एक सप्ताह में 2.30 अरब डॉलर बढ़कर 683.98 अरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, यूरो, पाउंड और येन जैसी विदेशी मुद्राएं शामिल होती हैं. विदेशी मुद्रा भंडार लगातार नए उच्च स्तर पर पहुंच रहा है. दो सप्ताह पहले यानी 23 अगस्त को यह करीब 674 अरब डॉलर था.

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से भारत की क्रय शक्ति बढ़ती है. Image Credit: MR.Cole_Photographer/Moment/Getty Images

विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीन सप्ताह से बढ़ोतरी हो रही है. बीते 3 सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 10 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है. 6 सितंबर को रिजर्व बैंक की तरफ से जारी विदेशी मुद्रा भंडार के साप्ताहिक डाटा के मुताबिक फिलहाल कुल विदेशी मुद्रा भंडार 683.98 अरब डॉलर पहुंच गया है. विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, यूरो, पाउंड और येन जैसी विदेशी मुद्राएं शामिल होती हैं. विदेशी मुद्रा भंडार लगातार नए उच्च स्तर पर पहुंच रहा है. दो सप्ताह पहले यानी 23 अगस्त को यह करीब 674 अरब डॉलर था. 6 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 599 अरब डॉलर की विदेशी मुद्राएं हैं. इसके अलावा 61.85 अरब डॉलर का सोना, 18.46 अरब डॉलर एसडीआर और 3.87 अरब डॉलर आईएमएफ रिजर्व के तौर पर मौजूद हैं.

6 सितंबर को विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति

स्रोत : रिजर्व बैंक

कहां काम आता है विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार की सबसे ज्यादा जरूरत आयात बिल को चुकाने के लिए होती है. जुलाई में देश का कुल आयात बिल 56.18 अरब डॉलर रहा. भारत के आयात में सबसे बड़ा हिस्सा कच्चे तेल, गैस और कोयला जैसे ईंधनों का रहता है. इनके आयात के लिए भारत के पास मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार होना जरूरी है.

क्यों बढ़ रहा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी के कई कारण हैं. फिलहाल, तेजी से भंडार बढ़ने का सबसे बड़ा कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी है. कच्चे तेल की कीमत फिलहाल 14 महीने के निचले स्तर पर हैं. भारत के आयात बिल में सबसे बड़ा हिस्सा कच्चे तेल का ही होता है. विदेशी मुद्रा भंडार पर कच्चे तेल की कीमतें घटने का असर साफ दिख रहा है. इसके अलावा दूसरा बड़ा कारण निर्यात में बढ़ोतरी है. पिछले वित्त वर्ष में भारत ने रिकॉर्ड 776.68 अरब डॉलर का निर्यात किया था. देश के निर्यात में करीब 5 फीसदी की सालाना वृद्धि हो रही है.