औद्योगिक श्रमिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से मिले राहत के संकेत, 7.54% से घटकर 2.15% हुई महंगाई दर
औद्योगिक श्रमिकों के उपभोग के आधार पर बनाया जाने वाले इस सूचकांक से पता चलता है कि देश के श्रमिक और मजदूर वर्ग को जीवन के लिए जरूरी भोजन, कपड़े और घर जैसी चीजों पर पर कितना खर्च करना पड़ रहा है.
देश के औद्योगिक श्रमिकों को पिछले साल की तुलना में इस साल जुलाई में महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिली है. केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के श्रम ब्यूरो की तरफ से जारी जुलाई 2024 के अखिल भारत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक श्रमिक) यानी CPI-IW के आंकड़े इस राहत को बयां करते हैं. मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक जुलाई 2024 में देश के औद्योगिक श्रमिकों को 2.15% महंगाई का सामना करना पड़ा. पिछले वर्ष जुलाई में यह दर 7.54% रही थी. इस लिहाज से औद्योगिक श्रमिकों को महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिली है.
CPI-IW पर आधारित महंगाई दर
सोमवार 9 सितंबर को श्रम ब्यूरो ने औद्योगिक श्रमिक के लिए जुलाई, 2024 का अखिल भारत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जारी किया. इसमें बताया गया है कि पिछले महीने की तुलना में यह 1.3 अंक बढ़कर 142.7 अंकों के स्तर पर आ गया है. हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का संकलन देश के 88 अहम औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर किया जाता है. जुलाई, 2024 के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जुलाई में पिछले वर्ष की 7.54% की तुलना में 2.15% रही. वहीं, जून, 2024 की महंगाई दर जून, 2023 की 5.57% की तुलना में 3.67% रही.
जून की तुलना में 1.3 अंक बढ़ा CPI-IW
पिछले महीने की तुलना में औद्योगिक श्रमिकों के लिए जुलाई का अखिल भारतीय उपभोक्ता सूचकांक जून की तुलना में 1.3 अंक बढ़कर 142.7 अंकों के स्तर पर आ गया है. नीचे दी गई तालिका में देंख जून और जुलाई के दौरान अलग-अलग समूह में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में हुए बदलावों को देखा जा सकता है.
समूह | जून, 2024 | जुलाई, 2024 |
खाद्य एवं पेय | 148.7 | 150.4 |
पान, सुपारी, तंबाकू एवं नशीले पदार्थ | 161.6 | 162.0 |
कपड़े एवं जूते | 144.2 | 144.4 |
आवास | 128.4 | 131.6 |
ईंधन एवं प्रकाश | 148.8 | 148.8 |
विविध | 136.3 | 136.6 |
सामान्य सूचकांक | 141.4 | 142.7 |
क्यों अहम होता है CPI-IW
औद्योगिक श्रमिकों के उपभोग के आधार पर बनाया जाने वाला यह सूचकांक श्रमिक वर्ग की आबादी के उपभोग पैटर्न को दर्शाता है. इससे पता चलता है कि देश के श्रमिक और मजदूर वर्ग को जीवन के लिए जरूरी वस्तुओं पर कितना खर्च करना पड़ रहा है. अगर इस सूचकांक में महंगाई दर कम होती है, तो उससे पता चलता है कि श्रमिकों को भोजन, कपड़े, आवास और ईंधन और दूसरी वस्तुओं पर कम खर्च करना पड़ रहा है. अगर सूचकांक बढ़ता है, तो उससे पता चलता है कि उन्हें ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है.