बोतल बंद पानी स्वास्थ्य को पहुंचा रहा नुकसान! FSSAI ने हाई रिस्क कटैगरी में डाला
FSSAI ने कहा है कि कुछ उत्पादों के लिए मैंडेटरी भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) सार्टिफिकेशन की चूक के चलते यह निर्णय लिया गया है कि बोतल बंद पानी और मिनरल वाटर को 'हाई रिस्क फूड कैटेगरी' के अंतर्गत माना जाएगा.
आम तौर पर बोतल बंद पानी और मिनरल वाटर को शुद्ध और स्वास्थ्य के लिए हेल्दी माना जाता है. लेकिन बहुत से लोगों को मालूम नहीं होगा कि लगातार बोतल बंद पानी पीने से हेल्थ पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल ही में बोलत बंद पानी और मिनरल वाटर सेगमेंट को ‘हाई रिस्क फूड कैटेगरी’ के रूप में वर्गीकृत करने का फैसला किया है. FSSAI ने कहा है कि अब ये प्रोडक्ट मैंडेटरी इंस्पेक्शन और तीसरे पक्ष के ऑडिट मानदंडों के अधीन आएंगे.
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, FSSAI ने कहा है कि कुछ उत्पादों के लिए मैंडेटरी भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) सार्टिफिकेशन की चूक के चलते यह निर्णय लिया गया है कि बोतल बंद पानी और मिनरल वाटर को ‘हाई रिस्क फूड कैटेगरी’ के अंतर्गत माना जाएगा. अपने आदेश में, नियामक ने उल्लेख किया कि उसने बोतल बंद पानी और मिनरल वाटर को ‘हाई रिस्क फूड कैटेगरी’ में शामिल करने के लिए अपनी जोखिम-आधारित निरीक्षण नीति में संशोधन किया है. इसके साथ, पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और मिनरल वाटर के निर्माताओं को हर साल एक बार जोखिम-आधारित निरीक्षण से गुजरना होगा. लाइसेंस या पंजीकरण देने से पहले भी उनका निरीक्षण किया जाएगा.
सर्टिफिकेट लेना है आवश्यक
29 नवंबर के अपने आदेश में, नियामक ने उल्लेख किया कि अब मार्केट में बेची जाने वाली पानी की बोतलों पर BIS मार्क होना आवश्यक है. इसके अलावा बोतल बंद पानी की यूनिट को शुरू करने से पहले FSSAI सर्टिफिकेट लेना भी जरूरी है. यह सर्टिफिकेट यह सुनिश्चित करता है कि बोतल बंद पानी पीने योग्य है. बता दें कि बोतल में पानी पैक करने से पहले फिल्टर करके पहले साफ किया जाता है. इस दौरान उसमें जरूरी खनिज मिश्रित किए जाते हैं, ताकि इंसान के शरीर को भरपूर पोषण मिल सके.
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बोतलों पर BIS मार्क अनिवार्य
हालांकि, पहले पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर उद्योग ने केंद्र सरकार से नियमों में ढील देने की मांग की थी. BIS और FSSAI दोनों से दोहरे सर्टिफिकेशन की जरूरतों को हटाने का आग्रह किया था. पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और मिनरल वाटर बनाने वाली कंपनियों को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) लाइसेंस के साथ ही भारतीय मानक ब्यूरो यानी BIS का सर्टिफिकेट भी लेना अनिवार्य होता है. वहीं बाजार में बेची जा रही पानी की बोतलों पर BIS मार्क होना भी आवश्यक है.
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