लोगों ने भर दिया सरकार का खजाना, GST कलेक्शन से हुई 1.82 लाख करोड़ रुपये की कमाई

रिफंड समायोजित करने के बाद, शुद्ध जीएसटी संग्रह 11 प्रतिशत बढ़कर 1.63 लाख करोड़ रुपये हो गया. अक्टूबर में, घरेलू बिक्री में तेजी और बेहतर अनुपालन के कारण सकल जीएसटी संग्रह 9 प्रतिशत बढ़कर 1.87 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा संग्रह है.

जीएसटी कलेक्शन में भारी बढ़ोतरी. (सांकेतिक फोटो) Image Credit: jayk7/Moment/Getty Images

जीएसटी कलेक्शन में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. रविवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में कुल सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व 8.5 प्रतिशत बढ़कर 1.82 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 1.68 लाख करोड़ रुपये था. खास बात यह है कि इसमें केंद्रीय जीएसटी संग्रह 34,141 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी 43,047 करोड़ रुपये, एकीकृत आईजीएसटी 91,828 करोड़ रुपये और उपकर 13,253 करोड़ रुपये रहा.

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, समीक्षाधीन महीने के दौरान घरेलू लेनदेन से जीएसटी 9.4 प्रतिशत बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात पर कर से राजस्व लगभग 6 प्रतिशत बढ़कर 42,591 करोड़ रुपये हो गया. इस महीने के दौरान 19,259 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए, जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 8.9 प्रतिशत कम है.

अक्टूबर में इतने करोड़ का संग्रह

वहीं, रिफंड समायोजित करने के बाद, शुद्ध जीएसटी संग्रह 11 प्रतिशत बढ़कर 1.63 लाख करोड़ रुपये हो गया. अक्टूबर में, घरेलू बिक्री में तेजी और बेहतर अनुपालन के कारण सकल जीएसटी संग्रह 9 प्रतिशत बढ़कर 1.87 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा संग्रह है. अक्टूबर में केंद्रीय जीएसटी संग्रह 33,821 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी 41,864 करोड़ रुपये, एकीकृत आईजीएसटी 99,111 करोड़ रुपये और उपकर 12,550 करोड़ रुपये रहा. वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-नवंबर की अवधि के लिए संग्रह 14.57 लाख करोड़ रुपये है.

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सरल बनाने की है जरूरत

बता दें कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने शुक्रवार को कहा था कि भारत की जीएसटी व्यवस्था बहुत जटिल है और 2017 में शुरू किए गए इस सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार को सरल बनाने की आवश्यकता है. सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जीएसटी व्यवस्था बहुत जटिल है. इसमें 50 (विभिन्न) उपकर दरें हैं और अगर मैं अन्य चीजों पर गौर करूं तो… यह 100 दरों तक जा सकती है. अन्य चुनौतियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों ने मुझे बताया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने अत्यधिक कर मांगों को बढ़ावा दिया है.

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