शराब नीति से लेकर ‘शीशमहल’ तक, आज पेश होगी CAG की रिपोर्ट, जानें अब तक क्या-क्या पता चला

दिल्ली विधानसभा में आज यानी 25 फरवरी को बीजेपी सरकार CAG की रिपोर्ट पेश करने जा रही है. इसमें खासकर शराब नीति, सीएम आवास और मोहल्ला क्लीनिक पर फोकस रहने वाला है. हालांकि इस रिपोर्ट की कई बातें मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आ रही हैं, चलिए जानते हैं...

दिल्ली में पेश होगी CAG की रिपोर्ट, शराब नीति से 'शीशमहल' तक होगी बहस Image Credit: TV9

Delhi CAG Report: दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से CAG रिपोर्ट की चर्चा और तेज हो गई है. बीजेपी सरकार आज यानी 25 फरवरी को विधानसभा में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश करेगी. इसमें दो मुख्य मुद्दों पर बीजेपी का ज्यादा फोकस है. पहला, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सरकारी आवास जिसे चुनावी कैंपेन के दौरान बीजेपी ‘शीशमहल’ बताती रही और दूसरा, आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की चर्चित मोहल्ला क्लीनिक योजना. इसके अलावा दिल्ली शराब नीति जिसपर हाल में सबसे ज्यादा बवाल हुआ.

दिल्ली शराब नीति

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CAG रिपोर्ट में बताया गया है कि AAP सरकार की गलत शराब नीति के कारण दिल्ली को 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है. AAP सरकार ने 2016 से दिल्ली विधानसभा में CAG की एक भी रिपोर्ट पेश नहीं की है. आरोप यह भी है कि शराब नीति बनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह ली गई थी, लेकिन उनकी सिफारिशों को माना नहीं गया.

CM आवास को लेकर विवाद

‘शीशमहल’, बीजेपी ने चुनाव से पहले इसे बड़ा मुद्दा बनाया. बीजेपी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री का सरकारी बंगला बहुत महंगा और भव्य तरीके से बनाया गया है. बीजेपी ने ही इसे ‘शीशमहल’ कहा है. इंडिया टुडे टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, CAG रिपोर्ट में बताया गया कि 6, फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित मुख्यमंत्री आवास के विस्तार और कैंप ऑफिस के निर्माण में भारी अनियमितताएं हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार:

  • इस काम के लिए शुरू में 7.91 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था, लेकिन ठेका 8.62 करोड़ रुपये में दिया गया.
  • बाद में, यह लागत 33.66 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो अनुमान से 342% अधिक थी.
  • निर्माण में इस्तेमाल की गई महंगी और कलात्मक सामग्रियों की वजह से लागत बढ़ी.
  • टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई, जहां केवल चुनिंदा कंपनियों को बोली लगाने का मौका दिया गया.
  • स्टाफ ब्लॉक और कैंप ऑफिस के लिए आवंटित 19.87 करोड़ रुपये में से कुछ पैसा दूसरी जगह खर्च कर दिया गया, और मूल योजना के अनुसार स्टाफ ब्लॉक का निर्माण नहीं हुआ.

मोहल्ला क्लीनिक को लेकर आरोप

AAP सरकार ने 2016 से 2023 के बीच मोहल्ला क्लीनिक योजना को बड़े स्तर पर लागू किया. लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसमें कई खामियां पाई गईं:

  • सरकार ने 1,000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का टारगेट रखा था, लेकिन 523 ही बन सके.
  • 35.16 करोड़ का बजट आवंटित था जिसमें से सिर्फ 9.78 करोड़ रुपये (28%) खर्च हुए.
  • कई क्लीनिकों में डॉक्टरों की कमी थी, जिसकी वजह से 218 में से 41 क्लीनिक 15 दिन से 23 महीने तक बंद रहे.
  • जरूरी मेडिकल डिवाइस (थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर मशीन, ऑक्सीमीटर आदि) की कमी पाई गई.
  • 70% मरीजों को डॉक्टर से एक मिनट से भी कम समय की सलाह मिली.
  • क्लीनिकों का निरीक्षण भी सही तरीके से नहीं हुआ – 2018 से 2023 के बीच सिर्फ 2% क्लीनिकों का निरीक्षण हुआ.