मस्क की SpaceX लांच करेगी भारत का GSAT-20 सेटेलाइट, ISRO से मिलाया हाथ
उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने इसरो के साथ एक बड़ा सौदा किया है. इस सौदे के तहत इसरो अपनी सबसे आधुनिक कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-20 को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च करेगी.
इसरो ने अमेरिका के दिग्गज उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ एक बड़ा सौदा किया है. यह इसरो और एलन मस्क की कंपनी के बीच पहली कॉमर्शियल पार्टनरशिप है. इस सौदे के तहत इसरो के सबसे आधुनिक कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-20 को लॉन्च किया जाएगा. आने वाले कुछ ही हफ्तों में भारत इस सैटेलाइट को लॉन्च करेगा. 47,000 किलोग्राम वजन वाली यह सैटेलाइट भारत के रॉकेटों के लिए काफी भारी है, लेकिन स्पेसएक्स के साथ यह समझौता भारत की उड़ान को सहारा देगा. GSAT-20, जिसे GSAT N-2 भी कहा जाता है. 19 नवंबर को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च होगी. इसे अमेरिका के केप कैनावेरल से लॉन्च किया जाएगा.
GSAT-20 कम्युनिकेशन सैटेलाइट देश के दूरदराज के इलाकों में कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. साथ ही यह कई तरह की जानकारी देने में मदद करेगा. बताया जा रहा है कि यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में 14 साल तक अपनी सेवा प्रदान करेगी.
क्या है फाल्कन 9 रॉकेट की खासियत?
स्पेसएक्स कंपनी का फाल्कन 9 रॉकेट अंतरिक्ष अभियानों में नई क्रांति ला चुका है. यह रॉकेट न केवल अपनी तकनीकी क्षमताओं के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी किफायती लागत और दोबारा उपयोगिता ने इसे वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष अभियानों के लिए पसंदीदा आप्शन बना दिया है. इस रॉकेट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है. रॉकेट लॉन्च के बाद इसका पहला चरण (फर्स्ट स्टेज) वापस धरती पर लाकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे मिशन की लागत में भारी कमी आती है.
बता दें पारंपरिक रॉकेट्स में लॉन्च के बाद इस्तेमाल किए गए हिस्से समुद्र में गिर जाते हैं और बर्बाद हो जाते हैं, लेकिन फाल्कन 9 में के साथ ऐसा नहीं है. फाल्कन 9 रॉकेट की दूसरी बड़ी खासियत इसकी भारी पेलोड ले जाने की क्षमता है. यह रॉकेट 22,800 किलोग्राम तक का पेलोड लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में और 8,300 किलोग्राम तक का पेलोड जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में ले जाने में सक्षम है.
GSAT-20 सैटेलाइट की खासियत
इस सैटेलाइट के लॉन्च की अनुमानित लागत $60-70 मिलियन के बीच है. यह इसरो का पहला ऐसा उपग्रह है, जिसमें हाई कैपिसिटी वाले बैंड की फ्रिक्वेंसी का उपयोग किया गया है. इसमें 27 और 40 गीगाहर्ट्ज़ (GHz) के बीच रेडियो आवृत्तियों की एक श्रृंखला है, जो सैटेलाइट की कम्युनिकेशन क्षमता को बढ़ाएगी. इसके लॉन्च होने से भारत में कम्युनिकेशन को लेकर क्रांति आएगी. वहीं, इसरो की कमर्शियल शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजमेंट डायरेक्टर श्री डी राधाकृष्णन ने इस सौदे पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “स्पेसएक्स के साथ इस पहले लॉन्च पर हमें एक अच्छी डील मिली है.