गौतम अडानी का बड़ा दावा, अगले 10 साल तक हर 18 महीने में 1 ट्रिलियन डॉलर बढ़ेगी भारत की जीडीपी

देश के सबसे अमीर शख्स व कारोबारी गौतम अडानी का कहना है कि दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, भारत इसके बाद भी तेजी से आर्थिक तरक्की करने में कामयाब रहेगा.

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देश के सबसे अमीर शख्स और मशहूर कारोबारी गौतम अडानी ने मुंबई के आजाद हिंद कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की जीडीपी फिलहाल करीब 4 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 320 लाख करोड़ रुपये की है. देश की जीडीपी को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में आजादी के बाद करीब 6 दशक लगे. इसके बाद 2 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा छूने में 12 साल का वक्त लगा. 3 ट्रिलियन डॉलर के लिए 5 साल का वक्त लगा. अब देश की अर्थव्यवस्था में हर 18 महीने में 1 ट्रिलियन डॉलर जुड़ेंगे. यह सिलसिला अगले 10 साल तक चलता रहेगा. अडानी समूह के अध्यक्ष ने कहा कि हर 18 महीने में देश की जीडीपी में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ना असल में सरकार की कई बड़ी योजनाओं और लगातार चल रहे आर्थिक और सामाजिक सुधारों की वजह से संभव हुआ है. इसके साथ ही उन्होंने अनुमान लगाया कि 2050 तक भारत की जीडीपी 30 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो जाएगी।

अडानी ने कहा कि यह आर्थिक विकास प्रत्येक भारतीय के लिए तमाम अवसर लेकर आएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस सफर में भारत को भी तमाम दूसरे देशों की तरह चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. भारतीय लोगों की मेहनत और अर्थव्यवस्था की मजबूती में भरोसा जताते हुए अडानी ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि तमाम वैश्विक चुनौतियों के बाद भी भारत की आर्थिक तरक्की ठहरने वाली नहीं है. उन्होंने कहा, पिछले दशक में हुए देश के व्यापक विकास को देखते हुए, हम तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम हैं.

कंपनी पर दोहरा हमला किया गया

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और उससे पहले के अपने तमाम संघर्षों को याद करते हुए अडानी ने कहा, हमारे सामने कई संकट आए, लेकिन इन सबसे निपटते हुए आज अडानी समूह इतना बड़ा बना है. जनवरी 2022 में अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग के कथित शोध और आरोपों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, अडानी समूह के शेयरों में इस रिपोर्ट की वजह से 150 अरब डॉलर की गिरावट हुई. लेकिन, सबकुछ जल्द ही ठीक हो गयाा. उन्होंने कहा कि यह अडानी समूह पर सिर्फ एक वित्तीय हमला नहीं था. असल में यह पूरे समूह को नष्ट करने के लिए किया गया दोहरा हमला था. इसमें एक तरफ समूह की आर्थिक स्थिरता को निशाना बनाया गया. दूसरी तरफ राजनीतिक विवादों में घसीटा गया.

मीडिया ने हिंडनबर्ग के हमले को बढ़ावा दिया

अडानी ने कहा कि उनके समूह पर यह हमला ठीक उस समय किया गया, जब फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर के जरिये समूह को फंड जुटाना था. हमले के दौरान कोशिश यही की गई थी कि समूह को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके. इसके साथ ही अडानी ने कहा कि उनके समूह पर हुए इस हमले को मीडिया के एक तबके ने खासतौर पर बढ़ावा दिया. जाहिर तौर पर ऐसा करने में उनके अपने स्वार्थ जुड़े थे.

हमले के बाद असाधारण फैसला किया

गौतम अडानी ने कहा कि जब उन्हें बर्बाद करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने और ज्यादा मजबूती दिखाई और असाधारण फैसला करते हुए एफपीओ के जरिये समूह को मिले 20,000 करोड़ रुपये निवेशकों को वापस लौटा दिए गए. उन्होंने कहा, यह फैसला इस वजह से किया, ताकि हम अपने मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दिखा सकें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस हमले के बाद भी समूह ने अन्य स्रोतों से हजारों करोड़ रुपये जुटाए और अपने डेब्ट-टू-एबिटडा अनुपात को 2.5 से नीचे ले आए. यह दुनिया की सबसे मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के बीच भी एक असाधारण आंकड़ा है.