2022-24 के दौरान तीन गुना बढ़े डिजिटल अरेस्ट, साइबर क्राइम; सरकार ने किया खुलासा

इस साल 8 फरवरी तक 17,718 मामलों की सूचना मिली Image Credit: @Tv9

सरकार ने बुधवार को संसद को बताया कि 2022 से 2024 के बीच देश में डिजिटल अरेस्ट और संबंधित साइबर अपराध के मामलों की संख्या लगभग तीन गुना हो गई और इस अवधि के दौरान धोखाधड़ी के जरिये निकाली गई राशि में 21 गुना की बढ़ोतरी हुई. गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर पिछले तीन साल के डिजिटल अरेस्ट घोटालों के अपडेटेड आंकड़े और संबंधित साइबर अपराध के मामलों के आंकड़े बताते हैं कि 2022 में ऐसी 39,925 घटनाओं की सूचना मिली जिनमें धोखाधड़ी के जरिये 91.14 करोड़ रुपये निकाले गए थे.

आंकड़ों के अनुसार 2024 में, इस तरह के मामलों की संख्या लगभग 1,23,672 हो गई, जिनमें धोखे से निकाली गई राशि 21 गुना बढ़कर 19,35.51 करोड़ रुपये हो गई.

कुमार ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार, 2025 के शुरुआती दो महीनों के भीतर, 8 फरवरी तक डिजिटल अरेस्ट, साइबर अपराध के 17,718 मामलों की सूचना मिली जिसमें 210.21 करोड़ रुपये निकाले गए.

कुमार ने बताया ‘इस पोर्टल पर साइबर क्राइम की घटनाओं की सूचना दी गई जिन्हें प्राथमिकी में तब्दील किया गया और संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने उनकी जांच शुरु की.’

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा स्थापित ‘इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर’ (I4C) ने ऐसे अपराध में इस्तेमाल किए गए 3,962 ‘स्काइप आईडी’ और 83,668 व्हाट्सएप खातों की पहचान कर उन्हें ब्लॉक कर दिया है.

फाइनेंशियल फ्रॉड की तत्काल सूचना देने तथा साइबर अपराधियों द्वारा धोखे से रकम निकाले जाने पर रोक के लिए वर्ष 2021 में आई4सी के तहत नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (द सिटिजन फायनेन्शियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम) की शुरुआत की गई थी.

कुमार ने बताया कि अब तक, 13.36 लाख से अधिक शिकायतों में 4,386 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बचाई गई है.

उन्होंने बताया कि एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर-1930 को ऑनलाइन साइबर शिकायतें दर्ज करने में सहायता के लिए परिचालित किया गया है. इसके अलावा साइबर जालसाजी के खतरे पर अंकुश लगाने के लिए आई4सी ने दूरसंचार विभाग के सहयोग से साइबर अपराध के बारे में जागरूकता बढ़ाने और हेल्पलाइन नंबर 1930 और एनसीआरपी को बढ़ावा देने के लिए एक ‘कॉलर ट्यून’ अभियान शुरू किया है.

कुमार ने बताया कि कॉलर ट्यून क्षेत्रीय भाषाओं में भी बजाई जा रही है, टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSP) द्वारा दिन में 7-8 बार यह बजाई जाती है. इस मुद्दे पर एक अलग सवाल के जवाब में, उन्‍होंने कहा कि केंद्र सरकार और टीएसपी ने भारतीय मोबाइल नंबरों को प्रदर्शित करने वाले अंतरराष्ट्रीय स्पूफ कॉल (फर्जी कॉल) को पहचानने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए एक प्रणाली तैयार की है. ये फोन नंबर ऐसे लगते हैं मानो वे भारत के ही हैं.

कुमार ने कहा, ‘इस तरह की अंतरराष्ट्रीय स्पूफ कॉल को ब्लॉक करने के लिए टीएसपी को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. 28 फरवरी, 2025 तक, 7.81 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2,08,469 आईएमईआई को ब्लॉक किया जा चुका है.’