PM आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय का निधन, रेलवे के सुधार में रहा अहम रोल

अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का निधन हो गया है. वे प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष और अर्थशास्त्री भी थे.

बिबेक देबरॉय Image Credit: Internet

वरिष्ठ भारतीय अर्थशास्त्री और लेखक बिबेक देबरॉय का शुक्रवार, एक नवंबर को निधन हो गया. देबरॉय एक प्रमुख अर्थशास्त्री थे, जिन्हें भारत में आर्थिक नीति और अनुसंधान में उनके बड़े योगदान के लिए जाना जाता था. वे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन के रूप में कार्यरत थे. यह पद उन्होंने सितंबर 2017 से संभाला था. इसके अलावा, उन्होंने अमृत काल के लिए बुनियादी ढांचे के वर्गीकरण और वित्तपोषण के लिए वित्त मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता भी की थी.

रेलवे और किसानों पर टैक्स को लेकर चर्चा में रहे

बिबेक देबरॉय का सबसे अहम योगदान रेलवे को लेकर रहा है। जिन्होंने रेलवे की उस धारणा को बदला, जिसमें यह समझा जाता था कि रेलवे का उद्देश्य केवल सामाजिक सेवा करना है। उन्होंने 2015 में उनकी अध्यक्षता में गठित कमेटी के जरिए कर्ज में डूबती रेलवे में सुधार के लिए कई अहम सुझाव दिए। उन्होंने ही प्राइवेट ट्रेन चलाने का सुझाव दिया था। साथ ही रेलवे में सब्सिडी सिस्टम कम करने की सलाह दी थी। इसी तरह रेल बजट अलग से पेश नहीं होना चाहिए, इसका भी सुझाव उन्हीं कि दिया हुआ था।

इसके अलावा किसानों से भी इनकम टैक्स लिया जाना चाहिए। इसका भी सुझाव उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में दिया। इसके लिए उन्होंने एक इनकम के बाद टैक्स लेने की बात कही थी। हालांकि वह सुझाव अमल में नहीं आया।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देबरॉय अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति और अध्यात्म सहित विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले एक महान विद्वान थे. मोदी ने कहा कि देबरॉय ने अपने काम के जरिए भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है.

इन जगहों पर भी किया काम

बिबेक देबरॉय की ने कानूनी सुधारों पर वित्त मंत्रालय/यूएनडीपी प्रोजेक्ट के डायरेक्टर के रूप में काम किया था. बिबेक देबरॉय एक जाने माने भारतीय अर्थशास्त्री थे. इसके अलावा वे लेखक और विद्वान भी थे. उन्होंने भारत की आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने मैक्रोइकॉनॉमिक्स, पब्लिक फाइनेंस और इन्फ्रास्कचर जैसे विषयों पर बड़े पैमाने पर किताब लिखी है. बिबेक देबरॉय ने इसी साल सितंबर में, देबरॉय ने पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (GIPE) के Vice Chancellor के पद से इस्तीफा दे दिया था.

पद्म श्री से भी नवाजा गया

उन्होंने महाभारत और भगवद गीता सहित शास्त्रीय संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद भी किया है. उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक पाठकों तक पहुंचाने का काम किया है. वे 5 जून, 2019 तक नीति आयोग के सदस्य भी थे. वे कई समाचार पत्रों के सलाहकार/योगदान संपादक भी रहे हैं. बिबेक देबरॉय को साल 2015 में पद्म श्री से नवाजा गया था. वहीं साल 2016 में उन्हें यूएस-इंडिया बिजनेस समिट में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था.