केजरीवाल सरकार की शराब नीति से दिल्ली के खजाने को 2,000 करोड़ का नुकसान, CAG की रिपोर्ट में खुलासा

CAG Report on Delhi liquor Policy: सीएजी की इस रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों को भी हाइलाइट किया गया है. शराब घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को जेल भी जाना पड़ा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान शराब घोटाला सबसे चर्चित मुद्दों में से एक रहा था.

दिल्ली शराब नीति पर कैग की रिपोर्ट. Image Credit: Money9

CAG Report on Delhi liquor Policy: मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में शराब नीति पर कैग (CAG) ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार को 2021-2022 की आबकारी नीति के चलते 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हुआ है, जिसके पीछे कमजोर पॉलिसी फ्रेमवर्क से लेकर एग्जीक्यूशन में कमी तक कई कारण हैं. कैग की यह रिपोर्ट, आम आदमी पार्टी सरकार के प्रदर्शन पर, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा पेश की जानी वाली 14 रिपोर्ट्स में से एक है.

मनीष सिसोदिया ने सिफारिशों की नजरअंदाज किया था

CAG की इस रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों को भी हाइलाइट किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, अब समाप्त हो चुकी नीति के गठन के लिए बदलाव सुझाने के लिए गठित एक विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था.

कैसे हुआ 2000 करोड़ का नुकसान

रिपोर्ट के अनुसार, ‘नॉन-कंफर्मिंग नगरपालिका वॉर्ड्स’ में शराब की दुकानें खोलने के लिए समय पर अनुमति नहीं ली गई थी. इस वजह से 941.53 करोड़ रुपये के रेवेन्यू के नुकसान का दावा किया गया है.

नॉन-कंफर्मिंग एरिया वे क्षेत्र हैं, जहां शराब की दुकानें खोलने के लिए जमीन इस्तेमाल स्टैंडर्ड के अनुरूप नहीं है. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरेंडर और विभाग द्वारा फिर से टेंडर जारी करने में असफलता के कारण आबकारी विभाग को इन क्षेत्रों से लाइसेंस शुल्क के रूप में लगभग 890.15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार, कोविड महामारी के दौरान बंद के चलते लाइसेंसधारियों को ‘अनियमित ग्रांट’ के कारण 144 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का नुकसान दिल्ली के सरकारी खजाने को हुआ है.

कहां हुआ घपलाकितना नुकसान
समय पर दुकान खोलने की अनुमति नहीं 941.53 करोड़
टेंडर जारी नहीं करने से लाइसेंस शुल्क के रूप में 890.15 करोड़
कोविड के दौरान अनियमित ग्रांट144 करोड़

शीर्ष नेताओं को जाना पड़ा जेल

जुलाई 2022 में दिल्ली उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. इसके बाद जांच के दौरान अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सहित AAP के शीर्ष नेताओं ने मामले में जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद महीनों जेल में गुजारने पड़े.

सरकार ने नहीं लिया एक्शन

रिपोर्ट में कहा गया है कि मास्टर प्लान दिल्ली-2021 में नॉन-कंफर्मिंग एरिया में शराब की दुकानें खोलने पर रोक लगाई गई है, लेकिन आबकारी नीति 2021-22 में प्रत्येक वार्ड में कम से कम दो खुदरा दुकानें खोलने का आदेश दिया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, नई दुकानें खोलने के लिए टेंडर दस्तावेज में कहा गया था कि कोई भी शराब की दुकान नॉन-कंफर्मिंग एरिया में नहीं होनी चाहिए. अगर कोई दुकान नॉन-कंफर्मिंग एरिया में है, तो उसे सरकार की पूर्व स्वीकृति से ही खोला जाना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया कि आबकारी विभाग ने नॉन-कंफर्मिंग एरिया में प्रस्तावित दुकानों के लिए तौर-तरीकों पर काम करने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं की. इसके अलावा डीडीए और एमसीडी से बातचीत किए बिना 28 जून 2021 को इनिशियल टेंडर जारी कर दिया गया. इस मुद्दे के सुलझने से पहले ही अगस्त 2021 में लाइसेंस बांटे गए थे और दुकानों को 17 नवंबर, 2021 से कारोबार शुरू करने के लिए आदेश दे दिया गया था.

हाई कोर्ट पहुंचा मामला

इस बीच दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने 16 नवंबर, 2021 को एक आदेश जारी करनॉन-कंफर्मिंग एरिया में दुकानों को अनुमति नहीं दी. इसके बाद लाइसेंसधारियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 9 दिसंबर, 2021 को अदालत ने उन्हें 67 नॉन-कंफर्मिंग वार्डों में अनिवार्य दुकानों के संबंध में लाइसेंस शुल्क के भुगतान करने से छूट दे दी, जिससे हर महीने माह 114.50 करोड़ रुपये के लाइसेंस शुल्क में छूट मिली. सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मुद्दे को हल न करने के कारण यह छूट मिली और कुल मिलाकर लगभग 941.53 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

लाइसेंस के लिए दोबारा टेंडर नहीं हुआ जारी

रिपोर्ट में बताया गया है कि अगस्त 2022 में पॉलिसी समाप्त होने से पहले 19 क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए थे. मार्च 2022 में चार, मई 2022 में पांच और जुलाई 2022 में 10 लाइसेंस सरेंडर हुए थे. हालांकि, इन क्षेत्रों में खुदरा दुकानों को चालू करने के लिए आबकारी विभाग द्वारा दोबारा टेंडर की प्रक्रिया नहीं शुरू की गई. इसके चलते लाइसेंस सरेंडर के बाद के महीनों में इन क्षेत्रों से लाइसेंस शुल्क के रूप में कोई आबकारी रेवेन्यू हासिल नहीं हुआ.

रिपोर्ट के अनुसार, रेवेन्यू संबंधी कुछ निर्णय कैबिनेट की मंजूरी और उपराज्यपाल की राय के बिना लिए गए. इनमें डिफॉल्टर लाइसेंसधारियों के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई से छूट, लाइसेंस शुल्क में छूट, एयरपोर्ट जोन के मामले में बयाना राशि की वापसी, विदेशी शराब की मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) कैलकुलेशन के लिए फॉर्मूले में करेक्शन शामिल हैं.

सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, ऑडिट में पाया गया कि कमजोर पॉलिसी इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर पॉलिसी की एग्जीक्यूशन में कमी जैसे कई कारण के चलते लगभग 2,002.68 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.