JFK files में खुला CIA का कच्चा चिट्ठा, Covert Ops के लिए भारत में कहां-कहां बनाए बेस?
Trump Administration ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी यानी JFK की हत्या से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक कर दी हैं. इन फाइलों में अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA से जुड़े कई गहरे राज खुले हैं. भारत में भी CIA ने कई Covert Ops को अंजाम दिया और कई शहरों में अपने बेस बनाए. जानते हैं कहां-कहां ये बेस बने और इन फाइल्स में भारत के बारे में और क्या सामने आया है?

अमेरिक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 17 मार्च, 2025 को पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी हत्याकांड से जुड़े रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने का आदेश जारी किया. ट्रंप के इस आदेश पर अमेरिका के National Archives ने 18 मार्च, 2025 को इन रिकॉर्ड को सार्वजनिक कर दिया है. फिलहाल, इन रिकॉर्ड की हार्ड कॉपी मैरीलैंड के कॉलेज पार्क स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में उपलब्ध हैं. इन्हें डिजिटलाइज कर ऑनलाइन पोस्ट किया जा रहा है.
भारत के बारे में भी सामने आई जानकारी
19 मार्च को सार्वजनिक की गईं JFK files में भारत में सीआईए के Covert Ops की जानकारी सामने आई है. इसके अलावा नई दिल्ली और कोलकाता में CIA के सीक्रेट बेस होने के बारे में भी जानकारियां सामने आई हैं. ये दस्तावेज एक उथल-पुथल भरे दौर में एजेंसी की निगरानी गतिविधियों की झलक देते हैं और भारत के अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के साथ सहयोग को जोड़ते हैं.
कहां-कहां सीआईए के ठिकाने?
19 मार्च को सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों में सामने आया है कि सीआईए ने भारत में नई दिल्ली, कोलकाता के अलावा पाकिस्तान के रावलपिंडी, श्रींका के कोलंबो, दक्षिण कोरिया के सियोलए जापान के टोक्यो में भी ठिकाने बनाए थे. इसके अलावा तुर्किये में अंकारा और इस्तांबुल, लेबनान में बेरूत और ईरान के तेहरान में सीआईए के गुप्त ठिकाने थे.
RT ने किया खुलासा
1963 में कैनेडी की हत्या से जुड़े इन दस्तावेजों को खंगालकर रूसी राजकीय प्रसारक RT ने वे दस्तावेज जारी किए हैं, जिनमें CIA के ठिकानों की जानकारी दी गई है. मनी9लाइव RT की तरफ से जारी किए गए दस्तावेजों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है.

ब्लैक साइट्स का भी खुलासा
RT का दावा है कि इन दस्तावेजों में CIA की कुख्यात ब्लैक साइट्स का भी उल्लेख है. ब्लैक साइट सीआईए के ऐसे ठिकानों को कहा जाता है, जिनका आधिकारिक तौर पर कोई अस्तित्व नहीं होता है. इन ठिकानों का इस्तेमाल सीआईए की तरफ से दुश्मनों को कैद में रखने, टॉर्चर करने या अपने लोगों को छिपाने के लिए किया जाता है.
भारत में नेहरू ने दी एंट्री
मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1962 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सीआईए को भार में डेरा डालने की इजाजत दी. रिपोर्ट में कहा गया है कि शीत युद्ध के दौरान भारत का सीआईए के साथ जुड़ाव का इतिहास रहा है. अगस्त 2013 में एक सार्वजनिक किए गए आधिकारिक दस्तावेज में कहा गया है कि भारत ने 1962 के चीन से युद्ध में अपनी हार के बाद चीनी क्षेत्रों को निशाना बनाने के लिए सीआईए के यू-2 जासूसी विमानों को ईंधन भरने के लिए अमेरिका को ओडिशा में चारबतिया एयरबेस के उपयोग की अनुमति दी थी.
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