IPL में ताबड़तोड़ छक्के, बैट का ये हिस्सा बन जाता है ‘बाहुबली’; जानें इसके पीछे का साइंस और 300 साल पुराना नाता
पिछले कुछ दशकों में IPL ने क्रिकेट की तस्वीर ही बदल दी है. अब चौके-छक्के लगाना पहले की तुलना में कहीं ज्यादा आसान हो गया है. जहां पहले एक ओवर में 1-2 छक्के लगना बड़ी बात मानी जाती थी, वहीं अब एक ओवर में 5-6 बाउंड्री लगाना आम हो गया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे क्रिकेट बैट की बनावट और तकनीक समय के साथ बदली है.

History of Cricket Bat: क्रिकेट की पॉपुलैरिटी किसी से छिपी नहीं है. लोग इसे खेलना और देखना दोनों ही खूब पसंद करते हैं. समय के साथ इस खेल के नियमों में काफी बदलाव आए हैं. पिछले कुछ दशकों में IPL ने क्रिकेट की तस्वीर ही बदल दी है. अब चौके-छक्के लगाना पहले की तुलना में कहीं ज्यादा आसान हो गया है. जहां पहले एक ओवर में 1-2 छक्के लगना बड़ी बात मानी जाती थी, वहीं अब एक ओवर में 5-6 बाउंड्री लगाना आम हो गया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे क्रिकेट बैट की बनावट और तकनीक समय के साथ बदली है.
हॉकी स्टिक जैसा होता था पुराना क्रिकेट बैट
साल 1720 के आसपास क्रिकेट बैट का आकार आज की तुलना में काफी अलग था. यह हॉकी स्टिक जैसा दिखता था और शेफर्ड के डंडे से प्रेरित था. फिर 1750 के दशक में बैट को सपाट (फ्लैट) बनाना शुरू किया गया और इसकी चौड़ाई 10.8 सेमी तय की गई. यह आज भी मान्य है. उस दौर में बैट भारी होते थे और उनका स्वीट स्पॉट (जहां से बॉल लगकर बेहतरीन शॉट निकलता है) नीचे की ओर होता था.
साल 1820 के बाद जब गेंद उछलने लगी तो बल्लेबाज़ों की सुविधा के लिए हल्के बैट बनने लगे. साल 1860 के दशक में एक ही लकड़ी से बने बैट की जगह रबर ग्रिप और केन हैंडल वाले बैट प्रचलन में आए. इसके बाद साल 2000 के बाद से बैट की बनावट में बड़ा बदलाव आया. अब बैट के किनारे मोटे होते हैं, पीछे से उभरे हुए होते हैं और ब्लेड थोड़ा मुड़ा होता है. इससे बेहतर स्विंग और ताकत मिलती है.
फॉर्मेट के हिसाब से चुने जाते हैं बैट
बैट के आकार और वजन की पसंद भी अब खिलाड़ियों के खेलने के अंदाज और फॉर्मेट पर निर्भर करती है. टी20 और आईपीएल जैसे फॉर्मेट में पावर हिटिंग के लिए ऐसे बैट बनाए जाते हैं जिनका वजन नीचे की ओर होता है. इससे गेंद को ऊपर उठाने में आसानी होती है. आज के बैट में स्वीट स्पॉट आमतौर पर बैट के निचले हिस्से से करीब 160 मिमी ऊपर होता है. पहले यह स्थान तय होता था, लेकिन अब इसे बल्लेबाज की पसंद और जरूरत के हिसाब से बदला जा सकता है.
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तेज पिचों पर खिलाड़ी स्वीट स्पॉट थोड़ा ऊपर रखते हैं, जबकि धीमी पिचों पर नीचे. नए डिजाइन में वजन का ऐसा संतुलन होता है कि पूरा बैट ही स्वीट स्पॉट की तरह काम करता है. बैट में Grains यानी लकड़ी की रेखाएं पहले गुणवत्ता का पैमाना मानी जाती थीं. 12-15 grains वाला बैट अच्छा माना जाता था, लेकिन अब 8-10 grains वाले बैट भी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि असली बात लकड़ी की गुणवत्ता में है न कि grains की संख्या में.
आईपीएल में छक्कों की बारिश
आजकल एक IPL मैच में औसतन 18.4 छक्के लग रहे हैं. यह पिछले वर्षों की तुलना में कहीं ज्यादा है. यह साबित करता है कि बैट और बल्लेबाज दोनों में जबरदस्त तकनीकी में बदलाव आया है. आज का क्रिकेट बैट तकनीक, खिलाड़ी की जरूरत और फॉर्मेट के अनुसार पूरी तरह कस्टमाइज होता है. यही आज के तेज और दमदार खेल की असली ताकत है.
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