डिलीवरी बॉय को मिलेगा स्वास्थ्य बीमा और पेंशन का लाभ, सरकार लेगी गिग वर्कर्स को लेकर ये बड़े फैसलें
मिनिस्ट्री ऑफ लेबर ने जल्द ही गिग वर्कर्स की सोशल सिक्योरिटी के लिए एक ढांचा तैयार करने की तैयारी में है. इसमें स्वास्थ्य बीमा और पेंशन भी शामिल होगा. इस कदम से डिलीवरी प्लेटफॉर्म और राइड-हेलिंग ऐप वाले ड्राइवरों को काफी राहत मिलेगा.
देश के भीतर गिग वर्कर्स की क्या दशा है यह बात किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में मिनिस्ट्री ऑफ लेबर ने जल्द ही गिग वर्कर्स की सोशल सिक्योरिटी के लिए एक ढांचा तैयार करने की तैयारी में है. इसमें स्वास्थ्य बीमा और पेंशन भी शामिल होगा. इस कदम से डिलीवरी प्लेटफॉर्म और राइड-हेलिंग ऐप वाले ड्राइवरों को काफी राहत मिलेगा. इसे लागू करने के फैसले से न जाने कितने गिग वर्कर्स की दशा और दिशा बदल जाएगी.
लेबर मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को कहा, हमें उससे पहले एक नीति लानी होगी. लेबर कोड ने पहली बार गिग वर्कर्स को परिभाषित किया था. उन्होंने सभी छह करोड़ ईपीएफओ सदस्यों के लिए बढ़े हुए बीमा लाभों के विस्तार की भी घोषणा की. इससे उन्हें 7 लाख रुपये तक का जीवन कवर मिल सकता है. गुरुवार को प्लेटफॉर्म वर्कर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद मंत्री ने कहा कि वह फरवरी में बजट से पहले सामाजिक सुरक्षा ढांचा लागू करने की कोशिश करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि यह नीति पूरे देश में कानूनी रूप से जारी होगी.
ये सुविधाएं मिलेंगी
कुछ राज्यों ने गिग वर्कर्स के लिए कानून बनाए हैं. मंडाविया ने कहा इसे कैसे लागू करना इसपर कई सुझाव दिए गए हैं. साथ ही इसका अध्ययन किया जाएगा. मंत्री ने कहा कि मंत्रालय सभी सुझावों पर विचार कर रहा है. नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि देश में 65 लाख गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर हैं. ऐसा माना जा रहा है कि यह संख्या दो करोड़ से ज़्यादा होने की संभावना है. यह सेगमेंट तेजी से बढ़ रहा है. Social Security Code 2020 में गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए जीवन और विकलांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ और वृद्धावस्था सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सामाजिक सुरक्षा उपाय प्रदान किए गए हैं.
क्या और कौन होते है गिग वर्कर्स
गिग वर्कर्स वे लोग हैं जो थोड़े समय के लिए काम करते हैं. ये काम ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म या ऐप से मिलता है. इसमें डिलीवरी का काम और राइड शेयरिंग आदि शामिल होता है. गिग वर्कर्स को अपने समय के हिसाब से काम करने, अपने काम को चुनने, अतिरिक्त पैसे कमाने की आजादी मिलती है. भारत में गिग वर्कर्स के लिए कई प्लेटफार्म उपलब्ध हैं. इसमें उबर, जोमैटो, स्विगी, रैपिडो. गिग वर्कर्स की संख्या बढ़ रही है और यह एक नए तरीके के काम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.