डिलीवरी एजेंट जैसे गिग वर्कर्स को पेंशन और चिकित्सा बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा देने की तैयारी में सरकार

घर-घर जाकर लोगों को सेवाएं देने वाले कामगार जिन्हें गिग वर्कर कहा जाता है अब सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाए जाएंगे. केंद्र सरकार ने सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में पहली बार गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की परिभाषा तय की. अब सभी एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म को सरकार ने अपने श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर करने के लिए कहा है. सरकार गिग वर्कर्स को पेंशन और मेडिक्लेम जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में लाना चाहती है.

केंद्र सरकार ने सभी गिग वर्कर एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म को अपने श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर करने के लिए कहा है. श्रम और रोजगार मंत्रालय ने मंगलवार को इस संबंध में एक आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा लाभ देना सरकार का लक्ष्य है. इसके लिए प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर्स को खुद को और अपने श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा. इस कदम के जरिये सरकार गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में लाना चाहती है.

गिग वर्कर ऐसे कामगारों को कहा जाता है, जो स्वतंत्र रूप से या सब-कॉन्ट्रेक्टर के तौर पर काम करते हैं. इन्हें नौकरी को लेकर किसी तरह की सुरक्षा नहीं मिलती है. अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्विगी, जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म के लिए डिलीवरी करने वालों से लेकर अर्बन कंपनी के प्लंबर, पेंटर और बार्बर इस श्रेणी में आते हैं. ये कंपनियां इन्हें काम देती हैं, लेकिन नौकरी के तौर पर पीएफ, पेंशन और मेडिक्लेम जैसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं. इसके अलावा यह भी तय नहीं होता है कि कितने दिन काम मिलेगा. केंद्र सरकार के आदेश के मुताबिक एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म को उनसे जुड़े श्रमिकों का ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा.

इस संबंध में मंत्रालय ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी बताई है. इसमें एग्रीगेटर की जिम्मेदारियों को रेखांकित किया गया है. सरकार की तरफ से जारी एसओपी के तहत श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर करने की जिम्मेदारी एग्रीगेटर को दी गई है. सभी श्रमिकों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और डाटा को अपडेट करने के बाद प्लेटफॉर्म व गिग वर्कर्स को एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) नंबर जारी किया जाएगा, जिसके जरिये उन्हें प्रमुख सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे.

केंद्र सरकार ने इस व्यवस्था को परखने के लिए कुछ बड़े एग्रीगेटर्स के साथ मिलकर एपीआई इंटीग्रेशन का काम पूरा कर लिया है. अब रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है. एपीआई इंटीग्रेशन का मतलब एग्रीगेटर के एप और ई-श्रम पोर्टल को आपस मे जोड़ने से है. इससे एग्रीगेटर आसानी से श्रमिकों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर पाएंगे. इसके अलावा केंद्र सरकार ने एग्रीगेटर्स को यह भी निर्देश दिया है कि वे कामगारों का डाटा नियमित रूप से अपडेट करते रहेंगे. सटीक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए किसी भी श्रमिक के प्लेटफॉर्म से बाहर होने की जानकारी ई-श्रम पोर्टल पर तुरंत देनी होगी.

श्रमिकों और एग्रीगेटर्स की मदद और ज्यादा जानकारी के लिए सरकार ने टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14434 भी जारी किया है. इस नंबर पर कॉल कर पंजीकरण से जुड़ी किसी भी तकनीकी समस्या को हल करने में मदद ली जा सकती है. बुधवार 18 सितंबर को इस संबंध में एग्रीगेटर्स के साथ सरकार की एक बैठक भी होनी है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया करेंगे.

2030 तक 2 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी गिग वर्कर्स की तादाद

नीति आयोग के मुताबिक देश में गिग वर्कर्स की संख्या 2030 तक 2 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी. गिग वर्कर्स को रोजगार के औपचारिक दायरे में लाने के लिए सरकार ने पहली बार 2020 में सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को परिभाषित किया. इसके बाद नीति आयोग ने जून 2022 में अपनी रिपोर्ट, इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी में बताया कि देश में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की संख्या करीब 77 लाख है, जो 2030 तक बढ़कर 2.35 करोड़ हो जाएगी.

क्या है सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के प्रावधान किए गए हैं. खासतौर पर लाइफ और एक्सिडेंटल कवर, हेल्थ इंश्योरेंस, मैटरनिटी बेनिफिट और वृद्धावस्था पेंशन के उपाय किए गए हैं. संहिता में इन वर्कर्स के सामाजिक कल्याण से जुड़ी योजनाओं के वित्तपोषण के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष स्थापित करने का भी प्रावधान किया गया है. इसके अलावा धारा 113 में असंगठित श्रमिकों, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों का ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण का प्रावधान किया गया है.