझ और बढ़ता चला गया. साथ ही इसमें घाटे को कम करने के लिए कोई ठोस रोडमैप न होने की भी बात कही गई है.

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रूट प्लानिंग में खामी

2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि डीटीसी के पास 11,000 बसें होनी चाहिए. हालांकि, 5 साल बाद दिल्ली कैबिनेट ने इनकी संख्या 5,500 तय की. कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2022 के अंत में डीटीसी के पास सिर्फ 3,937 बसें थीं, जिनमें 1,770 ओवरएज थीं. कैग ने डीटीसी को खराब रूट प्लानिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया है, क्योंकि यह बसें 468 मार्गों या कुल 814 मार्गों में से 57 फीसदी पर परिचालन कर रही थीं. हालांकि घाटे में बढ़ोतरी के बावजूद, दिल्ली सरकार ने 2015 से 2022 के बीच 13,381 करोड़ रुपये का रेवेन्यू ग्रांट दिया था.

आप ने रिपोर्ट साझा करने से किया इंकार

यह उन 14 रिपोर्टों में से पहली है, जिसे AAP सरकार ने विधानसभा में साझा करने से इनकार कर दिया था. लंबे समय से लंबित रिपोर्ट में, जिसे मंगलवार को नई भाजपा सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, कैग ने कई खामियों को उजागर किया है, जिसमें बसों की संख्या न बढ़ाना भी शामिल है. विधानसभा चुनाव में डीटीसी का खस्ताहाल बेड़ा एक राजनीतिक मुद्दा बन गया था. इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के 2015 के उस वादे का बार-बार जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने बेड़े में 10,000 बसें जोड़ने का वादा किया था.