70-90 घंटे भूल जाइए, इकोनॉमिक सर्वे बोला; इससे ज्यादा काम किया तो खराब हो जाएगी मेंटल हेल्थ
हाल ही में हफ्ते में 90 घंटे काम किए जाने को लेकर जमकर बहस छिड़ी थी, इसी को लेकर इकोनाॅमिक सर्वे 2025 में चौंकाने वाली बात सामने आई है. रिपोर्ट में तमाम अध्ययनों को हवाला देते हुए बताया गया है कि कैसे ये सेहत के लिए खतरनाक है.
Economic Survey 2025: लार्सन एंड टुब्रो के अध्यक्ष एसएन सुब्रह्मण्यन की ओर से हाल ही में हफ्ते में 90 घंटे काम किए जाने को लेकर खूब बवाल मचा था. इतना ही नहीं उन्होंने छुट्टी वाले दिन भी काम करने की वकालत की थी. सप्ताह में 70-90 घंटे तक काम करने को लेकर जारी इसी बहस को लेकर शुक्रवार यानी 31 जनवरी को पेश हुए इकोनॉमिक सर्वे में चिंता जाहिर की गई. साथ ही तमाम अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया कि ये सेहत के लिए कैसे खतरनाक हो सकता है.
बिगड़ सकती है हेल्थ
समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया कि अपने डेस्क पर लंबे समय तक समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. जो व्यक्ति डेस्क पर प्रतिदिन 12 घंटे या उससे अधिक समय बिताता है, उसे मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का सामाना करना पड़ता है. यह समीक्षा पेगा एफ, नफ्राडी बी (2021) और डब्ल्यूएचओ/आईएलओ के कार्य-संबंधी रोग के संयुक्त अनुमानों का हवाला देते हुए की गई है. इसमें बताया गया कि काम पर बिताए गए घंटों से आमतौर पर प्रोडक्टिविटी का पैमाना नामा जाता है, लेकिन पिछले अध्ययन में पाया गया कि सप्ताह में 55-60 घंटे से अधिक काम करने का सेहत पर प्रतिकूल असर हो सकता है.
डेस्क पर 12 घंटे से ज्यादा वक्त बिताना हानिकारक
सैपियन लैब्स सेंटर फॉर ह्यूमन ब्रेन एंड माइंड के एक अध्ययन का हवाला देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि अपने डेस्क पर लंबे समय तक बैठना सही नहीं है, ये मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. खासतौर जो व्यक्ति डेस्क पर 12 या उससे अधिक घंटे बिताते हैं, उन्हें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
डिप्रेशन से 7,000 रुपये का हर दिन होता है नुकसान
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन का हवाला देते हुए सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अवसाद और चिंता के कारण प्रतिवर्ष लगभग 12 बिलियन दिन बेकार हो जाते हैं, जिससे 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्तीय नुकसान होता है. यानी लगभग रोजाना 7,000 रुपये का नुकसान होता है.
क्यो छिड़ी थी बहस?
लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस एन सुब्रह्मण्यन ने हाल ही में एक टिप्पणी की थी कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए, जिसमें रविवार को भी शामिल करना चाहिए. उन्हें घर पर बैठने से बेहतर है. उन्होंने इस दौरान बीवी के निहारने को लेकर भी टिप्पणी की थी. उन्होंने इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के सप्ताह में 70 घंटे काम करने की वकालत के बीच ये बात कही थी, इसी के बाद से काफी बहस शुरू हो गई थी.