GDP सुस्त ! 5.4 फीसदी के साथ 2 साल के सबसे निचले स्तर पर ग्रोथ रेट
मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी विकास की दर धीमी हो गई है. शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि धीमी होकर 5.4% हो गई. साल दर साल आधार पर देखें, तो वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी दर 8.2 फीसदी रही थी.
औद्योगिक उत्पादन और पीएमआई डाटा से भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास दर में सुस्ती के जो संकेत मिल रहे थे उनकी पुष्टि हो गई है. मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.4 फीसदी रही. यह पिछले दो वर्ष की सबसे कम तिमाही ग्रोथ है. इससे पहले 2022-23 की चौथी तिमाही में 4.3 फीसदी की सबसे कम ग्रोथ रही थी.
साल-दर-साल आधार पर देखा जाए, तो पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.1 फीसदी रही थी. इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर में 2.7 फीसदी की कमी हुई है. वहीं, अगर 2022-23 से तुलना करें, तो इसमें 7.4 फीसदी का बड़ा फासला है. 2022-23 में दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 12.8 फीसदी रही थी.
लगातार तीसरी बार गिरावट
वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट हो रही है. 2023-24 की चौथी तिमाही में जीडीपी विकास दर 8.6 फीसदी रही थी. इसके बाद से लगातार गिरावट आ रही है. केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की तरफ से जारी वक्तव्य में वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में रियल जीडीपी में 5.4% की वृद्धि की बात कही गई है. जबकि वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में 8.1% की वृद्धि दर्ज की गई थी.
पिछले साल की तुलना में जीवीए भी घटा
मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विनिर्माण खनन में सुस्त वृद्धि के बावजूद रियल GVA में वृद्धि दर दर्ज की गई है. वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में रियल जीवीए में 5.6% की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसमें 7.7% की वृद्धि हुई थी. वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नॉमिनल जीवीए में 8.1% की वृद्धि देखी गई है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में इसमें 9.3% की वृद्धि हुई थी.
प्राइमरी सेक्टर में सुधार
देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले कृषि और इससे संबद्ध गतिविधियों के साथ ही खनन को प्राइमरी सेक्टर कहा जाता है. इस क्षेत्र ने पिछली चार तिमाहियों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है. चार तिमाहियों में 0.4% से 2.0% तक की वृद्धि दर रही. वहीं, मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.5% की वृद्धि के साथ जोरदार उछाल देखा गया है.
सेकंडरी सेक्टर में भारी गिरावट
निर्माण, विनिर्माण, बिजली उत्पादन, गैस-तेल आपूर्ति जैसी गतिविधियों को अर्थव्यवस्था के सेकंडरी सेक्टर में रखा गया है. मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इस क्षेत्र की विकास दर 3.9 फीसदी रही. जबकि, पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह दर 13.7 फीसदी रही थी.
सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन सुधरा
अर्थव्यवस्था का टर्शरी सेक्टर यानी सेवा क्षेत्र मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में 7.1% की वृद्धि दर से बढ़ा. पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इस क्षेत्र ने 6.0% की वृद्धि दर हासिल की थी. इस साल खासतौर पर व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं में 6.0% की वृद्धि दर देखी गई है, जबकि 2023-24 की दूसरी तिमाही में इनमें 4.5% की दर से बढ़ोतरी हुई.
खपत के मोर्चे पर राहत
निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में 6.0% की वृद्धि हुई है. जबकि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह वृद्धि दर 2.6% रही थी. इसके अलावा पिछली तीन तिमाहियों में नकारात्मक वृद्धि दर देखने के बाद सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (जीएफसीई) 4.4% की वृद्धि हुई है.